यासीन शान मोहम्मद एक साधारण परिवार से बढ़कर 29 वर्ष की आयु में सिविल जज बने हैं। उनका अब तक का जीवन प्रेरणादायक यात्रा दृढ़ संकल्प और दृढ़ता की कहानी है।
पारिवारिक पृष्ठभूमि: एक गरीब परिवार में जन्मे यासीन की मां, जो स्कूल छोड़ चुकी थीं, ने एक कठिन तलाक के बाद उन्हें और उनके भाई-बहनों का अकेले ही भरण पोषण किया।
आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद, यासीन ने अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए डिलीवरी बॉय और मजदूर के रूप में काम किया।
उन्होंने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में डिग्री लेने से पहले इलेक्ट्रॉनिक्स में डिप्लोमा किया। बाद में उन्होंने लॉ स्कूल में दाखिला लिया और राज्य प्रवेश परीक्षा में 46वीं रैंक हासिल की।
अपने अध्ययन के साथ-साथ वह विभिन्न रोजगारों से जुड़े रहे, जिनमें ट्यूशन पढ़ाना और ज़ोमैटो के माध्यम से भोजन पहुंचाना शामिल था।
यासीन की कड़ी मेहनत रंग लाई और उन्होंने 2024 में केरल न्यायिक सेवा परीक्षा पास कर सिविल जज के पद पर नियुक्ति प्राप्त की।
उनकी कहानी दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प, ईमानदारी और कड़ी मेहनत से व्यक्ति सबसे कठिन बाधाओं को पार कर सकता है और सफलता प्राप्त कर सकता है।
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