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Lokesh Pal
November 04, 2025 05:00
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शीत युद्ध के बाद परमाणु परीक्षण पर वैश्विक रोक वर्त्तमान संदर्भ में कमजोर पड़ रही है, क्योंकि अमेरिका, रूस और चीन अपनी परीक्षण नीतियों पर पुनर्विचार कर रहे हैं, जिससे 1998 से स्व-लगाए गए प्रतिबंध से बंधा भारत एक नए रणनीतिक दुविधा में फंस गया है।
जैसे-जैसे वैश्विक परमाणु संयम कम होता जा रहा है, भारत को विश्वसनीयता और जिम्मेदारी के बीच संतुलन बनाना होगा, अपने नैतिक संयम को त्यागे बिना परीक्षण की तत्परता बनाए रखनी होगी तथा वर्ष 2047 तक बदलते शक्ति समीकरणों के बीच विश्वसनीय न्यूनतम निवारण और रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित करनी होगी।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:प्रश्न: परमाणु संयम पर नए सिरे से वैश्विक अनिश्चितता के आलोक में, परीक्षण कीजिए कि क्या भारत द्वारा परमाणु परीक्षणों पर निरंतर रोक उसकी सामरिक स्वायत्तता को मज़बूत करती है या बाधित करती है। चर्चा कीजिए कि भारत अपने निवारक उपायों की विश्वसनीयता को ज़िम्मेदार परमाणु आचरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ कैसे संतुलित कर सकता है। (10 अंक, 150 शब्द) |
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