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Lokesh Pal
May 27, 2025 05:00
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ऑपरेशन सिंदूर जैसे भारत के सफल सैन्य अभियानों ने इसकी क्षमताओं को प्रदर्शित किया है, फिर भी इसकी वैश्विक छवि कमजोर बनी हुई है। चूंकि भारत के बारे में भ्रामक सूचना लोकप्रिय मीडिया और पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग के माध्यम से प्रसारित हो रही है, इसलिए भारत से बीबीसी, सीएनएन या अल जजीरा जैसे अपने स्वयं के अंतरराष्ट्रीय मीडिया मंच बनाने की मांग बढ़ रही है जो भारत की आख्यान को अपनी शर्तों पर बता सके।
आख्यान के मोर्चे पर भारत की चुप्पी अब तटस्थ नहीं बल्कि नुकसानदेह है। सही मायने में सुने जाने और सम्मान पाने के लिए, भारत को यह आकार देना होगा कि उसे कैसे देखा जाए । 21वीं सदी में, धारणा ही शक्ति है। भारत का उत्थान अधूरा रहेगा यदि इसकी कहानी दूसरों द्वारा बताई जाती रहेगी। अब समय आ गया है कि माइक और संदेश पर अपना दावा किया जाए।
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