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भारत और EFTA पर एक ताजा रुख

Lokesh Pal March 14, 2024 05:45 104 0

संदर्भ:

भारत द्वारा यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ एक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किया गया।

प्रारंभिक परीक्षा की प्रासंगिकता: यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA), TEPA के प्रावधान।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते।

पृष्ठभूमि:

  • यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA): आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड को औपचारिक रूप से यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के रूप में जाना जाता है।
  • समयरेखा: वर्ष 2008 से समझौते में चल रहे विकास को अंतिम रूप देने के लिए भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के सदस्यों के मध्य 16 वर्षों में 21 दौर की बातचीत हो चुकी है।

EFTA के प्रावधान:

  • निवेश और रोजगार पर प्रतिबद्धता: यह भारत के लिए पहला FTA है जहाँ उसे भागीदार देशों से निवेश और रोजगार के संबंध में प्रतिबद्धता प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई है।
  • भारतीय सेवा फर्मों के लिए वीजा सुविधा: यह समझौता बाजार पहुँच के संदर्भ में, आसान वीजा नियमों के साथ भारतीय सेवा फर्मों के लिए अधिक अवसर प्रदान करता है, ताकि वे इन देशों को आधार के रूप में उपयोग करके अन्य यूरोपीय बाजारों का भी लाभ उठा सकें।
    • इससे भारतीय पेशेवरों (वास्तुकार, लेखाकार और नर्स) को भी अधिक अवसर प्राप्त हो सकते हैं।
  • भारत में 100 अरब डॉलर के नए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और 15 वर्षों में दस लाख नौकरियों के सृजन की प्रतिबद्धता: देश के सबसे बड़े EFTA व्यापार भागीदार स्विट्जरलैंड में भारत के अधिकांश वस्तुओं के निर्यात के संबंध में पहले से ही शुल्क-मुक्त स्थिति प्राप्त है।
    • हालाँकि, TEPA एक महत्वपूर्ण समझौता है, क्योंकि यह भारत में 100 बिलियन डॉलर का नया प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और 15 वर्षों में दस लाख नौकरियाँ सृजित करने हेतु प्रतिबद्ध है।
  • निष्कासन सूची: डेयरी, सोया, कोयला, सोना आयात और संवेदनशील कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों को निष्कासन सूची में रखा गया है और इन वस्तुओं पर कोई शुल्क संबंधी छूट लागू नहीं होगी।
  • सस्ते उत्पाद: भारतीय उपभोक्ताओं को अब सस्ती वाइन और चॉकलेट प्राप्त हो सकती हैं, जबकि उत्पादकों को सस्ती मशीनरी तक पहुँच प्राप्त हो सकेगी ।
  • डेटा विशिष्टता: भारत द्वारा डेटा विशिष्टता के संबंध में प्रावधानों को समझौते में शामिल करने की माँग को खारिज कर दिया गया हैं।

EFTA के साथ TEPA समझौते का महत्व:

डेटा विशिष्टता:

  • यह बौद्धिक संपदा संरक्षण का एक रूप है जो विशेष रूप से फार्मास्युटिकल क्लिनिकल परीक्षणों के डेटा पर लागू होता है।
  • इसका मतलब यह है कि किसी दवा की सुरक्षा और प्रभावकारिता के परीक्षण के दौरान उत्पन्न सभी डेटा जो आम तौर पर सार्वजनिक डोमेन में होता है, वह अब कंपनी के लिए विशिष्ट हो जाता है।
  • ये विशिष्टता नियम, जेनेरिक कंपनियों को विशिष्ट देश के कानून के आधार पर 5 से 12 वर्षों तक मूल फार्मा कंपनी के नैदानिक ​​​​परीक्षण डेटा पर निर्भर रहने से रोकते हैं।
  • यह पेटेंट संरक्षण के तहत स्वतंत्र रूप से संचालित होता है और जेनेरिक निर्माताओं को विपणन (मार्केटिंग) अनुमोदन प्राप्त करने से रोक सकता है।
  • एकाधिकार: डेटा विशिष्टता की अवधि के दौरान किसी भी जेनेरिक दवा को मंजूरी नहीं दी जा सकती जिसके परिणामस्वरूप नए दवा उत्पाद के संबंध में एकाधिकार प्राप्त हो जाता है। पेटेंट की तरह डेटा विशिष्टता को भी चुनौती नहीं दी जा सकती।

  • बातचीत के द्वारा शीघ्र समाधान : पुनः बातचीत शुरू कर भारत द्वारा EFTA सौदे पर तेजी से मुहर लगाना एक सराहनीय प्रयास  है।
  • भारत का दूसरा प्रमुख व्यापार समझौता: EFTA के साथ संपादित यह समझौता निम्न मायनों में महत्वपूर्ण है –
    •  संयुक्त अरब अमीरात के साथ समझौते के बाद भारत का यह दूसरा महत्वपूर्ण व्यापार समझौता है I
    •  पश्चिमी देशों के समूह के साथ यह पहला समझौता है।
  • व्यापार समझौतों के संबंध में भारत की प्राथमिकता:
    • भारत कृषि और डेयरी जैसे उद्योगों के हितों की रक्षा के लिए क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) से बाहर हो गया है ।
  • संरक्षणवाद के युग में एक सकारात्मक संकेत : उच्च आयात शुल्क और संरक्षणवादी नीतियों के कारण हुई पिछली आलोचना के बावजूद, भारत मुक्त व्यापार को अपनाने हेतु  तैयार प्रतीत होता है, भले ही कई देशों द्वारा अधिक संरक्षणवादी नीतियाँ अपनाई जा रही हो ।
  • पहली बार गैर-व्यापार मुद्दों का शामिल होना:भारत पहली बार, EFTA समझौता के तहत किसी आर्थिक समझौते में श्रम, मानवाधिकार, पर्यावरण और लिंग जैसे गैर-व्यापार मुद्दों को शामिल करने पर सहमत हुआ है।
  • सुरक्षित आपूर्ति श्रृंखला: इन व्यापार समझौतों के तहत भारत को महत्वपूर्ण कच्चे माल और संसाधनों की अपेक्षाकृत स्थिर और विविध आपूर्ति प्राप्त हो सकती हैं और भारत उत्पादन के विभिन्न चरणों में भागीदारी सुनिश्चित करते हुए वैश्विक मूल्य श्रृंखला में एकीकृत हो सकता है।
    • कोविड महामारी के दौरान आपूर्ति श्रृंखलाओं में आये व्यवधान ने चीन पर अत्यधिक निर्भरता के जोखिम के साथ ‘चीन-प्लस वन’ नीति की आवश्यकता को भी उजागर किया।
    • भारत द्वारा एक संभावित विकल्प के रूप में यूके, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय संघ आदि के साथ व्यापार सौदों पर विचार किया जा रहा है।

निष्कर्ष: भारत-ईएफटीए समझौता द्वारा पर्याप्त आर्थिक लाभ का भरोसा उत्पन्न होता दिखाई देता है, जिसमें बढ़ी हुई आपूर्ति श्रृंखला, विस्तारित व्यापार अवसर, व्यापार और निवेश में वृद्धि, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास शामिल है।

News Source: The Hindu

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