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Lokesh Pal
July 15, 2024 04:53
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11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है, इस लेख में पिछले दशकों में भारत की जनसांख्यिकीय यात्रा का विश्लेषण किया गया है।
तीन घटक, अर्थात् प्रजनन क्षमता, मृत्यु दर और प्रवासन, भारत के जनसांख्यिकीय परिदृश्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारत की जनसंख्या गतिशीलता उसके ‘विकास’ परिदृश्य से जुड़ी हुई है।
उच्च जनसंख्या से जुड़ी निम्नलिखित चुनौतियों पर विचार करने और उनसे निपटने की आवश्यकता है।
सरकार पहुँच से संबंधित बाधाओं, गर्भनिरोधक विधियों के बारे में गलत धारणाओं, जागरूकता की कमी, भौगोलिक और आर्थिक चुनौतियों तथा प्रतिबंधात्मक सामाजिक एवं सांस्कृतिक मानदंडों पर नियंत्रण पाने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत को आय असमानता को दूर करने, भारत के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करके अपने जनसांख्यिकीय लाभांश का दोहन करने और बदलती स्वास्थ्य आवश्यकताओं को संबोधित करने की आवश्यकता है। भारत को सतत् विकास लक्ष्य हासिल करने के लिए, नीतियों को बनाते समय बदलती जनसंख्या गतिशीलता को स्वीकार करना होगा।
भारत के जनसांख्यिकीय लाभांश को सतत् विकास, शहरीकरण और प्रवास की जटिलताओं से निपटना होगा। इन कारकों को नीतियों में एकीकृत करना सुनिश्चित करता है कि जनसांख्यिकीय वृद्धि एक सतत् भविष्य और समावेशी समृद्धि में तब्दील हो। सफल हस्तक्षेपों को विशिष्ट रणनीतियों के साथ-साथ एकीकृत किया जाना चाहिए।
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