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Lokesh Pal
January 25, 2025 05:30
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भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर, भारत को न्यायिक विचार के मूल घटक के रूप में, व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।
संविधान के सिद्धांतों को जीवित बनाए रखने के लिए, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि वर्तमान समय में हमारे कार्य संविधान की नैतिक भावना को बनाए रखें, न कि इसके अंतर्गत निहित न्यायिक विचारों के विरुद्ध कार्य कर इसकी प्रासंगिकता को प्रभावित करें। संविधान के मूल सिद्धांतों के साथ तारतम्यता स्थापित करने के प्रयासों में विफल होने पर सभी के लिए स्वतंत्रता, सम्मान और न्याय के प्रति इसकी दृष्टि को अस्वीकार करने का जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्नप्रश्न. “संविधान की नैतिक भावना को बनाए रखने में न्यायपालिका की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।” इस कथन का विश्लेषण कीजिए, साथ ही यह स्पष्ट कीजिए कि भारत में जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को मजबूत करने के लिए अनुच्छेद 21 की न्यायिक व्याख्याएँ किस प्रकार विकसित हुई हैं। (10 अंक, 150 शब्द) |
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