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WTO का मत्स्यन सब्सिडी पर समझौता

Lokesh Pal September 29, 2025 03:02 75 0

संदर्भ

12वें WTO मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (2022) में अनुमोदित मत्स्यन सब्सिडी पर WTO समझौता, 2025 WTO सदस्यों के दो-तिहाई समर्थन की प्राप्ति के पश्चात् आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया है।

समझौते के मुख्य प्रावधान

  • यह पर्यावरणीय स्थिरता को केंद्र में रखने वाला पहला बहुपक्षीय व्यापार समझौता है।
  • अवैध मत्स्यन सब्सिडी पर प्रतिबंध: अवैध, असूचित और अनियमित (IUU) मत्स्यन गतिविधियों में संलग्न जहाजों या संचालकों को सरकारी सब्सिडी पर प्रतिबंध लगाता है।
  • मत्स्य भंडार का अति दोहन: अति-दोहन किए गए मत्स्य भंडार के लिए सब्सिडी निषिद्ध होगी, सिवाय उन मामलों के जहाँ यह जैविक रूप से स्थायी स्तर तक मत्स्य भंडार के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से प्रावधानित हो।
  • ‘हाई सी’ में मत्स्यन: राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर और क्षेत्रीय मत्स्य प्रबंधन संगठनों/व्यवस्थाओं (RFMO/As) द्वारा विनियमित नहीं, अनियमित ‘हाई सी’ में मत्स्यन के लिए सब्सिडी पर प्रतिबंध लगाता है।
  • पारदर्शिता तंत्र: सदस्यों को नियमित रिपोर्टिंग के माध्यम से सब्सिडी और मत्स्यन प्रथाओं की जानकारी साझा करनी होगी।
  • विशेष एवं विभेदक व्यवहार (S&DT): विकासशील देशों और अल्प-विकसित देशों को दायित्वों को लागू करने के लिए लागू होने की तिथि से दो वर्ष की संक्रमण अवधि दी जाती है।
  • मत्स्यन सब्सिडी पर समिति: कार्यान्वयन की निगरानी, ​​प्रथाओं की समीक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया है।
  • विश्व व्यापार संगठन मत्स्य कोष: विकासशील अर्थव्यवस्थाओं और अल्प-विकसित देशों को स्थायी मत्स्य प्रबंधन हेतु तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण प्रदान करने के लिए स्थापित किया गया है। इस कोष की घोषणा वर्ष 2022 में की गई और इसके लिए लगभग 18 मिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता दर्ज की गई है।

वैश्विक संदर्भ

  • अति-मत्स्य पालन संकट
    • वर्ष 2021 में वैश्विक मत्स्य भंडार का 35.5% अति-मत्स्य पालन किया गया, जबकि वर्ष 1974 में यह आँकड़ा 10% था।
    • समुद्री मत्स्यन सब्सिडी पर प्रतिवर्ष लगभग 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च किए जाते हैं; इसमें से 22 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सब्सिडी सीधे तौर पर मत्स्य भंडार में कमी का कारण बनती है।
  • जीविका का संकट: दुनिया भर में करोड़ों लोग भोजन, आय और रोजगार के लिए मत्स्य पालन पर निर्भर हैं।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: पहला विश्व व्यापार संगठन समझौता स्पष्ट रूप से सतत् विकास लक्ष्य 14.6 (अति-मत्स्य पालन में योगदान देने वाली सब्सिडी समाप्त करना) को पूरा करने के उद्देश्य से है।

भारत की स्थिति

  • स्थायित्व सिद्धांत: भारत ‘प्रदूषणकर्ता भुगतान सिद्धांत’ और ‘साझा लेकिन विभेदित उत्तरदायित्वों’ (CBDR) का समर्थन करता है और माँग करता है कि ऐतिहासिक रूप से मत्स्य भंडार में कमी के लिए जिम्मेदार देशों को अधिक दायित्व वहन करने चाहिए।
  • न्यूनतम सब्सिडी: भारत उन्नत मत्स्य पालन देशों की तुलना में मत्स्य पालन पर न्यूनतम सब्सिडी प्रदान करता है। इसका मत्स्य पालन क्षेत्र लघु-स्तरीय और पारंपरिक है, औद्योगिक नहीं।
  • आजीविका संबंधी चिंताएँ: यह समझौता भारत के छोटे मछुआरों की रक्षा इस प्रकार करता है:-
    • जहाँ अत्यधिक मत्स्य भंडार के पुनर्निर्माण के उपाय किए जाते हैं, वहाँ सब्सिडी की अनुमति देना।
    • औद्योगिक बेड़ों द्वारा बड़े पैमाने पर IUU मत्स्य पालन को रोकना, जो भारतीय तटीय समुदायों को संसाधनों से वंचित करते हैं।

महत्त्व

  • बहुपक्षीय सहयोग: यह दर्शाता है कि विश्व व्यापार संगठन के सदस्य पर्यावरणीय क्षरण जैसी साझा चुनौतियों के लिए वैश्विक समाधान प्रदान कर सकते हैं।
  • हितों का संतुलन: छोटे मछुआरों की आजीविका की रक्षा करते हुए समुद्री संसाधनों की रक्षा करता है।
  • बहुपक्षवाद को मजबूत करना: व्यापार से जुड़े पर्यावरणीय मुद्दों के समाधान में विश्व व्यापार संगठन की प्रासंगिकता को सुदृढ़ करता है।
  • खाद्य सुरक्षा: स्थायी मत्स्य भंडार सुनिश्चित करता है, जो लाखों लोगों के लिए प्रोटीन का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

सब्सिडी वाली प्रमुख योजनाएँ

  • प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY): विभिन्न मत्स्य पालन गतिविधियों के लिए 40% (सामान्य वर्ग) और 60% (महिला, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति) तक की सब्सिडी।
  • नीली क्रांति योजना: एकीकृत मत्स्य विकास, जलीय कृषि और शीत-शृंखला सुविधाओं के लिए सहायता।
  • मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (Fisheries and Aquaculture Infrastructure Development Fund- FIDF): मत्स्यन बंदरगाह, शीत-शृंखला और प्रसंस्करण इकाइयों जैसी बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के लिए रियायती वित्त तथा ब्याज सहायता।
  • मछुआरों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): कार्यशील पूँजी और निवेश आवश्यकताओं के लिए संस्थागत ऋण प्रदान करने हेतु मछुआरों और मत्स्यपालकों को प्रदान किया गया है।

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