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मणिपुर में अनुच्छेद 356 तथा उसके निहितार्थ

Lokesh Pal November 19, 2024 05:45 11 0

संदर्भ :

मणिपुर में जारी हिंसा, जिसके परिणामस्वरूप 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और एक लाख से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं, ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के लागू होने के संबंध में चर्चा प्रारंभ कर दी है।

मणिपुर की वर्तमान स्थिति

  • बढ़ती जातीय हिंसा :
    • मई 2023 से लगातार जाती जातीय हिंसा।
    • 250 से अधिक मौतें और एक लाख से ज़्यादा लोग विस्थापित।
  • नागरिकों पर प्रभाव :
    • साधारण नागरिक हिंसा में फँसे हुए हैं, जो स्वयं का बचाव करने के लिए मजबूर हैं।
    • घरों, मंदिरों और चर्चों का व्यापक विनाश।
  • यौन हिंसा की घटनाएँ :
    • महिलाओं पर सार्वजनिक हमले सहित गंभीर यौन हिंसा के  मामले।
    • हाल ही में नवंबर 2024 में तीन बच्चों की माँ के साथ बलात्कार और हत्या का मामला सामने आया।
  • राज्य शासन की विफलता :
    • राज्य सरकार कानून और व्यवस्था बहाल करने में असमर्थ रही है।
    • केंद्र सरकार के कई प्रयास अप्रभावी सिद्ध हुए हैं।
  • मानवाधिकारों का उल्लंघन :
    • नागरिकों के लिए सुरक्षा और सम्मान सहित मौलिक अधिकारों का गंभीर रूप से उल्लंघन किया गया है।

उपर्युक्त परिस्थितियों के कारण शांति और व्यवस्था बहाल करने के लिए केंद्रीय हस्तक्षेप की आवश्यकता महसूस की जा रही है, परिणामस्वरूप राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए अनुच्छेद 356 को लागू करने की मांग बढ़ रही है ।

अनुच्छेद 356

  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356, जिसे “राष्ट्रपति शासन” के रूप में संदर्भित किया जाता है, राष्ट्रपति को किसी राज्य सरकार को भंग करने और उस राज्य में सरकारी मशीनरी के विफल होने पर सीधे नियंत्रण संभालने की अनुमति देता है।
  • राष्ट्रपति, राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर सकते हैं यदि :
    • उन्हें लगता है कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर सकती है।
    • राष्ट्रपति राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट पर या राज्यपाल की रिपोर्ट के बिना भी कार्य कर सकते हैं।
  • ऐतिहासिक संदर्भ : संविधान सभा की चर्चा
    • बी. आर. अम्बेडकर का स्पष्टीकरण : डॉ. अम्बेडकर ने तर्क दिया कि अनुच्छेद 356 का उद्देश्य उन स्थितियों से निपटना है जहाँ संवैधानिक तंत्र विफल हो जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया, कि यदि स्थिति हस्तक्षेप की मांग करती है तो राज्यपाल की रिपोर्ट के अभाव में भी राष्ट्रपति को कार्रवाई करनी चाहिए।
  • अनुच्छेद 356 के पक्ष में समर्थकों के तर्क
    • अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर ने इस बात पर जोर दिया, कि संघ को यह सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए कि राज्य संवैधानिक मानदंडों का पालन करे और जब आवश्यक हो तो कानून और व्यवस्था बनाए रखे।
    • के. संथानम ने कानून और व्यवस्था की विफलता से निपटने में इसके महत्त्व पर प्रकाश डाला।
    • ठाकुर दास भार्गव ने इस बात पर प्रकाश डाला, कि यदि राज्य की मशीनरी विफल हो जाती है और लोग बुनियादी स्वतंत्रता से वंचित हो जाते हैं, तो उनके अधिकारों की रक्षा और शांति सुनिश्चित करने के लिए संघ का हस्तक्षेप आवश्यक है।
  • विरोध : एच. वी. कामथ जैसे कुछ लोगों ने इस प्रावधान का विरोध किया तथा इसे असंवैधानिक हस्तक्षेप माना।

मणिपुर संकट में सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका

  • प्रारंभिक हस्तक्षेप (मई 2023): सर्वोच्च न्यायालय ने व्यापक हिंसा की रिपोर्ट के बाद 8 मई, 2023 को मणिपुर की स्थिति का संज्ञान लिया।
    • महान्यायवादी ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि सामान्य स्थिति बहाल करने और आगे की हिंसा को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं।
    • न्यायालय ने हिंसा की पुनरावृत्ति के विरुद्ध सतर्कता बरतने का आह्वान किया।
  • स्वतः संज्ञान कार्रवाई (जुलाई 2023): न्यायालय ने यौन हिंसा की घटनाओं सहित परेशान करने वाली मीडिया रिपोर्ट्स का स्वतः संज्ञान लिया, जैसे कि 4 मई, 2023 को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र महिलाओं की परेड करना।
    • इसने घोर संवैधानिक उल्लंघनों और मानवाधिकारों के हनन पर गहरी चिंता व्यक्त की, तत्काल जवाबदेही और निवारक उपायों की आवश्यकता पर बल दिया।
  • हस्तक्षेप की आलोचना : विभिन्न समस्याओं के मद्देनजर न्यायालय के हस्तक्षेप की आलोचना की गई है, कि यह चल रही हिंसा को रोकने में धीमा और अप्रभावी रहा।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने जवाबदेही के लिए निर्देश जारी किए, लेकिन राज्य में हिंसा जारी रही, जिसके कारण उसके आदेशों का सीमित प्रभाव दिखा।
    • न्यायालय ने मांग की है कि सरकार हिंसा से निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाए तथा पीड़ितों को उचित राहत प्रदान करे, लेकिन ठोस परिणाम नहीं मिले हैं।

मणिपुर में अनुच्छेद 356 

  • जम्मू-कश्मीर जैसे अन्य क्षेत्रों में उग्रवाद-प्रेरित हिंसा के विपरीत, इस हिंसा में अंतर-जातीय संघर्षों में फँसे आम नागरिक शामिल हैं, जिससे राज्य सरकार के लिए कानून और व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल हो गया है।
  • अनुच्छेद 355 के अनुसार संघ कानून और व्यवस्था बनाए रखने में राज्यों की सहायता करने के लिए बाध्य है।
    • मणिपुर के मामले में कुछ हस्तक्षेप के बावजूद, केंद्र सरकार हिंसा को प्रभावी ढंग से रोकने में असमर्थ रही है, जिससे प्रत्यक्ष संघीय हस्तक्षेप की आवश्यकता प्रदर्शित होती है।

निष्कर्ष 

मणिपुर का मौजूदा संकट संवैधानिक तंत्र की स्पष्ट विफलता को उजागर करता है। जबकि अनुच्छेद 356 की अतीत में दुरुपयोग के लिए आलोचना की गई है, वर्तमान स्थिति शांति, न्याय और संवैधानिक व्यवस्था को बहाल करने के लिए इसके प्रयोग की मांग करती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के सकारात्मक तथा नकारात्मक बिन्दुओं को स्पष्ट करते हुए, मणिपुर में इसकी वर्तमान आवश्यकता की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए |

(10 अंक, 150 शब्द) 

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