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एयर इंडिया विमान दुर्घटना: सुरक्षा व जीवन एक चुनौती

Lokesh Pal June 16, 2025 05:15 63 0

संदर्भ:

12 जून की तिथि को अपराह्न के समय एयर इंडिया का एक विमान, जिसमे 230 यात्री और 12 चालक दल के सदस्य सवार थे, भारत के उत्तर-पश्चिमी शहर अहमदाबाद से उड़ान भरने के तुरंत बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस भीषण हादसे में केवल एक व्यक्ति को छोड़कर बाकी सभी की मौके पर ही मृत्यु हो गई थी।

भारत: एक वैश्विक विमानन शक्ति

  • भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा घरेलू विमानन बाजार है।
  • प्रत्येक साल 240+ मिलियन यात्री हवाई यात्रा करते हैं; भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक 500 मिलियन घरेलू हवाई यात्रियों तक पहुँचा जाए।
  • माल ढुलाई 3.3 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर 10 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • अपने विमानन आकार के लिहाज़ से भारत केवल अमेरिका और चीन से पीछे है।
  • यही कारण है कि निकट भविष्य में, घरेलू क्षेत्र में भारी वृद्धि की संभावना बनी हुई है
    •  2014 में 74 हवाईअड्डों की संख्या बढ़कर 2025 तक 160 हो गई है, जिसमें हेलीपोर्ट्स और जल हवाई अड्डों को भी शामिल किया गया है।
    •  वहीं वाराणसी हवाई अड्डे का विस्तार कार्य प्रगति पर है।
    •  नए सिविल एन्क्लेव विकसित किए जा रहे हैं: बिहटा और बागडोगरा

भारत के विमानन क्षेत्र में प्रदर्शन का आकलन:

  • आईसीएओ (ICAO) द्वारा प्रभावी कार्यान्वयन (EI) का आकलन: नवंबर 2022 में हुए आईसीएओ ऑडिट में भारत ने 85.65% का प्रभावी कार्यान्वयन (EI) स्कोर हासिल किया, जो कि पहले के 69.95% से काफी बेहतर है, और इससे भारत की वैश्विक रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
    •  वायुप्रवर्तन के मामले में भारत ने अमेरिका और चीन को पीछे छोड़ा।
    •  परिचालन में भारत की रैंकिंग वैश्विक औसत से ऊपर दर्ज की गई है।
    •  इससे भारत को वैश्विक स्तर पर विश्वसनीयता के क्षेत्र में मजबूती मिली है।
  • भारत के विमानन क्षेत्र को 81वें IATA और विश्व वायु परिवहन शिखर सम्मेलन में वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई है और यह स्वयं को एक अग्रणी सेवा प्रदाता के रूप में स्थापित कर रहा है, विशेष रूप से विंग्स इंडिया 2026 जैसी पहलों के माध्यम से (यह एक द्विवार्षिक विमानन कार्यक्रम है जो व्यावसायिक नेताओं और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाता है) इसकी रणनीतिक दृष्टि में समावेशिता, नवाचार, सुरक्षा, स्वदेशी डिज़ाइन, और अंतरराष्ट्रीय विमानन कूटनीति को प्राथमिकता दी गई है।

भारतीय नागरिक विमानन क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ:

  • डीजीसीए की प्रतिक्रियात्मक निगरानी: नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) अक्सर संभावित विमानन समस्याओं को समय रहते पहचानने के बजाय घटनाओं के बाद प्रतिक्रिया करता है, जिससे नीतिगत सक्रियता की कमी दिखाई पड़ती है।
  • सुरक्षा उपायों में विलंब: सुरक्षा से जुड़े कदम अधिकांशतः घटनाओं के बाद उठाए जाते हैं, बजाय इसके कि उन्हें रोकथाम के रूप में पहले से लागू किया जाए।
  • तकनीकी स्टाफ की कमी: विमानों की संख्या की तुलना में प्रशिक्षित तकनीकी कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है, जिससे उचित रखरखाव और निगरानी प्रभावित होती है।
  • पायलट की शारीरिक व मानसिक थकान संबंधी चिंताएं: पायलट अक्सर लंबे समय तक काम करने के कारण थकान का अनुभव करते हैं, जो उड़ान की सुरक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
  • परिचालन संबंधी खामियाँ: लोड प्लानिंग, इंजन रखरखाव और विंग कॉन्फ़िगरेशन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अक्सर खामियाँ देखी जाती हैं, जो विमान की वायुप्रवर्तन क्षमता को प्रभावित करती हैं
  • प्रणालीगत समस्याएँ:
    •  हवाईअड्डा सुरक्षा की कमी: यात्रियों और सामान की जांच प्रणाली पर्याप्त नहीं होने के कारण हवाईअड्डा सुरक्षा कमजोर बनी हुई है।
    •  साइबर सुरक्षा और सामान प्रबंधन संबंधी समस्याएँ: हवाई अड्डे लगातार बढ़ते साइबर खतरों का सामना कर रहे हैं, साथ ही खराब सामान हैंडलिंग सिस्टम भी परिचालन की अखंडता को प्रभावित कर रहे हैं।
    •  शहरी अतिक्रमण का जोखिम: हवाई अड्डे के परिसर के पास अनियमित शहरी अतिक्रमण विमानन संचालन के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा उत्पन्न कर रहा है।
    •  एयर ट्रैफ़िक कंट्रोलर की कमी: वायु यातायात नियंत्रण (ATC) कर्मचारियों की रिक्तियों के कारण उड़ानों का सुरक्षित और कुशल प्रबंधन प्रभावित होता है।
    •  दुर्घटना जांच में वित्तीय कमी: विमान दुर्घटना जाँच ब्यूरो (AAIB) सीमित बजट में कार्य कर रहा है, और कई हवाईअड्डों पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) नहीं है, जिससे सुरक्षा निगरानी और सटीक लैंडिंग प्रभावित होती है।

विमानन क्षेत्र से संबंधित नीतिगत सुधार:

  • विमानन कानून का आधुनिकीकरण: भारतीय वायुयान अधिनियम (2024) ने भारत की विमानन संबंधी कानूनी प्रणाली को आधुनिक बनाया है, जिससे पुराने कानूनों को हटाकर एक समकालीन नियामक ढाँचा स्थापित किया गया है।
  • घरेलू विमानन विनिर्माण: भारत के भीतर विमानन विनिर्माण को प्रोत्साहित करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि आत्मनिर्भरता को बढ़ाया जा सके और आयात पर निर्भरता को कम किया जा सके।
  • केप टाउन कन्वेंशन: भारत ने केप टाउन कन्वेंशन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को कानूनी रूप से मजबूत किया है, जिससे वैश्विक निवेशकों का विश्वास इस क्षेत्र में बढ़ा है।
    •  सीटीसी एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो ऋणदाताओं, जैसे कि पट्टेदारों, उधारदाताओं और वित्तपोषकों जैसे लेनदारों को यह अधिकार देती है कि यदि कोई एयरलाइन लीज भुगतान में चूक करती है, तो वे विमान, इंजन और हेलीकॉप्टर जैसे उच्च-मूल्य मोबाइल परिसंपत्तियों को फिर से प्राप्त कर सकें।
  • विमान पट्टे और वित्तपोषण: भारत में विमान पट्टे और वित्तपोषण को मजबूत करने के लिए नीतिगत उपाय किए गए हैं, जिससे भारत वैश्विक विमानन वित्त के लिए एक प्रतिस्पर्धी केंद्र बन गया है।

राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा योजना (2024–2028):

  • लक्ष्य 1: परिचालन सुरक्षा जोखिमों को कम करना
    •  इस योजना का पहला लक्ष्य विमानन परिचालन से जुड़े जोखिमों को सक्रिय रूप से कम करना है ताकि समग्र सुरक्षा स्तर को बढ़ाया जा सके।
  • लक्ष्य 2: सुरक्षा निगरानी को मजबूत करना
    •  इस योजना का द्वितीय लक्ष्य विमानन सुरक्षा के लिए विनियामक निगरानी और प्रवर्तन तंत्र को बेहतर बनाने पर केंद्रित है।
  • लक्ष्य 3: राज्य सुरक्षा कार्यक्रम को लागू करना
    •  इस योजना का तृतीय उद्देश्य एक संरचित राज्य सुरक्षा कार्यक्रम को कार्यान्वित करना है, जिससे जवाबदेही सुनिश्चित हो सके और सतत सुधार किया जा सके
  • लक्ष्य 4: अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग
    •  इस योजना का चतुर्थ लक्ष्य वैश्विक विमानन सुरक्षा संगठनों के साथ सहयोग को मजबूत करना और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और सुरक्षा मानकों में सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों को बढ़ावा देना है।
  • लक्ष्य 5: सुरक्षा डेटा साझाकरण नेटवर्क का विस्तार
    •  इस योजना का पंचम लक्ष्य विमानन सुरक्षा डेटा के साझाकरण नेटवर्क को विस्तृत करने के प्रयास करना है ताकि जानकारी-आधारित निर्णय लिए जा सकें और जोखिम प्रबंधन को सक्रिय रूप से लागू किया जा सके।

आगामी रणनीति:

  • डीजीसीए (DGCA) की स्वायत्तता: नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को और अधिक स्वतंत्र और सशक्त बनाया जाना चाहिए, ताकि यह संयुक्त राज्य अमेरिका की फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) और यूरोपीय संघ की एविएशन सेफ्टी एजेंसी (EASA) जैसे वैश्विक मानकों के अनुरूप कार्य कर सके।
  • विनियामक मानक: एयरलाइंस और रखरखाव से जुड़ी संस्थाओं को केवल न्यूनतम मानकों का पालन करने तक सीमित न रहकर, सुरक्षा प्रथाओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए।
  • यांत्रिक समस्याओं का सक्रिय समाधान: यांत्रिक खामियों को संकट बनने से पहले ही पूर्वानुमानात्मक रखरखाव और कड़ी जांच प्रक्रियाओं के माध्यम से दूर किया जाना चाहिए।
  • जवाबदेही को सशक्त बनाना: विमानन क्षेत्र के सभी संबंधित पक्षों को अपनी जिम्मेदारियाँ स्पष्ट रूप से स्वीकार करनी चाहिए। एक ऐसी सुरक्षा-संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए जहाँ सतर्कतामूलक उपायों को प्रतिक्रियात्मक सुधारों से अधिक महत्व दिया जाए।
  • पायलटों का शारीरिक व मानसिक कल्याण: पायलटों की शारीरिक व मानसिक थकान रोकने के लिए उन्हें पर्याप्त आराम सुनिश्चित करने और विमान के भार नियोजन में सावधानी बरतने पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए, जो सुरक्षित संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए सिमुलेशन: नियमित कौशल प्रशिक्षण और यथार्थवादी सिमुलेशन को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि आपातकालीन परिस्थितियों में तत्परता और प्रभावशीलता बढ़े तथा पायलटों की निर्णय लेने की क्षमता में सुधार हो।
  • सुरक्षा उपाय: FOQA (फ्लाइट ऑपरेशंस क्वालिटी एश्योरेंस) को अपनाएं और सैटेलाइट ट्रैकिंग, कॉकपिट वॉयस/डेटा मॉनिटरिंग जैसे उन्नत निगरानी उपकरणों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि वास्तविक समय की स्थिति की समझ बेहतर हो और सक्रिय सुरक्षा प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।

निष्कर्ष:

हालांकि वर्तमान समय में एयर इंडिया की यह दुर्घटना एक गंभीर चेतावनी है कि विमानन सुरक्षा को तात्कालिक रूप से प्रणालीगत सुधारों के माध्यम से प्राथमिकता देना आवश्यक है।

  • ऐसी त्रासदियों को भविष्य में रोकने के लिए नियामक निगरानी और जवाबदेही को मजबूत करना अनिवार्य है।
  • नागरिक विमानन क्षेत्र में सतत विकास को बनाए रखने के लिए विश्वास बहाल करना और बनाए रखना आवश्यक है।

 मख्यु परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न. भारत यह कैसे सुनिश्चित कर सकता है कि उसके विमानन क्षेत्र में तेज़ी से वृद्धि यात्रियों की सुरक्षा और मजबूत नियामक निगरानी की कीमत पर न हो?

(10 अंक, 150 शब्द)

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