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सिविल सेवाओं में महिला का प्रतिनिधित्व

Lokesh Pal April 22, 2025 03:22 14 0

संदर्भ

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के वर्ष 2023 बैच के अधिकारी प्रशिक्षुओं के साथ वार्ता में रिकॉर्ड महिला प्रतिनिधित्व (74 महिला अधिकारी जो 180 अधिकारियों के मौजूदा बैच का 41% है) की प्रशंसा की है।

  • यह वार्ता ‘सहायक सचिव कार्यक्रम’ का हिस्सा थी, जो वर्ष 2025 में अपनी 10वीं वर्षगाँठ मना रहा था।
  • 21 अप्रैल को भारत में राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

‘सहायक सचिव कार्यक्रम’ के बारे में

  • लॉन्च: इस पहल की शुरुआत वर्ष 2015 में की गई थी, ताकि युवा अधिकारियों को उनके करियर की शुरुआत में ही वास्तविक समय में शासन के बारे में जानकारी दी जा सके।
  • उद्देश्य: IAS अधिकारी प्रशिक्षुओं को आठ सप्ताह की अवधि के लिए 46 केंद्रीय मंत्रालयों से जोड़ा जाता है, जिससे उन्हें नीति निर्माण और केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली के संबंध में शुरुआती जानकारी मिलती है।

भारत में सिविल सेवाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के बारे में

  • समावेशन: महिलाओं को पहली बार स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1948 में प्रशासनिक सेवा (IAS) और पुलिस सेवा (IPS) सहित अखिल भारतीय सिविल सेवाओं में प्रवेश की अनुमति दी गई थी।
    • हालाँकि अखिल भारतीय सेवा (AIS) नियम, 1954 में दक्षता के आधार पर विवाह के बाद महिला अधिकारी के इस्तीफे की मांग की गई थी, जिसे वर्ष 1972 में हटा दिया गया था।
  • अग्रणी: अन्ना जॉर्ज (मल्होत्रा) वर्ष 1951 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल होने वाली पहली महिला बनीं।
    • किरण बेदी वर्ष 1972 में भारतीय पुलिस सेवा में नियुक्त होने वाली पहली महिला बनीं।
  • प्रतिनिधित्व सांख्यिकी 
    • समग्र प्रतिनिधित्व: अशोका विश्वविद्यालय के त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा द्वारा संकलित भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) डेटासेट के अनुसार, वर्ष 1951 से 2020 के बीच भर्ती किए गए कुल 11,569 IAS अधिकारियों में से महिला अधिकारियों की संख्या केवल 13% अर्थात् 1,527 है।
    • विकास पथ: IAS में सीधे भर्ती होने वाली महिला अधिकारियों का अनुपात वर्ष 1970 के दशक में 15 प्रतिशत, वर्ष 2000 के दशक में 25 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2024 में 34 प्रतिशत हो गया।
      • वर्तमान में कार्यरत IAS अधिकारियों में से 21% महिलाएँ हैं।
    • IAS में महिला भर्ती में राज्यवार असमानता: पंजाब में 45% महिला अधिकारी हैं, उसके बाद दिल्ली (43%), हरियाणा (36%) और केरल (35%) में  है।
      • सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य गुजरात और छत्तीसगढ़ हैं, जहाँ 8% महिला अधिकारी हैं, उसके बाद जम्मू और कश्मीर (11%), महाराष्ट्र (14%) और बिहार (16%) हैं।

UPSC के प्रदर्शन में प्रवृत्ति

  • UPSC द्वारा अनुशंसित महिला उम्मीदवारों का प्रतिशत वर्ष 2018 में 24 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2022 में 34 प्रतिशत हो गया है।
  • वर्ष 2015 में: शीर्ष चार रैंक महिलाओं (इरा सिंघल, रेणु राज, निधि गुप्ता, वंदना राव) को प्राप्त हुईं।
  • वर्ष 2021 में: शीर्ष तीन रैंक महिलाओं ने हासिल कीं।
  • वर्ष 2022 में: शीर्ष 20 रैंक धारकों में से 60% महिलाएँ थीं।

    • राज्य कैडर विकल्प: बिजनेस-स्टैंडर्ड रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, तेलंगाना और कर्नाटक में 30% महिला IAS अधिकारी हैं। 
      • झारखंड, सिक्किम, बिहार, त्रिपुरा और जम्मू-कश्मीर में महिला अधिकारियों की संख्या 15% से भी कम है।
  • कम प्रतिनिधित्व का कारण
    • कम आवेदन स्थिति: पुरुषों की तुलना में कम महिलाएँ सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करती हैं
      • उदाहरण: UPSC द्वारा प्रकाशित 72वीं वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में 3,33,730 महिलाओं की तुलना में 7,02,674 पुरुष उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था।
    • सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएँ: विवाह और प्रशासनिक नौकरियों की प्रकृति से संबंधित सामाजिक चिंताएँ महिलाओं के लिए सिविल सेवा की तैयारी में समय और पैसा लगाने को हतोत्साहित करती हैं।
    • आयु बाधा: महिला अधिकारियों की औसत आयु 25-26 वर्ष है जबकि पुरुषों के लिए यह 30 से अधिक है, जो दर्शाता है कि बाद के वर्षों में महिलाएँ तैयारी से कैसे बाहर हो जाती हैं।
    • सरकारी पहल
      • शुल्क माफी: UPSC महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए उनके लिए आवेदन शुल्क माफ करता है।
      • सुविधाजनक पोस्टिंग: पति और पत्नी की एक ही स्थान पर पोस्टिंग को सुविधाजनक बनाने के प्रयास किए जाते हैं।

राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस

  • वर्ष 2025 में 17वाँ सिविल सेवा दिवस मनाया जाएगा।
  • उत्पत्ति: भारत सरकार वर्ष 2006 से प्रत्येक वर्ष 21 अप्रैल को राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस मनाती है, ताकि सार्वजनिक सेवा में संलग्न हमारे सिविल सेवकों के असाधारण प्रयासों को मान्यता दी जा सके और उनका सम्मान किया जा सके।
    • ऐतिहासिक महत्त्व: 21 अप्रैल, 1947 को सरदार वल्लभभाई पटेल (स्वतंत्र भारत के पहले गृह मंत्री) ने प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के परिवीक्षाधीनों को संबोधित करते हुए उन्हें ‘भारत का लौह पुरुष’ कहा था।
  • लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार: भारत के प्रधानमंत्री इस दिन लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए सिविल सेवा अधिकारियों को प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित करते हैं।

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