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अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा इसका सामरिक महत्त्व

Lokesh Pal August 22, 2024 05:30 59 0

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (एएनआई) द्वीपों के दो समूह हैं : अंडमान द्वीप और निकोबार द्वीप, जो 8,249 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं। संपूर्ण द्वीप शृंखला में 836 द्वीप शामिल हैं, जिनमें छोटे-छोटे द्वीप और चट्टानें शामिल हैं | जिनमें से लगभग 31 स्थायी रूप से बसे हुए हैं। इन द्वीपों को अंडमान और निकोबार प्रशासन के माध्यम से भारत की केंद्र सरकार द्वारा एक एकल संघ राज्यक्षेत्र के रूप में प्रशासित किया जाता है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का भारत के लिए महत्त्व

  • सामरिक सैन्य उपस्थिति : एएनआई भारत की सशस्त्र सेनाओं की एकमात्र एकीकृत त्रि-सेवा कमान -अंडमान और निकोबार कमान (एएनसी) का क्षेत्र है। यह कमान समुद्री निगरानी और पूर्वी हिंद महासागर में भारत की सामरिक उपस्थिति को बढ़ावा देने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • आर्थिक संसाधन : अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) का महत्त्वपूर्ण रूप से विस्तार करते हैं। EEZ एक तटीय राज्य की आधार रेखा से 200 समुद्री मील तक फैला हुआ क्षेत्र है, जिसके भीतर राज्य को मछली, तेल और गैस सहित समुद्री संसाधनों की खोज और दोहन के विशेष अधिकार प्राप्त हैं।
  • चीन की उपस्थिति : अपनी ‘मलक्का दुविधा’ (मलक्का जलडमरूमध्य में समुद्री नाकाबंदी का चीन का डर) को दूर करने और अपनी ‘समुद्री रेशम मार्ग’ महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में अपने पदचिह्न का विस्तार करने के चीन के प्रयासों ने इन जल क्षेत्रों में नौवहन की स्वतंत्रता के बारे में आशंकाओं को हवा दी है। महत्त्वपूर्ण चोक पॉइंट्स या क्षेत्रों पर कब्ज़ा करके, चीन भविष्य में भारत के साथ किसी भी संघर्ष या गतिरोध के दौरान अपने लाभ के लिए उनका उपयोग कर सकता है।
  • समुद्री निषेध युद्ध : एएनआई की रणनीतिक स्थिति भारत को तटीय क्षेत्र में अपनी शर्तें तय करने के लिए समुद्री निषेध युद्ध रणनीति (प्रतिद्वंद्वी को निकटवर्ती समुद्र का उपयोग करने से रोकना) अपनाने की अनुमति देती है।
  • नेट सिक्योरिटी प्रदाता : भारत अपने हितों की रक्षा के लिए इन द्वीपों का लाभ उठा सकता है और क्षेत्र में ‘नेट सिक्योरिटी प्रदाता’ के रूप में अपनी छवि को बढ़ा सकता है। सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की भूमिका का महत्त्व 1988 के मालदीव तख्तापलट के प्रयास के दौरान इसके हस्तक्षेप से स्पष्ट होता है।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया से जुड़ाव : भारत के EEZ के लगभग 30% हिस्से को कवर करते हुए, एएनआई दक्षिण एशिया को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ता है। इस द्वीपसमूह का सबसे उत्तरी बिंदु म्यांमार से मात्र 22 समुद्री मील दूर है और सबसे दक्षिणी बिंदु इंदिरा पॉइंट, इंडोनेशिया से मात्र 90 समुद्री मील दूर है।
  • इंडो-पैसिफिक का महत्त्वपूर्ण आधार : एएनआई हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर के चौराहे पर स्थित है, जो प्रशांत महासागर तक फैला हुआ है; जो उन्हें हिन्द-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) की रणनीतिक अवधारणा में एक महत्त्वपूर्ण आधार बनाता है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत के बढ़ते महत्त्व का अमेरिका द्वारा भी प्रतिदान किया जा रहा है।

एएनआई के रणनीतिक विकास संबंधी चुनौतियाँ

  • सामरिक महत्त्व पर अपर्याप्त ध्यान : भारत के विदेश नीति समुदाय के कुछ वर्ग द्वीपों को सामरिक-सैन्य केंद्र में बदलने के विरुद्ध तर्क देते हैं, क्योंकि उन्हें भय है कि इससे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ तालमेल नहीं बैठ पाएगा, जो भारत को एक सॉफ्ट पॉवर के रूप में देखते हैं।
  • विकास की धीमी गति : राजधानी पोर्ट ब्लेयर में नौसैनिक अड्डे पर भी इंटरनेट कनेक्टिविटी अनियमित बताई गई है। सड़क निर्माण, हवाई पट्टी निर्माण और जेटी निर्माण का कार्य धीमा है या फिर है ही नहीं।
  • अन्य चुनौतियाँ 
    • इनमें से कई द्वीपों पर मानवीय उपस्थिति की अनुपस्थिति उन्हें मादक पदार्थों की तस्करी, विदेशी जहाजों द्वारा घुसपैठ तथा अन्य घुसपैठ के लिए असुरक्षित बनाती है।
    • भारी वर्षा के कारण निर्माण गतिविधि वर्ष में छह महीने तक सीमित हो जाती है और मुख्य भूमि से दूरी निर्माण लागत को बढ़ाती है, क्योंकि सभी सामग्रियों को द्वीपों पर भेजना पड़ता है।
    • दूरी और लागत के कारण कुछ ही कंपनियाँ द्वीपों पर काम करने को तैयार हैं। कुछ सामग्रियों के लिए इंडोनेशिया से आयात करना भारतीय मुख्य भूमि से शिपिंग की तुलना में सस्ता और अधिक लागत प्रभावी होगा।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • समुद्री अभ्यास : ANC सिंगापुर-भारत समुद्री द्विपक्षीय अभ्यास तथा म्यांमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया के साथ समन्वित गश्त जैसे संयुक्त समुद्री अभ्यास करता है। यह द्विवार्षिक बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यास MILAN भी आयोजित करता है। 
  • नौसेना की उपस्थिति का विस्तार : मई 2020 में चीन के साथ लद्दाख गतिरोध के बाद, भारत एएनआई में अतिरिक्त बल, युद्धपोत, विमान और मिसाइल तैनात करने की योजना में तेजी ला रहा है। नौसेना के हवाई स्टेशनों INS BAAZ और INS KOHASSA द्वारा अपने समर्थन अभियानों का विस्तार करने की भी खबरें आई हैं।
  • अन्य : एएनआई शृंखला में सात द्वीपों- स्वराज द्वीप (हैवलॉक), लिटिल अंडमान, कार निकोबार, कामोर्ता, ग्रेट निकोबार, लॉन्ग आइलैंड और रंगत को हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करने के लिए चेन्नई-अंडमान और निकोबार अंडरसी इंटरनेट केबल का उद्घाटन किया गया। एएनसी के कमांडर-इन-चीफ को तीनों सेनाओं से सैन्य संपत्ति की मांग करने, भूमि अधिग्रहण के मामलों को संभालने और अतिरिक्त वित्तीय अधिकार दिए गए हैं।

आगे की राह 

  • प्रवास को प्रोत्साहित करना : मुख्य भूमि से प्रवास को प्रोत्साहित करने और रणनीतिक रूप से स्थित कुछ निर्जन द्वीपों को पर्यटन के लिए खोलने पर विचार करने की आवश्यकता है। इससे भारत को एक मजबूत भौतिक पदचिह्न मिलेगा तथा देश को जहाजों और लोगों की आवाजाही पर नज़र रखने में मदद मिलेगी।
  • सामरिक अवसंरचना : अपनी क्षेत्रीय श्रेष्ठता पर जोर देने के लिए, भारतीय नौसेना ने हाल ही में बंगाल की खाड़ी में नौसैनिक अभियानों की गति बढ़ा दी है। द्वीपों पर सामरिक अवसंरचना को मजबूत करना भारत की युद्ध क्षमता को उजागर करने का एक माध्यम है।
  • रणनीतिक साझेदारों के साथ सहयोग : अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस या यूके जैसे देशों के बंदरगाह दौरे से भारत और एएनआई में उसके प्रमुख रणनीतिक साझेदारों के बीच सभी आयामों में और अधिक सहयोग हो सकता है।
  • आसियान के साथ सहभागिता : भारत के पूर्वी क्षेत्र के देशों के साथ सहभागिता करने की “एक्ट ईस्ट नीति” में एएनआई को एकीकृत करने का अवसर है।

निष्कर्ष 

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह न केवल भारत के लिए सामरिक दृष्टि से बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्त्व रखता है | इसलिए आवश्यक है कि उपर्युक्त उपायों को ध्यान में रखते हुए इस संघ राज्यक्षेत्र में विकास को बढ़ावा दिया जाए, जिससे भारत केवल आन्तरिक रूप से नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय तथा सीमावर्ती रूप से भी सुरक्षित हो सके | 

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

भारत के संदर्भ में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की विशेषता बताइए। यह संघ राज्यक्षेत्र भारत की समुद्री रणनीतियों को किस प्रकार प्रभावित कर सकता है?

(15 अंक, 250 शब्द)

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