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Lokesh Pal December 20, 2024 05:45 5 0
हाल ही में आयोजित, 23वीं भारत-चीन विशेष प्रतिनिधि बैठक दोनों देशों के तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी, जिसमें सीमा विवाद, आर्थिक सहयोग और 2020 के तनाव के बाद प्रमुख द्विपक्षीय आदान-प्रदान को फिर से शुरू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
चीन-भारत संबंधों में थ्री ‘डी’ फार्मूला
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भारत और चीन के विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की 23वीं बैठक, नव वर्ष 2025 से ठीक पहले हो रही है। इसका एक और महत्त्वपूर्ण बिन्दु यह है कि भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे हैं। 2025 में एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन की संभावित यात्रा से संबंधों को और मजबूती मिलने की संभावना है।
भारत और चीन के बीच विशेष प्रतिनिधि वार्ता की बहाली द्विपक्षीय संबंधों में सकारात्मक बदलाव का संकेत देती है, जो वर्षों के तनावपूर्ण संबंधों के बाद राजनयिक संवाद की बहाली को दर्शाती है। हालांकि यह घटनाक्रम गहन सहयोग का वादा करता है, लेकिन सावधानी के साथ आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है। भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 2020 के सबक भुलाए न जाएं और पारदर्शिता, संचार और आपसी विश्वास पर ध्यान केंद्रित करते हुए निवारण और विवाद समाधान के लिए एक मजबूत ढांचा स्थापित करने की दिशा में काम करना चाहिए।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने में “विशेष प्रतिनिधि” (एसआर) तंत्र के महत्व पर चर्चा करें। विशेष प्रतिनिधि वार्ता की बहाली ने द्विपक्षीय संबंधों को कैसे प्रभावित किया है? उल्लेख कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) |
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