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विश्व स्वास्थ्य दिवस, 2025

Lokesh Pal April 08, 2025 03:22 52 0

संदर्भ 

विश्व स्वास्थ्य दिवस, जो प्रतिवर्ष 7 अप्रैल को मनाया जाता है, वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दों पर प्रकाश डालता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के लिए कार्रवाई को प्रेरित करता है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस के बारे में

  • विश्व स्वास्थ्य दिवस, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा वर्ष 1950 में प्रारंभ किया गया था। यह अभियान प्रत्येक वर्ष महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य प्राथमिकताओं को संबोधित करने में सरकारों, संस्थानों और समुदायों को एकजुट करता है।

  • वर्ष 2025 के लिए थीम: “स्वस्थ शुरुआत, आशावादी भविष्य” (Healthy beginnings, hopeful futures)।
  • फोकस क्षेत्र: मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य, जिसका लक्ष्य रोकथाम योग्य मौतों को समाप्त करना और महिलाओं एवं बच्चों के लिए दीर्घकालिक स्वास्थ्य को सुरक्षित करना है।

स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने में भारत के प्रयास

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य प्रगति

  • भारत की मातृ मृत्यु दर (MMR) 130 (वर्ष 2014-16) से घटकर 97 (वर्ष 2018-20) प्रति 1,00,000 जीवित जन्म हो गई है।
  • पिछले तीन दशकों (वर्ष 1990-2020) में, भारत में MMR में 83% की कमी आई है, जबकि वैश्विक स्तर पर इसमें 42% की गिरावट आई है।

बाल मृत्यु दर संकेतकों में सुधार

  • शिशु मृत्यु दर (IMR) 39 (वर्ष 2014) से घटकर 28 (वर्ष 2020) प्रति 1,000 जीवित जन्म हो गई।
  • नवजात मृत्यु दर (NMR) 26 (वर्ष 2014) से घटकर 20 (वर्ष 2020) प्रति 1,000 जीवित जन्म हो गई।
  • 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (Under-5 Mortality Rate-U5MR) 45 (वर्ष 2014) से घटकर 32 (वर्ष 2020) प्रति 1,000 जीवित जन्म हो गई।

तुलनात्मक प्रगति: भारत बनाम वैश्विक (वर्ष 1990-2020)

सूचक

भारत में कमी (%)

वैश्विक कमी (%)

MMR 83% 42%
NMR 65% 51%
IMR 69% 55%
U5MR 75% 58%

मातृ स्वास्थ्य के लिए प्रमुख हस्तक्षेप

  • मातृ मृत्यु निगरानी और प्रतिक्रिया (MDSR): प्रसूति देखभाल में सुधार के लिए मातृ मृत्यु परीक्षण को मजबूत करना।
  • मातृ एवं शिशु सुरक्षा (MCP) कार्ड और सुरक्षित मातृत्व पुस्तिका: गर्भवती महिलाओं को महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं के बारे में शिक्षित करने के लिए वितरित की गई।
  • प्रजनन और बाल स्वास्थ्य (RCH) पोर्टल: प्रसवपूर्व, प्रसव के दौरान और प्रसवोत्तर देखभाल सेवाओं की निगरानी करने के लिए एक डिजिटल प्लेटफॉर्म।
  • एनीमिया मुक्त भारत (AMB): किशोरों और गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की रोकथाम और प्रबंधन के लिए पोषण अभियान के तहत एक राष्ट्रव्यापी अभियान।
  • जन्म प्रतीक्षा गृह (BWH): समय पर संस्थागत प्रसव की सुविधा के लिए दूरदराज के क्षेत्रों में स्थापित।
  • ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण दिवस (VHSND): आंगनवाड़ी केंद्रों पर व्यापक मातृ एवं शिशु देखभाल के लिए मासिक रूप से आयोजित किया जाता है।
  • आउटरीच कैंप: मातृ स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच और उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की निगरानी के लिए आदिवासी तथा दूरदराज के क्षेत्रों में आयोजित किया जाता है।

गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक व्यापक पहुँच

  • आयुष्मान आरोग्य मंदिर (AAM): 5 अप्रैल 2025 तक पूरे भारत में 1.76 लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित हैं।
    • इन केंद्रों पर 107.10 करोड़ से अधिक उच्च रक्तचाप की जाँच और 94.56 करोड़ से अधिक मधुमेह की जाँच की गई है।
    • AAM में योग और ध्यान गतिविधियों सहित 5.06 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य सत्र आयोजित किए गए हैं।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में गुणवत्ता आश्वासन: नवंबर 2024 तक 17,000 से अधिक सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों (NQAS) के तहत प्रमाणित किया गया है।
  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM): अप्रैल 2025 तक ABDM के तहत 76 करोड़ से अधिक आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (ABHA) बनाए गए हैं।
    • ABDM के तहत 5.95 लाख से अधिक स्वास्थ्य सेवा पेशेवर और 3.86 लाख स्वास्थ्य सुविधाएँ सत्यापित की गई हैं और 52 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड डिजिटल रूप से जोड़े गए हैं।
  • U-WIN प्लेटफॉर्म: U-WIN प्लेटफॉर्म गर्भवती महिलाओं और बच्चों (0-16 वर्ष) के लिए टीकाकरण की डिजिटल ट्रैकिंग को सक्षम बनाता है।
    • दिसंबर 2024 तक, 7.90 करोड़ लाभार्थियों को पंजीकृत किया गया है और 29.22 करोड़ ‘वैक्सीन डोज’ दर्ज की गई हैं।
  • ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म: ई-संजीवनी ने वर्ष 2020 से अब तक 36 करोड़ से अधिक ‘टेलीकंसल्टेशन’ की सुविधा प्रदान की है, जिससे यह प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के लिए दुनिया का सबसे बड़ा टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म बन गया है।
    • अप्रैल 2025 तक, इस प्लेटफॉर्म के तहत 2,32,291 प्रदाता, 1,31,793 स्पोक्स और 17,051 हब चालू हैं।
  • AB-PMJAY के तहत सभी के लिए किफायती स्वास्थ्य कवरेज: 55 करोड़ से अधिक आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को पीएम जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के तहत शामिल किया गया है, जिसमें प्रति परिवार ₹5 लाख का स्वास्थ्य बीमा शामिल है।
    • अप्रैल 2025 तक 40 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए जा चुके हैं।
    • 8.50 करोड़ से अधिक अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति दी गई है।
    • दिसंबर 2024 तक आयुष्मान वय वंदना कार्ड के लिए 25 लाख से अधिक नामांकन दर्ज किए गए।
  • मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण हस्तक्षेप: ‘टेली-मानस’ 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 53 सेल संचालित करता है, जो 20 भाषाओं में 24×7 मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करता है।
    • अप्रैल 2025 तक 20 लाख से अधिक कॉल प्रबंधित किए जा चुके हैं, जिसके लिए तीन वर्षों में 230 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
    • ‘मनोआश्रय डैशबोर्ड’ के अनुसार, अप्रैल 2025 तक मानसिक स्वास्थ्य रोगियों के लिए लगभग 440 पुनर्वास और ‘हाफवे होम’ (Halfway Homes) हैं।

रोग उन्मूलन और नियंत्रण प्रयास

  • मलेरिया उन्मूलन: वर्ष 2017 से वर्ष 2023 के मध्य मलेरिया के मामलों में 69% और मौतों में 68% की कमी आई है। भारत वर्ष 2024 में WHO की ‘हाई बर्डन टू हाई इम्पैक्ट’ (HBHI) सूची से बाहर हो गया।
  • ट्रैकोमा उन्मूलन: भारत ने वर्ष 2024 में सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रैकोमा का उन्मूलन कर लिया है, जिसे WHO ने मान्यता दी है।
  • खसरा और रूबेला नियंत्रण: मजबूत टीकाकरण अभियान के कारण 50 जिलों में खसरा के कोई मामले नहीं आए और 226 जिलों में मार्च 2024 तक रूबेला के कोई मामले नहीं आए।
  • तपेदिक (TB) नियंत्रण: राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत, वर्ष 2015 और वर्ष 2023 के मध्य TB के रोगियों में 17.7% की गिरावट आई।
    • इस अवधि के दौरान TB से संबंधित मौतों में कमी आई और TB से सही हुए मामलों में 83% की कमी आई।
  • कालाजार उन्मूलन: अक्टूबर 2024 तक, भारत ने सफलतापूर्वक कालाजार उन्मूलन प्राप्त कर लिया है, जिसमें 100% स्थानिक प्रखंड उन्मूलन लक्ष्य को पूर्ण किया जा चुका है।

निष्कर्ष

  • भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रगति न्यायसंगत, समावेशी और सुलभ स्वास्थ्य सेवा के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
  • आयुष्मान भारत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और JSY, PMSMA, SUMAN और लक्ष्य जैसे मातृ कार्यक्रमों जैसी प्रमुख पहलों ने मातृ और बाल स्वास्थ्य परिणामों में उल्लेखनीय सुधार किया है।
  • ABDM, ई-संजीवनी, रोग उन्मूलन अभियान और टेली-मानस के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सहायता जैसे डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेप सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में भारत की निरंतर प्रगति में योगदान करते हैं।

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