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नए भारत हेतु खादी का एक नया दृष्टिकोण

Lokesh Pal August 24, 2024 06:00 56 0

संदर्भ :

राज्यसभा सांसद और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक संपादकीय लेख के माध्यम से भारत में खादी उद्योग की स्थिति पर चिंता व्यक्त की। जिसने हाल के वर्षों में खादी क्षेत्र द्वारा की गई प्रगति पर पुनः चर्चा प्रारंभ कर दी है।

खादी क्षेत्र संबंधी प्रमुख बिंदु

  • अपनी गहन ऐतिहासिक जड़ों के साथ खादी उद्योग भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है। इसने स्वदेशी आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके महत्त्व के बावजूद, स्वतंत्रता के बाद खादी को बढ़ावा देने के प्रयास सीमित थे।
  • हालाँकि, पिछले दशक में इस प्रतिष्ठित वस्त्र को पुनर्जीवित करने पर पुनः ध्यान केंद्रित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया पहल वैश्विक मंच पर खादी को बढ़ावा देने में सहायक रही है। ‘मन की बात’, जी20 सम्मेलन और प्रवासी भारतीयों के साथ वार्ता जैसे मंचों के माध्यम से उन्होंने खादी के महत्त्व और उसके प्रयोग को काफी हद तक बढ़ाया है। ‘हर घर तिरंगा’ अभियान इस पहल को और विकसित तथा समृद्ध करता है।

खादी उद्योग संबंधी आँकड़ें 

  • उत्पादन और बिक्री में वृद्धि : 2014 में नई सरकार के गठन के बाद से खादी क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है :
    • बिक्री : वित्त वर्ष 2013-14 में ₹31,154.20 करोड़ से 2023-24 तक बिक्री 5 गुना बढ़कर ₹1,55,673.12 करोड़ हो गई है।
    • खादी वस्त्र : खादी वस्त्रों की बिक्री में 500.90% की वृद्धि हुई, जो ₹1,081.04 करोड़ से बढ़कर ₹6,496 करोड़ हो गई।
    • उत्पादन : कुल उत्पादन में लगभग 315% की वृद्धि हुई है| खादी वस्त्रों का उत्पादन लगभग 295% बढ़कर ₹811.08 करोड़ से ₹3,206 करोड़ हो गया।
  • रोज़गार के अवसर : खादी क्षेत्र ने भी पर्याप्त रोज़गार के अवसर पैदा किए हैं :
    • कारीगर : कारीगरों और उद्यमियों के लिए रोज़गार 2013-14 में 1.3 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में 1.87 करोड़ हो गया, जो 43.65% की वृद्धि को दर्शाता है। 
    • संस्थाएँ : लगभग 3,000 खादी संस्थाएँ वर्तमान में कार्यरत हैं, जो लगभग पाँच लाख कारीगरों को रोज़गार दे रही हैं, जिनमें से 80% महिलाएँ हैं।
  • बढ़ा हुआ पारिश्रमिक
    • मजदूरी : कारीगरों की मजदूरी में 2013-14 में ₹4 प्रति व्यक्ति से 2023-24 में ₹10 प्रति व्यक्ति तक 150% की वृद्धि देखी गई है। 
    • सरकारी खरीद : खादी उत्पादों की सरकारी खरीद 2013-14 में ₹42.25 करोड़ से बढ़कर पिछले दशक में ₹111.86 करोड़ हो गई है।
  • राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री में वृद्धि
    • ‘हर घर तिरंगा अभियान’ ने खादी राष्ट्रीय झंडों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जो 2013-14 में ₹87 लाख से 2023-24 में ₹10.45 करोड़ तक 1,101.15% बढ़कर ₹10.45 करोड़ हो गई है। पिछले तीन वर्षों में कुल बिक्री ₹33 करोड़ से अधिक हो गई है।

भविष्य के लिए एक दृष्टि

  • आधुनिकता को अपनाते हुए विरासत का संरक्षण
  • ‘नए भारत की नई खादी’ की विशेषता इसकी समृद्ध विरासत को संरक्षित करने और समकालीन आवश्यकताओं के अनुकूल होने के बीच संतुलन है, जिसमें शामिल हैं :
    • नवाचार : आधुनिक मांगों को पूरा करने के लिए तकनीकी और प्रौद्योगिकी आधारित नवाचारों को प्रोत्साहित करना।
    • कारीगरों का समर्थन करना : उचित मजदूरी, बेहतर कार्य स्थितियों और कारीगरों के लिए विस्तारित बाजार पहुँच सुनिश्चित करना।
    • बुनियादी ढाँचे का विकास : उत्पादन, वितरण और प्रचार का समर्थन करने के लिए बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना।

निष्कर्ष

‘नए भारत की नई खादी’ विकास और आधुनिकीकरण का मिश्रण है, जो समकालीन आवश्यकताओं के अनुकूल होने के साथ-साथ अपनी समृद्ध विरासत को भी संरक्षित करती है। खादी क्षेत्र ने उत्पादन, बिक्री और रोज़गार में उल्लेखनीय सुधार देखा है, जो भारत के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने में इसके महत्त्व को रेखांकित करता है। हालाँकि, इस प्रगति को बनाए रखने हेतु निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। नवाचार पर जोर देना, कारीगरों का समर्थन करना और मजबूत बुनियादी ढाँचा सुनिश्चित करना भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में खादी की प्रासंगिकता और योगदान को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण होगा।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

नए भारत के विकास में खादी के महत्त्व को समझाते हुए, इस उद्योग में आने वाली विभिन्न चुनौतियों और उनके समाधानों की समीक्षात्मक आलोचना कीजिए ।

(10 अंक, 150 शब्द)

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