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भारत में STEM क्षेत्र में महिलाओं के लिए एक उन्नत भविष्य

Lokesh Pal March 08, 2025 05:15 5 0

संदर्भ:

महिला दिवस, 2025 का मुख्य विषय STEM क्षेत्र में बाधाओं को तोड़ने पर है, जहाँ महिलाओं को विभिन्न शैक्षिक, कार्यस्थल पर पूर्वाग्रह और निम्न प्रतिनिधित्व जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और प्रबंधन) में बाधाएँ

  • शैक्षिक चुनौतियाँ: गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सीमित पहुँच और लैंगिक सामाजिक मानदंड महिलाओं को STEM क्षेत्रों में आगे बढ़ने से हतोत्साहित करते हैं।
  • सांस्कृतिक अपेक्षाएँ: महिलाओं से प्रायः यह अपेक्षा की जाती है, कि वे अपने करियर की अपेक्षा अपने परिवार को प्राथमिकता दें, जिससे उनका व्यावसायिक विकास बाधित होता है।
  • लैंगिक रूढ़िवादिता: नियुक्ति, पदोन्नति और वित्त पोषण संबंधी अवसर प्रायः महिलाओं के विरुद्ध पक्षपातपूर्ण होते हैं।
  • कार्यस्थल पर भेदभाव: उत्पीड़न और गैर-समावेशी शैक्षणिक वातावरण कई महिलाओं को STEM क्षेत्र से बाहर कर देते हैं।

वैश्विक दृष्टिकोण

  • स्कूल छोड़ने (Dropout) के कारण: 38 देशों में किए गए एक अध्ययन में महिलाओं में स्कूल छोड़ने की उच्च दर के निम्न कारण सामने आए हैं:
    • गैर-समावेशी कार्यस्थल;
    • कार्य-जीवन संतुलन संघर्ष;
    • उच्च प्रभाव वाले अनुसंधान अवसरों तक सीमित पहुँच आदि।
  • परिवर्तन का मुद्दा: पोस्टडॉक से फ़ैकल्टी (postdoc-to-faculty) में परिवर्तन विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है, जिसमें पारिवारिक उत्तरदायित्वआत्मविश्वास की कमी और महिला आदर्श की अनुपस्थिति जैसी प्रमुख बाधाएँ हैं

विज्ञान में महिलाओं की आवश्यकता

  • नवप्रवर्तन: समावेशी समूह रचनात्मक सफलताओं और बेहतर समस्या समाधान की ओर ले जाते हैं।
  • रोल मॉडल या आदर्श: विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) क्षेत्र में महिलाओं की अधिक संख्या युवा लड़कियों को विज्ञान की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करती हैं।
  • निष्पक्ष अवसर सुनिश्चित करने से अनुसंधान प्रक्रिया बेहतर होती है और समाज को लाभ मिलता है।

STEM में महिलाओं के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ

  • मटिल्डा प्रभाव: विज्ञान में महिलाओं का योगदान ऐतिहासिक रूप से पुरुष सहकर्मियों के योगदान से कम रहा है।
  • कई महिलाएँ पक्षपातपूर्ण शिक्षण, मार्गदर्शन की कमी और शत्रुतापूर्ण कार्यस्थलों के कारण STEM छोड़ देती हैं।
  • ढलान और सीढ़ी मॉडल: संरचनात्मक बाधाएँ, असमान मार्गदर्शन और करियर व्यवधान महिलाओं तथा हाशिए पर व्याप्त समूहों पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं, जिसके लिए प्रणालीगत सुधार की आवश्यकता है।
  • समावेशन: विज्ञान और प्रौद्योगिकी (STEM) में महिलाओं को बनाए रखने तथा उनका समर्थन करने के प्रयासों को चर्चा से आगे बढ़ाया जाना चाहिए, एक समतामूलक और समावेशी वैज्ञानिक समुदाय बनाने के लिए सक्रिय सुधार आवश्यक हैं।
  • भारत में असमानता वर्ष 2020-21 में कुल 98 संस्थानों में किए गए सर्वेक्षण से पता चला है, कि महिला संकाय (फ़ैकल्टी) सदस्यों की संख्या कुल कार्यबल का केवल 17% है।
    • जीवविज्ञान: 23% महिला संकाय
    • इंजीनियरिंग: 8% महिला संकाय
  • कम प्रतिनिधित्व: उच्च रैंक वाले संस्थानों और वरिष्ठ संकाय पदों पर प्रतिनिधित्व व्यापक रूप से कम है। सम्मेलनों में भाग लेने वाली महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है और प्रायः उन्हें करियर को आगे बढ़ाने वाले अवसरों से वंचित रखा जाता है।

लैंगिक समानता सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक रणनीतियाँ

  • संस्थागत सुधार: लचीली कार्य व्यवस्था, किफायती बाल देखभाल सहायता तथा कार्य और पारिवारिक जिम्मेदारियों को एकीकृत करने वाली नीतियाँ जैसे- संस्थागत सुधार, पोस्टडॉक से संकाय में स्थानांतरण में प्रमुख बाधाओं पर नियंत्रण पाने के लिए आवश्यक हैं।
  • मान्यता और जागरूकता: रूढ़िवादिता को चुनौती देने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए महिला वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना। प्रणालीगत असमानताओं को उजागर करने के लिए बायस वॉच इंडिया जैसी पहलों के माध्यम से लैंगिक पूर्वाग्रहों को उजागर करना।
  • सहायता तंत्र: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग जैसे अनुदानों पर आयु प्रतिबंध हटाना; मेंटरशिप नेटवर्क बनाना; पारिवारिक या व्यक्तिगत अवकाश के बाद पुनः करियर में प्रवेश का समर्थन करना; नेतृत्व और निर्णय लेने में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना आदि।

प्रमुख सरकारी पहलें

  • संस्थानों में परिवर्तन हेतु लैंगिक उन्नति (GATI) पायलट परियोजना (2020): STEM में समावेशी वातावरण सुनिश्चित करना।
  • वाइज-किरण (WISE-KIRAN) एवं महिला वैज्ञानिक योजना (WOS): अनुसंधान में महिला भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
  • बायोकेयर (BioCARe) कार्यक्रम: करियर ब्रेक के बाद अनुसंधान में वापस लौटने वाली महिला वैज्ञानिकों को सहायता प्रदान करना।
  • ICMR द्वारा प्रारंभ की गई पहल: महिला स्वास्थ्य और वैज्ञानिक प्रशिक्षण पर केंद्रित कार्यक्रम।

निष्कर्ष:

हालाँकि उपर्युक्त पहलें प्रगति को दर्शाती हैं, लेकिन इन्हें व्यापक प्रणालीगत सुधारों में शामिल करने और एकीकृत करने की आवश्यकता है। STEM में महिलाओं का पूर्ण समावेश सिर्फ़ निष्पक्षता से संबंधित नहीं है, बल्कि यह भारत के वैज्ञानिक और तकनीकी नेतृत्व को मज़बूत करता है एवं समावेशी प्रगति का वैश्विक उदाहरण स्थापित करता है।

       

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत में विभिन्न नीतिगत हस्तक्षेपों के बावजूद STEM क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है। उन सामाजिक-सांस्कृतिक और संस्थागत बिंदुओं पर चर्चा कीजिए, जो उनकी भागीदारी में बाधा डालते हैं, साथ ही प्रतिधारण तथा करियर की प्रगति में सुधार हेतु नीतिगत उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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