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बांग्लादेश : तख्तापलट एवं षड्यंत्र के सिद्धांत

Lokesh Pal August 14, 2024 05:30 73 0

संदर्भ: 

शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद से ही भारतीय मीडिया में सबसे दिलचस्प मुद्दा यह है कि 84 वर्षीय अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस, जिन्हें “सीआईए एजेंट” कहा जाता है, ने ढाका में शक्तिशाली अवामी लीग को उखाड़ फेंकने का नेतृत्व किया और इसके सबसे बड़े बाहरी समर्थक और क्षेत्रीय शक्ति भारत को पीछे छोड़ दिया है।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: 1975 का आपातकाल, जी-20 शिखर सम्मेलन, (RAW) रॉ, सीआईए, मानचित्र आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: बांग्लादेश संकट, बांग्लादेश संकट में षड्यंत्र के सिद्धांत, भारत-बांग्लादेश संबंध आदि।

बांग्लादेश और ‘विदेशी सहायता’ का डर:

  • उपमहाद्वीप में षड्यंत्र के सिद्धांतों का लंबे समय से प्रचलन रहा है।
  • ऐसी गतिविधियों के लिए किसी सबूत की ज़रूरत नहीं होती और उन्हें गलत साबित नहीं किया जा सकता।
  • दक्षिण एशिया के शासकों ने जब भी अपने देश में मुसीबत का सामना किया है, तो उन्होंने “विदेशी सहयता” के सिद्धांत का सहारा लिया है।
  • 20वीं सदी के उत्तरार्ध में षड्यंत्र के सिद्धांत भारतीय राजनीति का मुख्य हिस्सा थे।
  • जब भारतीय उपमहाद्वीप में भी सरकार को अधिनायकवाद के खिलाफ प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, तो इंदिरा गांधी ने विदेशी हाथ, खासकर सीआईए को दोषी ठहराया।
  • 1975 में जब उन्होंने आपातकाल लगाया, तो इंदिरा गांधी और उनके वामपंथी समर्थकों ने देश में “फासीवादियों” और विदेश में “साम्राज्यवादियों” को उनकी “प्रगतिशील” सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने के लिए दोषी ठहराया।
  • आवामी लीग की प्रमुख व  ढाका में “एक सहयोगी को खोने” के विषय ने भारत व इसकी बांग्लादेश नीति के संबंध में तनाव को जन्म दिया है।
  • हालांकि षड्यंत्र के सिद्धांत राजनीतिक पूर्वाग्रहों को बढ़ावा देते हैं और सामान्य ज्ञान को हतोत्साहित करते हैं।
  • ये प्रत्यक्ष खड़ी राजनीतिक तबाही के कारणों का आकलन करने से बचते हैं।
  • यद्यपि इन्हें पहचानने के लिए भू-राजनीतिक प्रतिभा होने की आवश्यकता नहीं है कि शेख हसीना लगातार अलोकप्रिय होती जा रही थी।
  • उन्होंने अपनी पार्टी को कमजोर कर दिया और इसे निजी जागीर में बदल दिया।
  • बार-बार होने वाले चुनावों में धांधली, सत्ता पर एकाधिकार का सख्त होना, महान नेता के इर्द-गिर्द केन्द्रित मुद्दा और कोविड के बाद की आर्थिक चुनौतियों के साथ बढ़ता अधिनायकवाद कुछ समय के लिए बांग्लादेश में शासन-विरोधी भावना को बढ़ा रहा था।
  • आरक्षण या कोटा के खिलाफ जगह-जगह से तीव्र होते छात्र आंदोलनों ने बांग्लादेश में इस प्रकार के राजनीतिक विद्रोह के लिए अंतिम प्रभावी मुद्दे के रूप में काम किया।
  • हम निश्चित रूप से शेख हसीना के षड्यंत्र सिद्धांत को वरीयता देते रहने के लिए सहानुभूति रख सकते हैं।
  • विशेषज्ञों का भी मानना है कि एक राष्ट्र प्रमुख के रूप में उन्हें अपने असाधारण राजनीतिक करियर के दुखद अंत के स्रोतों को समझने में उन्हें कुछ समय लगेगा जिसने बांग्लादेश को वास्तव में बदल दिया है।
  • हसीना को यकीन है कि अमेरिका ने उन्हें इसलिए उखाड़ फेंका क्योंकि उन्होंने अमेरिका को सैन्य अड्डा देने से इनकार कर दिया था। हालांकि वह एकमात्र दक्षिण एशियाई नेता नहीं हैं जो सत्ता खोने के लिए अमेरिका को दोषी ठहरा रही हैं।
  • निश्चित रूप से, अमेरिकी सेना लंबे समय से एशिया में चीनी सैन्य चुनौती का जवाब देने के लिए ठिकानों और सुविधाओं की तलाश कर रही है।
  • लेकिन यह सुझाव देना कि अमेरिका को बांग्लादेश और पाकिस्तान में ठिकानों की इतनी सख्त जरूरत है कि वह तख्तापलट का आयोजन कर रहा है, यह थोडा अचंभित करने वाला है।
  • हालांकि भ्रम को पनपने के लिए सबूत की जरूरत नहीं होती।

 तख्तापलट सिद्धांत और  सीआईए 

  • तख्तापलट सिद्धांत भी सीआईए को बहुत अधिक श्रेय देता है।
  • सीआईए की क्षमता के बारे में दक्षिण एशियाई लोगों की मान्यता एजेंसी की क्षमता से कहीं ज़्यादा है।

निम्नलिखित संबंधित मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है: 

  • सीआईए हाल के चुनावों में वेनेजुएला के अत्यधिक विवादित राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को हटाने के संबंध में निर्णय नहीं ले सका।
  • अमेरिका क्यूबा में 60 से अधिक वर्षों से सत्ता में काबिज साम्यवादी शासन को हटाने में विफल रहा।
  • यद्यपि पिछले कुछ वर्षों के दौरान, दिल्ली और वाशिंगटन दक्षिण एशियाई मुद्दों पर एक-दूसरे के करीब आए हैं।
  • पिछले कुछ माह में, बांग्लादेश पर द्विपक्षीय मतभेदों को कम करने के लिए एक अहम प्रयास किया गया है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री हसीना की राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ मुलाकात करवाई थी और वाशिंगटन को ढाका पर राजनीतिक दबाव कम करने के लिए भी प्रोत्साहित किया था।
  • बांग्लादेश में जनवरी माह के दौरान संपन्न होने वाले चुनावों के संदर्भ में कई सवालों के बावजूद, बिडेन प्रशासन ने हसीना के नेतृत्व वाली नई सरकार के साथ सहयोग करने की बात को स्वीकार किया था।
  • उक्त वक्तव्य से यह स्पष्ट हो जाता है कि आखिरकार समस्या बांग्लादेश और वाशिंगटन के मध्य नहीं थी, बल्कि यह हसीना का अपने विश्वासपात्रों से तेज़ी से संपर्क खोने व वर्तमान स्थिति तक पहुंचने से है।
  • यहां तक ​​कि रॉ और सीआईए (RAW and the CIA) के मध्य सहयोग भी हसीना के अलोकप्रिय शासन के संदर्भ में चल रही राजनीतिक समस्या को नहीं रोक सका।

निष्कर्ष :

निष्कर्षतः यह कहा जा सकता है कि बाहरी शक्तियों को दोष देने के बजाय आंतरिक मुद्दों को समझना और उनका समाधान करना वास्तविक रूप में राजनीतिक सुधार को बढ़ावा दे सकता है। आत्म-चिंतन और रचनात्मक परिवर्तन को अपनाने से अधिक लचीले लोकतंत्र का निर्माण हो सकेगा।

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