प्रतिवर्ष 21 नवंबर को विश्व भर में विश्व मत्स्य दिवस (World Fisheries Day) मनाया जाता है।
इसकी शुरुआत वर्ष 1997 में नई दिल्ली में विश्व मत्स्य मंच के गठन के साथ हुई, जहाँ 18 देशों के प्रतिनिधियों ने सतत मत्स्य पालन प्रथाओं को बढ़ावा देने वाले एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए।
संबंधित तथ्य
मत्स्य पालन में सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए पुरस्कार
विश्व मत्स्य दिवस 2024 के एक भाग के रूप में, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, हैदराबाद निम्नलिखित तीन श्रेणियों में पुरस्कार प्रदान करता है।
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य/केंद्र शासित प्रदेश- अंतर्देशीय, समुद्री, हिमालयी तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, केंद्र शासित प्रदेश।
सर्वश्रेष्ठ जिला- अंतर्देशीय, समुद्री, हिमालयी तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र, केंद्र शासित प्रदेश।
सर्वश्रेष्ठ उद्यम/उद्यमी- पूरे देश में चुने गए सर्वश्रेष्ठ मत्स्यन कृषक (अंतर्देशीय और समुद्री श्रेणी), सर्वश्रेष्ठ मत्स्य सहकारी समितियाँ/FFPO, सर्वश्रेष्ठ मत्स्य उद्यम/उद्यमी।
केरल को सर्वश्रेष्ठ समुद्री राज्य का पुरस्कार मिला, जबकि तेलंगाना को सर्वश्रेष्ठ अंतर्देशीय राज्य का पुरस्कार मिला।
विश्व मत्स्य दिवस 2024
थीम: भारत का नीला परिवर्तन: लघु-स्तरीय और सतत मत्स्य पालन को मजबूत करना।
शुरू की गई पहल
5वीं समुद्री मत्स्य पालन गणना: यह साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए एक व्यापक डेटा है।
शार्क पर राष्ट्रीय कार्य योजना (National Plan of Action- NPOA): शार्क प्रजातियों का संरक्षण करना, जो इसके अतिदोहन को रोकेगा।
बंगाल की खाड़ी-क्षेत्रीय कार्य योजना (Bay of Bengal-Regional Plan of Action- BoB-RPOA): यह अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित (IUU) मत्स्यन से निपटती है।
IMO-FAO ग्लोलिटर भागीदारी परियोजना (GloLitter Partnership Project): यह समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण को संबोधित करती है और स्वच्छ महासागरों को बढ़ावा देती है।
रेट्रोफिटेड LPG किट: इसने पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए मछली पकड़ने के जहाजों की शुरुआत की।
तटीय जलीय कृषि के लिए एकल खिड़की प्रणाली: इसने जलीय कृषि फार्मों के लिए ऑनलाइन पंजीकरण को सुव्यवस्थित किया।
स्वैच्छिक कार्बन बाजार ढाँचा: यह मत्स्य पालन क्षेत्र में कार्बन व्यापार को प्रोत्साहित करता है और स्थायी प्रथाओं को प्रोत्साहित करता है।
मत्स्य पालन में भारत का वैश्विक नेतृत्व
भारत की उपलब्धियाँ
FAO, 2021 के अनुसार, भारत चीन और इंडोनेशिया के बाद विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक है।
दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पादक देश है।
दुनिया में सबसे बड़ा झींगा उत्पादक देश है।
संबद्ध सरकारी योजनाएँ और नीतियाँ
नीली क्रांति एकीकृत विकास और प्रबंधन मत्स्य पालन योजना (2015-16): इसने समुद्री और अंतर्देशीय मछली उत्पादकता में वृद्धि की।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY, 2020): इसका लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक मत्स्य निर्यात को दोगुना करके ₹1 लाख करोड़ करना है।
मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (FIDF, 2018-19): यह बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में मत्स्य पालन को वित्तीय सहायता और समर्थन प्रदान करता है।
इसके अलावा, यह 3% ब्याज अनुदान के साथ 80% तक परियोजना लागत का वित्तपोषण प्रदान करता है।
ICAR-CIFE: यह मत्स्यपालन पेशेवरों को प्रशिक्षित करता है तथा अनुसंधान एवं क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है।
सतत मत्स्य पालन को बढ़ावा देना
समुद्री मत्स्य पालन पर राष्ट्रीय नीति (वर्ष 2017): यह संतुलित दोहन के माध्यम से स्थिरता के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है।
विनाशकारी प्रथाओं का निषेध: यह एक जोड़ी ‘ट्रॉलिंग’ और LED मछली पकड़ने जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाता है।
समुद्री पशुपालन और कृत्रिम चट्टानें: यह समुद्री जैव विविधता को बढ़ाता है और सतत मत्स्यन प्रथाओं का समर्थन करता है।
वित्त पोषण: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹2,584.50 करोड़, जो पिछले वर्ष की तुलना में 15% की वृद्धि है।
राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड: इसे वर्ष 2006 में केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (MoFAH&D) के तहत एक स्वायत्त संगठन के रूप में स्थापित किया गया था।
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