100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

लोकतांत्रिक देशों का गठबंधन तथा उसके भारतीय निहितार्थ

Lokesh Pal January 17, 2025 05:15 60 0

संदर्भ: 

भारत और यूरोप को एक अधिक मजबूत, अधिक व्यावहारिक साझेदारी निर्मित करनी होगी  तथा संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर वे एक अधिक सुदृढ़ गठबंधन बना सकते हैं।

भारत-यूरोप सहयोग

  • पुनः संगठित होने का अवसर : वर्ष 2024 वैश्विक स्तर पर एक निर्णायक अवधि है, जिसमें विभिन्न चुनावी परिघटनाओं ने विश्व के लोकतंत्र को आकार दिया है। जैसे-जैसे 2025 आगे बढ़ रहा है, यह लोकतंत्रों के लिए पुनः संगठित होने और एक-दूसरे का समर्थन करने के नवीन तरीके खोजने के  अवसर प्रस्तुत कर रहा है।
  • भारत-यूरोप संबंधों में परिवर्तन : इन साझेदारियों में यूरोप और भारत के बीच संबंध सबसे अलग हैं। ऐतिहासिक रूप से रणनीतिक उद्देश्य मजबूत होने के बावजूद, यह प्रभावी क्रियान्वयन के विषय में संघर्षरत रहा है और अब परिवर्तन का समय आ गया है।

विद्यमान चुनौतियाँ

  • बाधित मुक्त व्यापार समझौता 17 वर्षों से अधिक समय से यूरोपीय संघ तथा भारत संबंधों पर मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की चर्चा होती रही है, जिसने सहयोग के अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों को दरकिनार कर दिया है।
  • नौकरशाही बाधाएँ : एफटीए वार्ता नौकरशाही स्तर से ऊपर उठनी चाहिए, क्योंकि अभी तक इसमें प्रगति नहीं हुई है। वार्ता राजनीतिक स्तर पर होनी आवश्यक है । 
  • जटिल वार्ता : विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र और उसके सबसे बड़े व्यापारिक समूह के बीच एक मजबूत एफटीए संरक्षणवाद का मुकाबला कर सकता है तथा आर्थिक और भू-राजनीतिक संबंधों को मजबूत कर सकता है। 
    • जटिल वार्ताओं ने प्रगति में बाधा उत्पन्न की है, जिससे अधिक व्यावहारिक और विविध सहयोग रणनीति के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है।

भू-रणनीतिक मुद्दों पर विचार

  • भू-रणनीतिक मुद्दों की ओर रुख : हालाँकि एफटीए महत्त्वपूर्ण बना हुआ है, लेकिन व्यापार से परे भू-रणनीतिक मुद्दों की ओर रुख करना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। 
  • आर्थिक सुरक्षा : इसमें उच्च स्तरीय राजनीतिक वार्ता शामिल है, जो निम्नलिखित पर केंद्रित है- लचीली आपूर्ति शृंखलाओं के माध्यम से आर्थिक सुरक्षा। 
  • रक्षा सहयोग : साझा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए रक्षा सहयोग।
  • संयुक्त नवाचार : अंतरिक्ष अन्वेषण, उभरती प्रौद्योगिकियों और फार्मास्यूटिकल्स जैसे महत्त्वपूर्ण उद्योगों आदि क्षेत्रों में संयुक्त नवाचार।

भू-राजनीतिक जटिलताएँ

  • यूरोपीय असहमति : यूरोप ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के संबंध में मुख्य रूप से मॉस्को के साथ उसके स्थायी संबंधों के विषय में, भारत के रुख से निराशा व्यक्त की है । ये संबंध ऐतिहासिक और रणनीतिक कारकों में गहराई से निहित हैं।
  • भारत-चीन प्रतिद्वंद्विता : ब्रिक्स के भीतर सहयोग के बावजूद भारत को चीन के साथ जटिल प्रतिद्वंद्विता का सामना करना पड़ रहा है। 
    • भारत लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति अपनी व्यापक प्रतिबद्धता के साथ, बीजिंग की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति के प्रति सतर्क है।
  • भारत की रणनीतिक आवश्यकता : रूस और चीन दोनों के साथ भारत की भागीदारी इसकी रणनीतिक आवश्यकता को दर्शाती है, जिससे वह ध्रुवीकृत शक्ति गुटों में न फँस जाए, क्योंकि विश्व लोकतांत्रिक और निरंकुश गठबंधनों में विभाजित हो रहा है।
  • यूरोप की आर्थिक निर्भरता : रूस और चीन के साथ भारत के संबंधों की आलोचना करते हुए, यूरोप की चीन पर अपनी आर्थिक निर्भरता वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण दुहरे मापदंड को उजागर करती है।
    • उदाहरण के लिए- भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यूरोप की ओर संकेत किया, कि  वह रूस से गैस खरीदना जारी रखता है, जबकि भारत की आलोचना करता है कि वह रूस से गैस और तेल खरीद रहा है।
  • आपसी समझ का विकास : यह स्वीकार करते हुए कि रूस और चीन के बीच “बिना किसी सीमा” वाली साझेदारी भारत, यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित लोकतांत्रिक विश्व के लिए एक सामूहिक संकट प्रस्तुत करती है, एक गहरी आपसी समझ विकसित की जानी चाहिए।
  • सुरक्षा चुनौती : अटलांटिक महासागर में जो कुछ घटित होता है, उसका सीधा प्रभाव हिंद-प्रशांत महासागर पर पड़ता है तथा इसके विपरीत भी। 
    • चीन और रूस के बीच घनिष्ठ गठबंधन बनने से उनकी साझेदारी एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा चुनौती बन गई है, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए जहाँ भू-राजनीतिक तनाव पहले से ही उच्च स्तर पर हैं।

रक्षा एवं व्यापार 

  • चीन का प्रभुत्व शीर्ष 64 उभरती प्रौद्योगिकियों में से 57 में चीन विश्व में सबसे आगे है तथा अमेरिका उसके ठीक पीछे है।
  • भारत का बढ़ता प्रभाव : भारत वैश्विक अनुसंधान और नवाचार का एक प्रमुख केंद्र बन रहा है, जिसमें वैश्विक तकनीकी विकास में योगदान देने की प्रबल क्षमता है।
  • यूरोपीय भागीदारी : कई यूरोपीय देश इस दौड़ में प्रतिस्पर्धी बने हुए हैं तथा वैश्विक तकनीकी प्रगति में योगदान दे रहे हैं।
  • एकता में शक्ति : जबकि अलग-अलग राष्ट्र प्रगति कर रहे हैं, प्रयासों को मिलाकर स्वतंत्र विश्व क्वांटम कंप्यूटिंग से लेकर उन्नत जैव प्रौद्योगिकी तक सभी उभरती प्रौद्योगिकियों में नेतृत्व कर सकता है तथा चीन को वैश्विक प्रभुत्व हासिल करने से रोक सकता है।

आगे की राह

  • सहयोग के लिए रूपरेखा : एक “प्रमुख रक्षा साझेदार” और अमेरिका के साथ क्वाड के सदस्य के रूप में भारत की भूमिका यूरोपीय संघ-भारत रक्षा सहयोग के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है।
  • रक्षा संबंधों को बढ़ाना : यूरोप को भारत के साथ अपने रक्षा संबंधों को बढ़ाना चाहिए तथा रूसी हथियारों पर भारत की निर्भरता कम करने के लिए निवेश और आधुनिक हथियारों की पेशकश करनी चाहिए।
  • अंतरिक्ष अन्वेषण में सहयोग : अंतरिक्ष अन्वेषण भारत और यूरोप के लिए साझा प्रगति के लिए संसाधनों और विशेषज्ञता को संयोजित करने का एक आशाजनक अवसर प्रस्तुत करता है।
  • प्रौद्योगिकी सहयोग का विस्तार : अमेरिका-भारत आईसीईटी पहल जैसे ढाँचे को प्रतिबिंबित करते हुए भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) का उपयोग महत्त्वपूर्ण एवं  उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अधिक प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिए।
  • अस्तित्वगत चुनौतियों को प्राथमिकता देना : यूरोप और भारत को उभरती प्रौद्योगिकियों में चीन के प्रभुत्व से उत्पन्न बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए प्रौद्योगिकी सहयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • व्यापार और निवेश : धीरे-धीरे व्यापार बाधाओं को समाप्त करना और प्रमुख उद्योगों में निवेश को प्रोत्साहित करना।
  • आपूर्ति शृंखला लचीलापन : वैकल्पिक आपूर्ति शृंखला विकसित करके चीन पर निर्भरता कम करना, भारत को एक “विश्वसनीय भागीदार” के रूप में स्थापित करना। चीन व्यापार को हथियार बनाता है और यही कारण है कि अमेरिका, यूरोप और भारत, चीन से आपूर्ति शृंखलाओं को अलग करना चाहते हैं।
    • उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया-चीन संघर्ष के दौरान चीन ने ऑस्ट्रेलियाई कोयले और यूरेनियम के आयात पर प्रतिबंध लगाने की बात की थी।
  • रक्षा सहयोग : अमेरिका के साथ भारत के मौजूदा सुरक्षा संबंधों को मजबूत करने और सुरक्षा आश्वासनों में सुधार करने के लिए यूरोपीय संघ-भारत रक्षा वार्ता में तेजी लाना।
  • प्रौद्योगिकी नेतृत्व : चीन के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए क्वांटम कंप्यूटिंग और जैव प्रौद्योगिकी जैसी उभरती तकनीकियों में सहयोग का विस्तार करना।
  • मजबूत नागरिक संबंध : यूरोप और भारत को व्यावहारिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए तथा मजबूत नागरिक संबंध सहित ठोस संबंधों को बढ़ावा देना चाहिए।
  • यूरोप के लिए आर्थिक लाभ : चूँकि भारत अगले दशक में विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, इसलिए यूरोप को घनिष्ठ संबंधों से लाभ होगा, विशेष रूप से तब, जब वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में उसकी हिस्सेदारी घट रही है।
  • भारत केंद्र में : व्यापक लक्ष्य लोकतांत्रिक देशों का एक शक्तिशाली गठबंधन बनाना है, जिसमें भारत केंद्रीय भूमिका निभाएगा।
  • यूरोप का दृष्टिकोण बदलना : भारत को इस गठबंधन में शामिल करने के लिए यूरोप को उपमहाद्वीप के प्रति अपने दृष्टिकोण का पुनर्मूल्यांकन करना होगा तथा चुनौतियों तथा अवसरों दोनों को स्वीकार करना होगा।

निष्कर्ष

स्पष्ट है कि यूरोप और भारत दोनों ही लोकतंत्र आधारित चुनौतियों का सामना कर रहे हैं तथा उन्हें एक साथ संबोधित करने से दोनों के मध्य साझेदारी मजबूत होगी। व्यक्तिगत रूप से शक्तिशाली यूरोप, भारत और अमेरिका निरंकुश शासनों के बढ़ते प्रभाव के विरुद्ध एक अजेय शक्ति बन सकते हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

यूरोपीय संघ-भारत साझेदारी, अपने रणनीतिक महत्त्व के बावजूद रणनीति के मामले में बड़ी लेकिन क्रियान्वयन के मामले में छोटी रही है। वर्तमान वैश्विक पुनर्संरेखण के प्रकाश में इस कथन का परीक्षण कीजिए तथा पारंपरिक व्यापार वार्ताओं से परे इस संबंध को बदलने के उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.