हाल ही में अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2024 (World Energy Outlook 2024) जारी किया है।
वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2024 क्या है?
जारीकर्ता: अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA)।
उद्देश्य: वैश्विक ऊर्जा प्रणाली के सभी भागों में विस्तृत विश्लेषण एवं रणनीतिक अंतर्दृष्टि प्रदान करना।
वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक 2024 के प्रमुख निष्कर्ष
भारत संबंधी निष्कर्ष
भारत के ऊर्जा एवं परिवहन क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हो रहे हैं, क्योंकि देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख हितधारक के रूप में उभर रहा है।
आर्थिक विकास और जनसंख्या आँकड़े
तीव्र वृद्धि: वर्ष2023 में 7.8% की वृद्धि दर के साथ भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रही।
भारत के लिए जनसांख्यिकीय लाभ: वर्ष2023 में, भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया, जिसने जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया, हालाँकि भारत की जन्म दर में गिरावट आ रही है।
ऊर्जा संबंधी चुनौतियाँ
स्वच्छ खाना पकाने की सार्वभौमिक सुविधा: यह सुनिश्चित करना कि सभी को स्वच्छ खाना पकाने की सुविधा मिले, इसे प्राथमिकता के रूप में अपनाया जाना चाहिए।
जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता: भारत का लक्ष्य जीवाश्म ईंधन के आयात पर अपनी निर्भरता कम करना है।
विद्युत क्षेत्र की विश्वसनीयता: विद्युत आपूर्ति की विश्वसनीयता एवं वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार की आवश्यकता है।
वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण के उच्च स्तर को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।
चरम जलवायु: देश को चरम मौसम के प्रभावों, जैसे हीट वेव एवं बाढ़ प्रबंधन करना चाहिए।
ऊर्जा माँग में वृद्धि
माँग में वृद्धि: अगले दशक में भारत की ऊर्जा माँग किसी भी अन्य देश की तुलना में अधिक बढ़ने की उम्मीद है।
औद्योगिक विकास: वर्ष2035 तक, लोहा और इस्पात का उत्पादन 70%, सीमेंट का उत्पादन लगभग 55% बढ़ने की उम्मीद है और एयर कंडीशनर की संख्या में चार गुना से अधिक की वृद्धि होने का अनुमान है।
ऊर्जा मिश्रण में कोयले की भूमिका
निरंतर उपयोग: वर्ष2030 तक कोयला आधारित क्षमता एवं उत्पादन में वृद्धि के साथ, कोयला भारत के ऊर्जा मिश्रण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बना रहेगा।
उद्योग निर्भरता: वर्ष2023 में, कोयला उद्योग द्वारा आवश्यक ऊर्जा का 40% प्रदान किया गया। वर्ष 2035 तक, उद्योगों में कोयले का उपयोग 50% बढ़ने की उम्मीद है।
‘नेट जीरो’ उत्सर्जन प्रतिबद्धता
दीर्घकालिक लक्ष्य: भारत का लक्ष्य वर्ष 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करना है।
स्वच्छ ऊर्जा में वृद्धि: इस परिदृश्य में, वर्ष 2035 तक स्वच्छ विद्युत उत्पादन अन्य अनुमानों की तुलना में लगभग 20% अधिक होगा।
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में वृद्धि: इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की वृद्धि 2030 के दशक में तेल की खपत को बढ़ाने में मदद करेगी।
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) विकास
प्रमुख बाजार: भारत दो/तीन पहिया वाहनों के लिए एक अग्रणी बाजार है और वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा यात्री कार बाजार है।
भविष्य के अनुमान: अगले दशक में, भारत में 37 मिलियन से अधिक कारें और 75 मिलियन से अधिक दो/तीन पहिया वाहन जुड़ेंगे।
तेल की माँग में वृद्धि: सड़क परिवहन से तेल की माँग वर्ष 2035 तक 40% बढ़ने का अनुमान है, जिससे तेल आयात पर निर्भरता बढ़ेगी।
EV बिक्री में बाजार का रुझान
वर्तमान EV बाजार: आज, भारत में बिकने वाले 5% दोपहिया वाहन, 50% तिपहिया वाहन और 7% बसें इलेक्ट्रिक हैं।
भविष्य के अनुमान: सरकारी समर्थन और बाजार की स्थितियों के कारण दो/तिपहिया वाहनों और बसों में कारों की तुलना में विद्युतीकरण अपनाने की दर तेज होगी।
कम उत्सर्जन लक्ष्य: विद्युतीकरण में वृद्धि के साथ, तेल की माँग और सड़क परिवहन से CO2 उत्सर्जन अन्य परिदृश्यों की तुलना में वर्ष 2035 तक लगभग 17% कम हो सकता है।
वैश्विक बाजार निष्कर्ष
ऊर्जा सुरक्षा
बढ़ते जोखिम: विशेषकर मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को देखते हुए ऊर्जा सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है।
होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz): दुनिया का लगभग 20% तेल और तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) इस क्षेत्र से होकर गुजरता है, जिससे यह चिंता का विषय बन गया है।
आपूर्ति में व्यवधान: मध्य पूर्व में संघर्ष निकट भविष्य में तेल और गैस की आपूर्ति को बाधित कर सकता है।
ऊर्जा पहुँच में सुधार: वर्ष2030 तक, अतिरिक्त 550 मिलियन लोगों को स्वच्छ खाना पकाने की सुविधा प्राप्त होगी तथा 200 मिलियन लोगों के पास विद्युत होगी।
ऊर्जा संक्रमण (Energy Transition)
ऊर्जा की माँग में धीमी वृद्धि: बेहतर दक्षता, विद्युत के अधिक उपयोग और नवीकरणीय ऊर्जा के उदय के कारण वैश्विक ऊर्जा की माँग अधिक धीमी गति से बढ़ेगी।
इलेक्ट्रिक कारें: वर्ष2030 तक, बिकने वाली सभी कारों में से लगभग आधी इलेक्ट्रिक होंगी, लेकिन चार्जिंग स्टेशन बनाने या संबंधित नीतियों में देरी से यह प्रगति धीमी हो सकती है।
अधिक नवीकरणीय ऊर्जा: स्वच्छ ऊर्जा वर्ष 2023 से 2035 तक ऊर्जा की लगभग सभी नई माँग को पूरा करेगी। वर्ष 2023 की तुलना में सौर ऊर्जा का उत्पादन तीन गुना अधिक हो सकता है।
ऊर्जा माँग में अनिश्चितता
जीवाश्म ईंधन की अधिकतम माँग: जीवाश्म ईंधन की वैश्विक माँग वर्ष 2030 से पहले अपने चरम पर पहुँचने की उम्मीद है, हालाँकि यह देशों के विकास के चरण के आधार पर अलग-अलग होगा।
स्वच्छ ऊर्जा निवेश अंतराल: चीन के बाहर कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं में स्वच्छ ऊर्जा निवेश सीमित है, भले ही वे दुनिया की दो-तिहाई आबादी का गठन करते हैं।
इन क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए अधिक निवेश की आवश्यकता है।
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