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विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट 2024

Lokesh Pal May 16, 2024 05:00 164 0

संदर्भ

हाल ही में ऑस्ट्रिया के वियना में ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC) द्वारा विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट 2024 (World Wildlife Crime Report 2024) लॉन्च की गई।

ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime- UNODC) के बारे में

  • यह अवैध ड्रग्स एवं अंतरराष्ट्रीय अपराध के खिलाफ अभियान में एक वैश्विक नेता की भूमिका निभाता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1997 में संयुक्त राष्ट्र औषधि नियंत्रण कार्यक्रम (United Nations Drug Control Programme) और अंतरराष्ट्रीय अपराध रोकथाम केंद्र (Centre for International Crime Prevention) के बीच विलय के माध्यम से की गई थी।
  • UNODC को सदस्य देशों को अवैध ड्रग्स, अपराध और आतंकवाद के खिलाफ उनके संघर्ष में सहायता करने का दायित्व सौंपा गया है।

विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट, 2024 के बारे में

  • यह वर्ष 2020 और 2016 के प्रकाशनों के बाद शृंखला की तीसरी रिपोर्ट है।
  • समझौता: यह वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora- CITES) में सूचीबद्ध वन्यजीव प्रजातियों में अवैध व्यापार के आँकड़ों पर एक अद्यतन फोकस प्रदान करता है।
  • अनुमानित डेटा: रिपोर्ट में आधिकारिक डेटा वर्ष 2015-2021 के दौरान 162 देशों और क्षेत्रों में अवैध व्यापार का दस्तावेजीकरण करता है, जिसने लगभग 4,000 पौधों और जानवरों की प्रजातियों को प्रभावित किया है, जिनमें से 3,250 CITES परिशिष्ट में सूचीबद्ध हैं।
  • आँकड़े एकत्रण हेतु अन्य रिपोर्ट का उपयोग: रिपोर्ट में डेटा काफी हद तक उपलब्ध राष्ट्रीय वार्षिक अवैध व्यापार रिपोर्ट से लिया गया है, जिसे CITES पार्टियों को प्रत्येक वर्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है।
  • नए तरीके से फोकस: इस संस्करण में, वैश्विक स्तर पर वन्यजीव तस्करी और संबंधित अपराध के कारणों और प्रभावों के आकलन पर नए तरीके से फोकस किया गया है।

विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट 2024 पर महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि

  • वन्यजीव तस्करी की निरंतरता: अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर दो दशकों की ठोस कार्रवाई के बावजूद दुनिया भर में वन्यजीव तस्करी जारी है।
    • रिपोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि स्रोत से अंतिम बाजार तक तस्करी को संचालित करने वाले कारक अलग-अलग अवैध वन्यजीव वस्तु क्षेत्रों के बीच काफी भिन्न होते हैं।
  • वन्यजीव एवं उनके शारीरिक अंगों की जब्ती: इसमें हाथी, मगरमच्छ प्रजातियाँ, प्रवाल, मांसाहारी, साँप, कछुए, शीशम, पैंगोलिन, और बाइवेल्व मोलस्क की संख्या सबसे अधिक थी।
    • बाजार की माँग: गैंडे, पैंगोलिन और हाथी शीर्ष तीन व्यापारिक वन्यजीव प्रजातियाँ थीं। पौधों में देवदार, शीशम और अगरवुड की माँग अधिक थी।
    • प्रजातियों की दुर्लभता: उदाहरण के लिए, ऑर्किड जैसे कुछ पौधों एवं जानवरों के मामले में, प्रजातियों की दुर्लभता व्यापार के पीछे एक प्रेरक शक्ति है।
    • भारत में अवैध व्यापार में बदलाव देखा जा रहा है क्योंकि जीवित जानवरों, विशेषकर पालतू जानवरों के रूप में विदेशी जानवरों की माँग बढ़ रही है।
  • भ्रष्टाचार और प्रौद्योगिकी की भूमिका: भ्रष्टाचार विनियमन और प्रवर्तन को कमजोर करता है, जबकि प्रौद्योगिकी वैश्विक बाजारों तक पहुँचने के लिए तस्करों की क्षमता को तेज करती है।
    • इस तरह के व्यापार को करने के लिए इंटरनेट के उपयोग का हवाला देते हुए, माँग और आपूर्ति दोनों पक्षों पर शिक्षित लोगों की भागीदारी बढ़ रही है।
  • देखे गए प्रभाव: कई मामलों में, ऐसा प्रतीत होता है कि अवैध व्यापार ने प्रजातियों के स्थानीय या वैश्विक विलुप्त होने में योगदान दिया है, पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित किया है और लोगों को प्रकृति से मिलने वाले कई सामाजिक-आर्थिक लाभों को कम कर दिया है।
    • संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट: इसमें कहा गया है कि अवैध वन्यजीव व्यापार के नुकसानों में जैव विविधता का क्षरण, विलुप्त होने का खतरा और आक्रामक प्रजातियों द्वारा स्थानीय आवासों पर अधिग्रहण करने का खतरा जैसे मुद्दे शामिल हैं।

वन्यजीव व्यापार (Wildlife Trade) और वन्यजीव अपराध (Wildlife Crime) के बारे में

  • वन्यजीव व्यापार: इसमें जीवित नमूनों, भागों, व्युत्पन्न, या रूपांतरित उत्पादों सहित जंगली जानवरों एवं पौधों की बिक्री और विनिमय शामिल है।
    • घटना: विभिन्न स्तरों पर, स्थानीय से वैश्विक तक
    • विनियमन: CITES द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विनियमित
    • भारत में वन्यजीव व्यापार: भारत वन्यजीव तस्करी के लिए शीर्ष 20 देशों में से एक है और हवाई मार्ग से वन्यजीव तस्करी के लिए शीर्ष 10 देशों में से एक है। भारत के अंदर और बाहर अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव तस्करी मुख्य रूप से पूर्वोत्तर या हवाई अड्डों के माध्यम से होती है।
      • चेन्नई और मुंबई हवाई अड्डे इस अवैध गतिविधि के प्रमुख केंद्र हैं।
    • प्रमुख तस्करी मार्ग: भारत में भी हवाई अड्डों, बंदरगाहों और स्थल सीमाओं पर वन्यजीवों की बरामदगी की घटनाएँ देखी गई हैं, विशेषकर मिजोरम और मणिपुर जैसे राज्यों में।
      • भारत में तस्करी रिपोर्ट 2022-23 के अनुसार, राजस्व खुफिया विभाग ने वर्ष 2022-23 में 1,652 स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों और उभयचर प्रजातियों को जब्त किया। लगभग 40% बरामदगी को संकटग्रस्त या निकट संकटग्रस्त प्रजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
  • वन्यजीव अपराध: एक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय अपराध जिसमें वन्यजीव प्रजातियों की रक्षा करने वाले राष्ट्रीय, क्षेत्रीय या अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन शामिल है।

वन्य जीवन एवं संबद्ध अपराध की स्थिति

  • भारत के संदर्भ में आँकड़े: भारत एक जैव-विविधता वाला देश है, जहाँ दुनिया की लगभग 6.5% ज्ञात वन्यजीव प्रजातियाँ पाई जाती हैं। विश्व के लगभग 7.6% स्तनधारी और विश्व के 12.6% पक्षी भारत में पाए जाते हैं।
    • विश्व स्तर पर वन्यजीवों और इसके उत्पादों की अवैध माँग के कारण पूरे उपमहाद्वीप में वन्यजीव अपराध में वृद्धि देखी गई है।
  • विश्व वन्यजीवन में गिरावट: WWF की ‘लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट, 2020’ के अनुसार, वर्ष 1970 और 2016 के बीच विभिन्न प्रजातियों की निगरानी की गई आबादी के आकार में औसतन 68% की गिरावट आई है।
    • संयुक्त राष्ट्र समर्थित पैनल, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच (Intergovernmental Science-Policy Platform on Biodiversity and Ecosystem Services- IPBES) ने वर्ष 2019 में बताया कि दस लाख से अधिक पादप एवं जानवरों की प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर हैं।
    • IUCN की संकटग्रस्त प्रजातियों की रेड लिस्ट के अनुसार, 41,000 से अधिक प्रजातियाँ, या सभी मूल्यांकित प्रजातियों में से 28%, विलुप्त होने की कगार पर हैं।

वन्यजीव अपराध पर नियंत्रण लगाने का प्रावधान

  • वन्यजीव अपराध से निपटने में वैश्विक सहयोग
    • वन्यजीव अपराध से निपटने पर अंतरराष्ट्रीय संघ (International Consortium on Combating Wildlife Crime- ICCWC)
    • आसियान वन्यजीव प्रवर्तन नेटवर्क (ASEAN-WEN)
    • दक्षिण एशियाई वन्यजीव प्रवर्तन नेटवर्क (South Asia Wildlife Enforcement Network- SAWEN)
    • अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UN Convention Against Transnational Organized Crime- UNTOC), 2000
    • वाणिज्य में वनस्पतियों और जीवों का व्यापार रिकॉर्ड विश्लेषण (Trade Records Analysis of Flora and Fauna in Commerce- TRAFFIC)
    • विश्व वन्यजीव कोष (World Wildlife Fund)
    • पर्यावरण जाँच एजेंसी (Environmental Investigation Agency)
    • पशु कल्याण के लिए अंतरराष्ट्रीय कोष  (International Fund For Animal Welfare)
  • भारत में कानूनी ढाँचा
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: भारत में वन्यजीव व्यापार को विनियमित और प्रतिबंधित करने के लिए एक मजबूत कानूनी और नीतिगत ढाँचा है।
    • CITES सदस्यता: भारत वर्ष 1976 से CITES का सदस्य रहा है।
    • वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (Wildlife Crime Control Bureau- WCCB): यह देश में संगठित वन्यजीव अपराध से निपटने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक बहु-विषयक निकाय है।
  • भारत में संरक्षण परियोजनाएँ
    • प्रोजेक्ट एलिफेंट मानव-हाथी संघर्ष को संबोधित करता है और हाथियों के आवासों की रक्षा करता है।
    • प्रोजेक्ट टाइगर लुप्तप्राय बाघों एवं उनके आवासों का संरक्षण करता है।

भारत में वन्यजीवों के लिए संवैधानिक प्रावधान

  • प्राधिकरण का स्थानांतरण: वर्ष 1976 के 42वें संशोधन अधिनियम ने ‘वन और जंगली जानवरों और पक्षियों की सुरक्षा’ विषय को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया।
  • मौलिक कर्तव्य: संविधान का अनुच्छेद-51 A (g) वनों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और संवर्द्धन को प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य बनाता है।
  • राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांत: संविधान के अनुच्छेद-48A में कहा गया है कि ‘राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा देश के जंगलों एवं वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा।’

वन्यजीव अपराध के लिए प्रेरक कारक

  • रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार: स्थलीय वन्यजीव अपराधों, मत्स्यपालन और लकड़ी के व्यापार में भ्रष्टाचार एक प्रमुख चालक है। यह अवैध शिकार, परिवहन, प्रसंस्करण और उत्पाद की बिक्री सहित आपूर्ति शृंखला के प्रत्येक चरण पर अवैध गतिविधियों को सुविधाजनक बनाता है।
  • काले धन को वैध बनाना (धन शोधन) 
    • संगठित अपराध के प्रति आकर्षण: वन्यजीव अपराध आकर्षक है, अपेक्षाकृत कम जोखिम के साथ बड़े मुनाफे की संभावना के कारण संगठित अपराध समूहों को आकर्षित करता है।
    • अवैध वित्तीय प्रवाह का शोधन: गैंडे के सींग और हाथीदाँत जैसे वन्यजीव उत्पादों की उच्च कीमतें पर्याप्त अवैध वित्तीय प्रवाह का संकेत देती हैं, जिन्हें उनके अवैध मूल को छुपाने के लिए शोधन किया जा सकता है।
  • सीमित वित्तीय जाँच: कई देश वन्यजीव अपराध से जुड़े अपराध की आय या संभावित मनी लॉण्ड्रिंग अपराधों की पहचान करने के लिए वित्तीय जाँच नहीं करते हैं।
    • उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है, जो वित्तीय जाँच करता है।
  • विधायी ढाँचे में अंतर: दुनिया भर में जाँचकर्ताओं के सामने आने वाली मुख्य समस्याओं में से एक विभिन्न देशों में जंगली जानवरों की कानूनी स्थिति में अंतर है।
    • जब एक देश में संरक्षित किसी जानवर का व्यापार CITES के तहत प्रतिबंधित नहीं है, तो किसी भी कानूनी विवाद से बचने के लिए इसे ‘कैपटिव ब्रीड’ के रूप में बेचा जा सकता है।
  • भारत में वन्यजीव तस्करी को चलाने वाले कारक: वन्यजीव और पौधों की तस्करी के पीछे मुख्य कारण भोजन, दवा, पालतू जानवरों का व्यापार और शरीर के अंगों से फैशन उत्पाद एवं श्रंगार संबंधी उत्पादों को निर्मित करना जैसे कारण थे। 
  • विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट, 2024 में कहा गया है कि माँग की प्रत्येक श्रेणी में व्यापार की गतिशीलता का अपना सेट शामिल होता है।
    • उदाहरण: फैशन ट्रेंड के लिए अजगर की खाल की माँग को प्रभावित करने वाले कारक उसके मांस या पालतू जानवरों के व्यापार की माँग को प्रभावित करने वाले कारकों से भिन्न हैं।

पर्यावरण पर वन्यजीव व्यापार का प्रभाव

  • प्राकृतिक निवासियों का ह्रास: वन्यजीव व्यापार से प्राकृतिक आवासों और देशज प्रजातियों की आबादी में कमी आती है।
    • उदाहरण: अप्रैल 2010 में, अंतिम ज्ञात वियतनामी जावन (Javan) गैंडा था। यह राइनोसेरोस सोंडाइकस एनामिटिकस (Rhinoceros Sondaicus Annamiticus) उप-प्रजाति का अंतिम सदस्य था, जिसे शिकारियों द्वारा मार दिया गया था।
  • आक्रामक प्रजातियों का प्रसार: पालतू जानवरों के व्यापार के कारण पारिस्थितिकी तंत्र में आक्रामक प्रजातियों का प्रवेश, जैसे लाल कान वाले स्लाइडर कछुए और सकरमाउथ सेलफिन कैटफिश।

संगठित अपराध (Organized Crime) के बारे में

  • संक्षेप में: आर्थिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से या अलग-अलग किए गए कार्य।
  • प्रकार: संगठित गिरोह आपराधिकता, रैकेटियरिंग, सिंडिकेट अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर अपराध, मानव तस्करी, मनी लॉण्ड्रिंग, हिंसा, ह्यूमन ट्रैफिकिंग, जबरन वसूली, जालसाजी।
  • कानूनी स्थिति: भारत में राष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध से निपटने के लिए कोई विशिष्ट कानून नहीं है।

आगे की राह

  • विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट, 2024 की सिफारिशों पर कार्रवाई करना: यह उन समाधानों का उपयोग करने के महत्त्व पर जोर देता है, जिन्हें आपराधिक संरचनाओं, वित्तीय प्रोत्साहनों और तस्करी शृंखलाओं के विकसित माँग पैटर्न में अंतर्दृष्टि प्राप्त करके इन प्रयासों में सहायता के लिए चल रहे वन्यजीव अपराध अनुसंधान के लिए तैयार किया जा सकता है।
    • आपराधिक न्याय प्रतिक्रियाओं को स्रोत से लेकर अंतिम बाजार तक आधुनिक, मजबूत और सामंजस्यपूर्ण बनाया जाना चाहिए।
    • रणनीतिक हस्तक्षेप: हजारों वन्यजीव प्रजातियों के प्रभावित होने और अलग-अलग बाजारों की एक विस्तृत शृंखला के कारण कई पर्यावरणीय एवं सामाजिक नुकसान हो रहे हैं, वन्यजीव तस्करी को कम करने के लिए हस्तक्षेप को प्राथमिकता और अधिक रणनीतिक बनाने की आवश्यकता है।
    • संगठित अपराध को समग्र रूप से संबोधित करना: वन्यजीव अपराध से निपटने के लिए यह आवश्यक है।
  • भ्रष्टाचार और प्रौद्योगिकी पर जाँच: विश्व वन्यजीव अपराध रिपोर्ट, 2024 ने भ्रष्टाचार और प्रौद्योगिकी को भी ऐसे क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया है जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
    • संचार अवरोधन, गुप्त ऑपरेशन, सुनने और ट्रैकिंग उपकरणों का उपयोग, नियंत्रित डिलीवरी आदि सहित विशेष जाँच तकनीकों के अधिक-से-अधिक उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
    • खुफिया संग्रह और व्यापक वन्यजीव डेटासेट: सुरक्षित और समय पर खुफिया जानकारी साझा करने के लिए बेहतर खुफिया संग्रह विधियों और विकासशील ढाँचे और प्रोटोकॉल की आवश्यकता है।
  • तालमेल एवं सहयोग: समुद्री वन्यजीव तस्करी का मुकाबला करने के लिए भारतीय तटरक्षक बल और वन/पुलिस/सीमा शुल्क के बीच तालमेल महत्त्वपूर्ण है।
    • ज्ञान अंतराल को पाटने के लिए व्यापार शृंखला में सामंजस्य, प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेटा और विश्लेषणात्मक क्षमता के निर्माण के लिए निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है। 
    • वन्यजीव अपराध आपस में जुड़ा हुआ है और इसलिए, समग्र रूप से संगठित अपराध से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है।
  • वन्यजीव अपराध को वित्तीय अपराध के रूप में संबोधित करना: वन्यजीव तस्करी से संबंधित वित्तीय खुफिया जानकारी साझा करने के लिए FIU-भारत, और वन/पुलिस/सीमा शुल्क/ के बीच समन्वय और सहयोग स्थापित करना।
    • वित्तीय अपराध के रूप में वन्यजीव अपराध की जाँच करने और उस पर अंकुश लगाने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act- PMLA) के प्रावधानों का उपयोग करना।

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