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विश्व मरुस्थलीकरण एवं सूखा निवारण दिवस 2024

Lokesh Pal June 19, 2024 03:30 361 0

संदर्भ 

17 जून, 2024 को मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन  (UNCCD), को अपनाने की 30वीं वर्षगाँठ मनाई गई, जिसे अब मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने के लिए विश्व दिवस के रूप में मनाया जाता है।           

संबंधित तथ्य 

  • अंगीकरण: मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (United Nations Convention to Combat Desertification) को 17 जून, 1994 को पेरिस में अपनाया गया था।     
    •  वर्ष 2024 में इस कन्वेंशन को अपनाए जाने की 30वीं वर्षगाँठ मनाई गई। 

  

वर्ष 2024 की स्थिति 

  • यह कार्यक्रम जर्मनी के बॉन (Bonn) स्थित UNCCD सचिवालय में आयोजित किया गया।  
  • संयुक्त राष्ट्र का आह्वान: संयुक्त राष्ट्र ने सऊदी अरब के रियाद में आयोजित UNCCD के 16वें सम्मेलन (COP16) से पहले सभी पीढ़ियों से सतत् भूमि प्रबंधन के लिए समर्थन का आग्रह किया।       
  • थीम: ‘भूमि के लिए एकजुटता: हमारी विरासत. हमारा भविष्य’ (United for Land: Our Legacy. Our Future)
  • भूमि नायक (Land Heroes): बॉन (Bonn) कार्यक्रम में 10 युवाओं को ‘भूमि नायक’ के रूप में सम्मानित किया गया, जिन्होंने भूमि को पुनर्स्थापित करने, सूखे के प्रति लचीलापन बढ़ाने, सतत् कृषि व्यवसाय विकसित करने और दुनिया भर में वैश्विक पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करने के लिए कार्य किया है।

भूमि निम्नीकरण (Land Degradation)

  • परिभाषा: UNCCD के अनुसार, ‘भूमि निम्नीकरण का अर्थ शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र क्षेत्रों में, भूमि उपयोग या मानवीय गतिविधियों एवं आवास पैटर्न के परिणामस्वरूप वर्षा आधारित कृषि भूमि, सिंचित कृषि भूमि या क्षेत्र, चरागाह, वन और वनभूमि की जैविक या आर्थिक उत्पादकता एवं जटिलता में कमी या हानि है।’ 
  • भूमि निम्नीकरण के घटक
    • मृदा निम्नीकरण (Soil Degradation): मृदा निम्नीकरण के परिणामस्वरूप मृदा की उत्पादक क्षमता में गिरावट तथा मृदा के जलवैज्ञानिक, जैविक, रासायनिक और भौतिक गुणों में परिवर्तन होता है।   
    • वनस्पति निम्नीकरण (Vegetation Degradation): प्राकृतिक जैवभार की मात्रा और गुणवत्ता में गिरावट तथा वनस्पति भूमि आवरण में कमी आती है। 
    • जल निम्नीकरण: सतही और भूजल संसाधनों दोनों की मात्रा और गुणवत्ता में गिरावट आती है।
    • जलवायु क्षय (Climate Deterioration): सूक्ष्म (Micro) और वृहद जलवायु (Macro-Climatic) परिस्थितियों में परिवर्तन, जो फसल विफलता के जोखिम को बढ़ाते हैं।
    • शहरी/औद्योगिक विकास को होने वाली हानियाँ: कृषि योग्य भूमि को शहरी, औद्योगिक और बुनियादी ढाँचे के उपयोग में परिवर्तित किए जाने के परिणामस्वरूप कृषि उत्पादन के लिए प्रयुक्त या संभावित कुल भूमि क्षेत्र में गिरावट आती है। 
  • भूमि निम्नीकरण को रोकने की आवश्यकता
    • भूमि निम्नीकरण की सीमा: दुनिया की 40 प्रतिशत भूमि और दुनिया की लगभग आधी आबादी भूमि निम्नीकरण से प्रभावित है, जिससे प्रत्येक सेकंड चार फुटबॉल मैदानों के बराबर भूमि निम्नीकरण के कारण नष्ट हो रही है। (कुल 100 मिलियन हेक्टेयर प्रति वर्ष) 
    • प्रभावित समुदाय: भूमि निम्नीकरण और इसके नकारात्मक प्रभावों से अधिकतर हाशिए पर रहने वाले समुदाय जैसे कि देशज समुदाय, ग्रामीण परिवार, छोटे किसान और विशेषकर युवा एवं महिलाएँ प्रभावित होती हैं।
      • विश्व की लगभग एक-चौथाई आबादी सूखे से प्रभावित है।
    • निर्भरता: विकासशील देशों में रहने वाले 1 बिलियन से अधिक युवा लोग भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं और वर्ष 2050 तक यह संख्या बढ़कर 10 बिलियन हो जाएगी।
    • आर्थिक और स्थिरता के अवसर: भूमि को पुनःस्थापित करने के लिए युवाओं को शामिल करने से अगले 15 वर्षों में अनुमानतः 600 मिलियन नौकरियों का सृजन हो सकता है, जो बदले में आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों में योगदान देगा।
  • भारत में भूमि निम्नीकरण (Land Degradation in India)
    • अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (Space Applications Centre) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, अहमदाबाद द्वारा प्रकाशित भारत के मरुस्थलीकरण और भूमि निम्नीकरण एटलस के अनुसार, वर्ष 2018-19 में देश में भूमि निम्नीकरण और मरुस्थलीकरण की सीमा 97.84 मिलियन हेक्टेयर होने का अनुमान लगाया गया है।
  • सरकारी उपाय
    • अवलोकन: अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC), अहमदाबाद की सहायता से भूमि के अवक्रमित क्षेत्र को दर्शाने तथा अवक्रमण का कारण बनने वाली प्रक्रियाओं को दर्शाने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है। 
    • दक्षिण-दक्षिण सहयोग: दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाने के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (Indian Council for Forestry Research and Education- ICFRE) देहरादून में एक उत्कृष्टता केंद्र की परिकल्पना की गई है। इसका उद्देश्य ज्ञान साझा करना, सर्वोत्तम प्रथाओं को बढ़ावा देना, लागत प्रभावी और सतत् भूमि प्रबंधन रणनीतियों के साथ भारत के अनुभवों को साझा करना, परिवर्तनकारी परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों के लिए विचार विकसित करना और क्षमता निर्माण करना है।
    • बॉन चैलेंज (Bonn Challenge): पेरिस में आयोजित UNFCCC COP, वर्ष 2015 में भारत स्वैच्छिक बॉन चैलेंज में शामिल हुआ तथा वर्ष 2020 तक 13 मिलियन हेक्टेयर (mha) बंजर एवं वनविहीन भूमि को पुनःस्थापित करने तथा वर्ष 2030 तक अतिरिक्त 8 मिलियन हेक्टेयर भूमि को पुनःस्थापित करने का संकल्प लिया गया है।
      • वर्ष 2030 तक 21 मिलियन हेक्टेयर भूमि को पुनर्स्थापित करने की इस प्रतिज्ञा को वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम सम्मेलन (UNCCD) के COP14 के दौरान बढ़ाकर 26 मिलियन हेक्टेयर कर दिया गया है।
    •  तटीय आवास का पुनर्वास: जैव कवच के निर्माण के माध्यम से तटीय आवास का पुनर्वास तमिलनाडु राज्य द्वारा अपने सभी तटीय जिलों में तीन वर्षों (2023-24 से 2025-26) के लिए कार्यान्वित किया जा रहा है।

मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCCD)

  • परिचय: यह मरुस्थलीकरण और सूखे के प्रभावों से निपटने के लिए स्थापित एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी ढाँचा है। 
    • यह भूमि निम्नीकरण के प्रभाव को कम करने तथा अपनी भूमि की रक्षा करने के लिए एक बहुपक्षीय प्रतिबद्धता है, ताकि हम सभी लोगों को भोजन, पानी, आश्रय और आर्थिक अवसर प्रदान कर सके।
  • सदस्य: इस कन्वेंशन में 197 पक्षकार हैं, जिनमें 196 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
  • सचिवालय: UNCCD का स्थायी सचिवालय बॉन (Bonn), जर्मनी में स्थित है।
  • सिद्धांत: यह कन्वेंशन सहभागिता, साझेदारी और विकेंद्रीकरण के सिद्धांतों पर आधारित है।
  • फोकस के क्षेत्र: यह कन्वेंशन विशेष रूप से शुष्क, अर्द्ध-शुष्क और शुष्क उप-आर्द्र पारिस्थितिकी तंत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिन्हें शुष्क भूमि के रूप में जाना जाता है।
  • कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (Conferences of the Parties): कन्वेंशन के पक्षकारों का एक सम्मेलन (COPs) प्रत्येक दो वर्ष में आयोजित किया जाता है।
  • वित्तीय तंत्र: कन्वेंशन के अनुच्छेद-21 के अंतर्गत वर्ष 1994 में स्थापित वैश्विक तंत्र (GM) कन्वेंशन को लागू करने तथा मरुस्थलीकरण, भूमि निम्नीकरण और सूखे की समस्या से निपटने के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने में सहायता करता है।
  • UNCCD 2018-2030 रणनीतिक रूपरेखा: यह भूमि निम्नीकरण तटस्थता (LDN) प्राप्त करने के लिए एक वैश्विक प्रतिबद्धता है।
    • उद्देश्य: इसका उद्देश्य बंजर भूमि के विशाल विस्तार की उत्पादकता को पुनर्स्थापित करना, 1.3 बिलियन से अधिक लोगों की आजीविका में सुधार करना और संवेदनशील आबादी पर सूखे के प्रभाव को कम करना है।

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