विश्व हिम तेंदुआ दिवस (World Snow Leopard Day) प्रत्येक वर्ष 23 अक्टूबर को मनाया जाता है।
इसकी शुरुआत वर्ष 2013 में किर्गिजस्तान में बिश्केक घोषणा (Bishkek Declaration) को अपनाने के बाद हुई थी, जिसमें हिम तेंदुआ आबादी वाले 12 देशों ने उनके संरक्षण प्रयासों में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की थी।
हिम तेंदुआ (Snow Leopard) के बारे में
वैज्ञानिक नाम: पेंथेरा यून्सिया (Panthera Uncia)
भौगोलिक विस्तार: अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान।
वितरण: इसका वितरण मुख्य शिकार प्रजातियों जैसे कि आइबेक्स और नीली भेड़ (भारल) के वितरण के साथ निकटता से संबंधित है।
राजकीय पशु: भारत में हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के राजकीय पशु के रूप में मान्यता प्राप्त है।
अनुकूलन: अपनी अद्भुत प्रकृति और शिकार करने की क्षमता के कारण इन्हें ‘पहाड़ों के भूत’ के रूप में जाना जाता है।
व्यवहार: अन्य बड़ी बिल्लियों के विपरीत, हिम तेंदुए दहाड़ते नहीं हैं; इसके बजाय, वे गुर्राहट, फुफकार, म्याऊँ और एक अनोखी ध्वनि जिसे ‘चफ’ (Chuff) कहा जाता है, के माध्यम से संवाद करते हैं।
वे गोधूलि बेला में अधिक सक्रिय रहते हैं, जिसका अर्थ है कि वे सुबह और शाम के समय सबसे अधिक सक्रिय होते हैं। आमतौर पर एकांतप्रिय, अन्य बिल्ली प्रजातियों की तरह।
संरक्षण स्थिति
IUCN की रेड लिस्ट में: सुभेद्य (Vulnerable)
CITES: परिशिष्ट I (Appendix I)
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: उच्चतम सुरक्षा के लिए अनुसूची I के अंतर्गत सूचीबद्ध।
हिम तेंदुओं की पारिस्थितिकी भूमिका
शिकार की आबादी को नियंत्रित करना: शीर्ष शिकारियों के रूप में, हिम तेंदुए शाकाहारी आबादी, जैसे कि आइबेक्स और नीली भेड़ को नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यह विनियमन अतिचारण को रोकता है, जो पर्वतीय वनस्पतियों की रक्षा करने में मदद करता है और संवेदनशील अल्पाइन वातावरण में मिट्टी के कटाव को रोकता है।
जैव विविधता का समर्थन: शाकाहारी जीवों की संख्या का प्रबंधन करके, हिम तेंदुए अप्रत्यक्ष रूप से पौधों की विविधता का समर्थन करते हैं, जिससे विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों, कीटों और जानवरों को पनपने का अवसर मिलता है।
इससे संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलता है और पूरे क्षेत्र में जैव विविधता बनी रहती है।
खाद्य शृंखला को बनाए रखना: शिकार करने के बाद, हिम तेंदुए अपने अवशेष छोड़ जाते हैं जो गिद्धों, भेड़ियों और छोटे मांसाहारियों जैसे अपशिष्ट वाहकों के लिए खाद्य के रूप में कार्य आते हैं, जो व्यापक खाद्य जाल में योगदान करते हैं।
संकेतक प्रजातियाँ: संकेतक प्रजातियों के रूप में, हिम तेंदुए की आबादी का स्वास्थ्य उनके आवासों की पारिस्थितिकी अखंडता को दर्शाता है।
हिम तेंदुआ आबादी एक संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत देती है, जिसमें स्थिर शिकार प्रजातियाँ और वनस्पति शामिल हैं।
भारत में हिम तेंदुए की स्थिति
आबादी: भारत में हिम तेंदुआ संख्या आकलन (SPAI) कार्यक्रम के अनुसार, भारत में अनुमानित 718 हिम तेंदुए हैं।
राज्य के अनुसार जनसंख्या वितरण
लद्दाख (477) > उत्तराखंड (124) > हिमाचल प्रदेश (51) > अरुणाचल प्रदेश (36) > सिक्किम (21) > जम्मू और कश्मीर (9)।
संरक्षण प्रयास: भारत सरकार ने उच्च ऊँचाई वाले हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हिम तेंदुए को एक प्रमुख प्रजाति के रूप में नामित किया है।
हेमिस राष्ट्रीय उद्यान (Hemis National Park): लद्दाख में स्थित, इसे अक्सर इसकी हिम तेंदुओं की उच्च आबादी के कारण ‘विश्व की हिम तेंदुआ राजधानी’ (Snow Leopard Capital of the World) के रूप में जाना जाता है।
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