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कृषि सब्सिडी

Lokesh Pal August 10, 2024 05:00 62 0

संदर्भ: 

भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (आईसीआरआईईआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कृषि बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अर्थात लगभग 73%, कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी के लिए आवंटित किये जाने की बात को स्वीकारा गया है जिससे यह चर्चा में है। 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: 1943 का बंगाल अकाल, पीएल480 समझौता, न्यूनतम समर्थन मूल्य, उच्च उपज देने वाली किस्में, एनपीके अनुपात, आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत की खाद्य सुरक्षा में कृषि सब्सिडी की भूमिका, कृषि सब्सिडी से जुड़ी चिंताएँ, आदि।

भारत में आये अकाल और आपात स्थितियाँ :

  • 1943 का बंगाल अकाल: “1943 का बंगाल अकाल, 1943 में ब्रिटिश भारत के बंगाल क्षेत्र में भयंकर अकाल पड़ा। इसके परिणामस्वरूप कुपोषण या बीमारी के कारण लगभग 38 लाख लोगों की मृत्यु हो गई थी। 
  • प्रथम स्वतंत्रता दिवस- 1947: भारत का प्रथम स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त, 1947 को मनाया गया उस समय भारत को कृषि सहित अनेक क्षेत्रों से समस्याओं का सामना करना पड़ा। 
  • खाद्य सहायता कार्यक्रम – 1954: भारत द्वारा खाद्य सहायता कार्यक्रम 1954 के माध्यम से कृषि व्यापार विकास सहायता (सार्वजनिक कानून 480), के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ पाँच समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
    • अतः 1954 का भारत – अमेरिका कृषि व्यापार विकास सहायता (सार्वजनिक कानून 480), समझौता सम्पन्न किया गया, जिसके तहत भारत को अमेरिका से गेहूं आयात करने की अनुमति मिली हालांकि उस गेंहू की गुणवत्ता इतनी खराब थी कि उसे जानवरों को भी नहीं खिलाया जा सकता था।
  • 13 सदस्यीय फोर्ड फाउंडेशन- 1959: जनवरी 1959 के अंत में, अमेरिका से 13 सदस्यीय फोर्ड फाउंडेशन प्रायोजित कृषि उत्पादन दल ने भारत में दो महीने से अधिक समय बिताया, विभिन्न राज्यों की यात्रा की और जमीनी स्तर पर लोगों से तथा “ग्राम सेवक से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी स्तर के अधिकारियों से मुलाकात की।” उनका मुख्य उद्देश्य भारत की खाद्य उत्पादन समस्याओं का अध्ययन करना था।
    • ‘भारत का खाद्य संकट और उससे निपटने के लिए कदम’ शीर्षक वाली उस रिपोर्ट में एक नीतिगत विचार फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निहित था जो आजकल काफी चर्चा में है रिपोर्ट में किसानों को दिए जाने वाले तीन “विशिष्ट आश्वासन” सूचीबद्ध किए गए हैं:
  • हरित क्रांति-1960: अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान केंद्रों ने गेहूं, चावल और मक्का जैसी खाद्य फसलों की उच्च उपज देने वाली किस्मों (HYV) को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • कुल खाद्यान्न उपलब्धि – 1972: पंजाब ने भारत के कुल खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 70% का योगदान दिया।
  • निर्यात पर प्रतिबंध –  भारत ने गेहूं, चावल और चीनी आदि की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने और घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए इन वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।

वर्तमान स्थिति : 

  • घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के उपाय – 2023-24: 2023-24 में भारत का कृषि निर्यात 53 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। भारत गेहूं, चावल और चीनी का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने और घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए इन वस्तुओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

कृषि सब्सिडी:

  • कृषि सब्सिडी वित्तीय प्रोत्साहन या मौद्रिक भुगतान हैं जो सरकारें किसानों और कृषि उत्पादकों को उनके कार्यों को समर्थन देने के लिए प्रदान करती हैं।
  • प्रकार:
    • उर्वरक सब्सिडी।
    • जल सब्सिडी।
    • बिजली सब्सिडी।
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य।
    • ऋण सब्सिडी।
    • सिंचाई सब्सिडी।
  • उत्पत्ति: भारत में खाद्यान्न उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए, शुरू में उच्च गुणवत्ता वाले बीज और उर्वरकों की खरीद के लिए सब्सिडी प्रदान की गई थी।
  • विस्तार: अब इसमें बिजली, सिंचाई, डीजल, फसल बीमा आदि के लिए सब्सिडी शामिल है।
  • व्यय: भारत सरकार हर साल कृषि सब्सिडी पर कुल 5 लाख करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

कृषि सब्सिडी से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ:

  • राजकोषीय घाटे में वृद्धि: कृषि सब्सिडी का राजकोषीय घाटे पर काफी प्रभाव पड़ता है। खाद्य, उर्वरक और ईंधन सब्सिडी के रूप में जानी जाने वाली 3-एफ, कुल सब्सिडी का 95% हिस्सा है।
  • उर्वरक दुरुपयोग: भारत का उर्वरक सब्सिडी बिल 2.55 लाख करोड़ रुपये है, जो संशोधित अनुमान से भी अधिक है।
    • नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में भारत का औसत एनपीके अनुपात 8:3:1 था, जो सुझाए गए 4:2:1 अनुपात से काफी अलग है।
    • नाइट्रोजन आधारित उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग: भारत यूरिया का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जो नाइट्रोजन आधारित उर्वरक है, जिससे मिट्टी में अम्लता बढ़ती है।
    • उर्वरक अधिकता का स्वास्थ्य पर प्रभाव : यूरिया का दुरुपयोग भारत में कैंसर के मामलों को बढ़ा रहा है।
  • विद्युत सब्सिडी: विद्युत पर सब्सिडी मिलने के कारण किसान अधिक जल दोहन करने लगे है जिससे पंजाब में 109 प्रशासनिक ब्लॉकों में भूजल स्तर तेजी से घट रहा है, जिससे खतरे की घंटी बज गई है। 30% कुओं में भूजल स्तर में गिरावट दर्ज की गई है।
    • पंजाब भूजल दोहन में प्रथम : पंजाब में भूजल का दोहन 164% है, जो इस सूची में सबसे ऊपर है। संगरूर और मलेरकोटला में भूजल का दोहन रिचार्ज किए गए भूजल से तीन गुना से भी ज़्यादा है। आंकड़ों से पता चलता है कि राजस्थान में भूजल का दोहन 148% है और हरियाणा में यह 136% है।
  • न्यूनतम समर्थन मूल्य: यह एक सरकारी समर्थन योजना है, जो कुछ फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य निर्धारित करती है जिस पर किसान खरीफ और रबी मौसम के दौरान अपनी उपज बेच सकते हैं।
    • थाईलैंड में विश्व व्यापार संगठन की बैठक में भारत के एमएसपी को निशाना बनाया गया और आरोप लगाया गया कि भारत अपने अतिरिक्त खाद्यान्न को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डंप कर रहा है।
    • भारत में किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग करते हैं, जो सरकार के लिए संभव नहीं है।
    • इसके अलावा, एमएसपी ने मोनोक्रॉपिंग को बढ़ावा दिया है, जो एक ही फसल उगाने की प्रथा है। इससे मिट्टी का काफी क्षरण हुआ है, जिससे उत्पादकता में और गिरावट आई है।

आगे की राह :

  • कृषि सब्सिडी समाप्त करना कोई समाधान नहीं: नाबार्ड के अनुसार, ऋणी कृषि परिवारों के लिए बकाया ऋण (एओडी) की औसत राशि 1,04,602 है।
    • 2022 में आत्महत्या दर लगभग 4% बढ़ने का अनुमान : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2022 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ऋणी कृषि परिवारों  में प्रतिदिन 154 किसान और दिहाड़ी मजदूर आत्महत्या करते हैं, जिसका मुख्य कारण अत्यधिक ऋण से “पारिवारिक समस्याएं” और “बीमारी” है।
  • कृषि सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाना: कृषि अनुसंधान एवं विकास, तकनीकी उन्नयन, नवाचार और बुनियादी ढांचे पर खर्च में सुधार करना।
    • भारत का कृषि अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) व्यय लगभग ₹8,000 करोड़ है, जबकि उर्वरक पर व्यय लगभग ₹2.5 लाख करोड़ है।
    • जिम्बाब्वे, अर्जेंटीना तथा अन्य देशों में अतार्किक सब्सिडी के कारण कृषि उत्पादकता में गिरावट देखी गई।

निष्कर्ष: 

कृषि अनुसंधान एवं विकास और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देते हुए तकनीकी उन्नयन, नवाचार और बुनियादी ढांचे पर खर्च में सुधार कर, कृषि सब्सिडी का अनुकूलन भारत के कृषि क्षेत्र को बदल सकता है, जिससे भविष्य की पीढ़ियों के लिए खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित हो सकती है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: भारत के आर्थिक विकास और खाद्य सुरक्षा में कृषि सब्सिडी की भूमिका की आलोचनात्मक जांच करें। 

(10 अंक, 150 शब्द)

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