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भारत में विमानन सुरक्षा संकट

Lokesh Pal November 08, 2024 05:15 15 0

संदर्भ: 

हाल ही में, भारत के विमानन उद्योग को बम से उड़ने की धमकियों में वृद्धि के कारण भारत का विमानन क्षेत्र गंभीर संकटों का सामना कर रहा है। एक ही सप्ताह के अन्दर तकरीबन 120 से अधिक की संख्या में ऐसी घटनाएँ दर्ज की गई हैं, जिनसे विविध सक्रिय विमानन सेवाओं को प्रभावित होना पड़ा है।

जोखिम आकलन और प्रतिक्रिया 

9/11 हमले के बाद से ही भारत में बम धमाकों के खतरों के लिए प्रतिक्रिया दक्षता को बढ़ाने और संसाधनों को प्राथमिकता देने के लिए इन प्रतिक्रिया प्रारूपों को सख्ती से वर्गीकृत किया गया है:

  • जोखिम वर्गीकरण: बम खतरों को तीन स्तरों में वर्गीकृत किया गया है:
    • कम जोखिम: बिना किसी विश्वसनीयता के संभावित खतरे।
    • मध्यम जोखिम: समय से सत्यापन की आवश्यकता है, लेकिन वास्तविक खतरा होने की संभावना कम है।
    • उच्च जोखिम: विश्वसनीय खतरे जो तत्काल प्रतिक्रिया की माँग करते हैं।
  • आपातकालीन प्रोटोकॉल: जब किसी उच्च जोखिम वाले खतरे की पहचान की जाती है, तो सख्त सुरक्षा प्रोटोकॉल का प्रावधान किया जाता है। इनमें शामिल हैं:
    • आपातकालीन लैंडिंग: उड़ानों को निकटतम हवाई अड्डे पर भेज दिया जाता है, जहाँ यात्रियों, समान और विमान की जाँच की जाती है।
      • उदाहरण : हाल ही में एयर इंडिया की एक उड़ान को खतरे के कारण कनाडा की ओर मोड़ दिया गया था।
    • जाँच व स्कैनिंग : विमान के लैंड करते ही सभी यात्री उतर जाते हैं, और गहन सुरक्षा जाँच शुरू हो जाती है।
      • सभी सामान, कार्गो और खानपान वस्तुओं पर बम का पता लगाने तथा किसी भी जैविक या रासायनिक खतरे के लिए स्कैन किया जाता है।
    • आपातकालीन उपाय: सबसे चरम या आपातकालीन स्थिति में, यदि यह निर्धारित हो जाता है कि बम को निष्क्रिय नहीं किया जा सकता है साथ ही यह घनी आबादी वाले क्षेत्रों या महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के लिए खतरा पैदा करता है, तो ऐसी स्थिति में अधिकारियों को विमान को गिराने पर विचार करना पड़ सकता है।

ये उपाय 9/11 के बाद स्थापित अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुरूप हैं। हालाँकि, इन्हें लागू करने से काफी व्यवधान पैदा होता है, खासकर जब लैंडिंग की अनुमति में देरी होती है, जिनकी वजह से विमान को आकाश में ही कुछ समय के लिए मँडराना पड़ता है जिसकी वजह से अतिरिक्त ईंधन जलता है।

एयरलाइन्स पर प्रभाव

1. आर्थिक और परिचालन संबंधी प्रभाव

  • एयरलाइन मुनाफे में कमी और लागत में वृद्धि :
    • एयरलाइनों को अक्सर परिचालन संबंधी व्यवधानों, जैसे आपातकालीन लैंडिंग या उड़ान के डायवर्जन के दौरान मुनाफ़े में भारी गिरावट इत्यादि का सामना करना पड़ता है।
    • इन व्यवधानों के कारण विमानों की देरी, रद्दीकरण और मार्ग परिवर्तन किया जा सकता है, जिससे एयरलाइनों को स्टाफ़िंग, उपकरण और रखरखाव के मामले में अतिरिक्त लागत का सामना करना पड़ सकता है।
  • ईंधन की बर्बादी:
    • आपातकालीन स्थितियों में, विमान को लैंडिंग वजन प्रतिबंधों को पूरा करने या सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करने के लिए ईंधन डंप करने की आवश्यकता हो सकती है। इस ईंधन की बर्बादी से एयरलाइनों को अत्यधिक आर्थिक (लाखों डॉलर) नुकसान हो सकता है। 
    • आपातकालीन डायवर्जन अपने आप में महंगा है क्योंकि इसमें अक्सर अतिरिक्त दूरी की उड़ान भरनी पड़ती है, जिससे मूल रूप से नियोजित ईधन की तुलना में अधिक ईंधन जलता है।
  • यात्री मुआवजा एवं असंतोष में वृद्धि 
    • जब उड़ानें बाधित होती हैं, तो एयरलाइनों को यात्रियों को विभिन्न तरीकों से मुआवज़ा देना पड़ता है, जैसे कि भोजन उपलब्ध कराना, होटल में ठहरने की व्यवस्था करना और उड़ानों का पुनर्निर्धारण करना।
    • इससे ग्राहकों में असंतोष बढ़ सकता है, जिससे एयरलाइन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँच सकता है और भविष्य में बुकिंग न होने के कारण दीर्घकालिक वित्तीय प्रभाव पड़ सकता है।
  • बाजार वृद्धि:
    • हाल के दिनों में, भारत के विमानन क्षेत्र में प्रभावशाली वृद्धि देखी गई है, इस साल एक दिन में घरेलू हवाई यातायात रिकॉर्ड 471,000 यात्रियों तक पहुंच गया।
    • एयरलाइनों ने भी 1,000 से अधिक नए विमानों का ऑर्डर देकर विमानन सेक्टर ने आत्मविश्वास दिखाया है। हालांकि, बम धमकियों में वृद्धि इस प्रगति के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करती है।
  • राष्ट्रीय छवि:
    • इस संकट का भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, क्योंकि खतरों की बढ़ती आवृत्ति से सुरक्षा को लेकर चिंताएं उत्पन्न हुई हैं।
  • पर्यटन प्रभाव:
    • ऐसी घटनाओं का सीधा प्रभाव पर्यटन पर पड़ता है और पर्यटक भारत को अपने गंतव्य के रूप में चुनने से कतराने लगते हैं।

2. यात्रियों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव:

  • बढ़ती चिंताएँ : कई यात्री उड़ान भरने को लेकर अधिक तनावग्रस्त और भयभीत महसूस कर रहे हैं, जिससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ बढ़ रही हैं।
  • यात्रा में हिचकिचाहट: कुछ यात्री परिवहन के वैकल्पिक साधनों का चयन कर रहे हैं, जो दीर्घकालिक हवाई यात्रा वरीयताओं को प्रभावित कर सकता है।
  • सुरक्षा प्रोटोकॉल में पारदर्शिता की मांग : एयरलाइन सुरक्षा उपायों में भरोसा कमज़ोर हो रहा है, यात्रियों द्वारा सुरक्षा प्रोटोकॉल में अधिक पारदर्शिता की माँग की जा रही है।

बम धमकियों पर नज़र रखने में चुनौतियाँ

  • गुमनाम धमकियाँ: धमकियाँ देने वाले चेहरों की पहचान करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि:
    • गुमनाम प्लेटफॉर्म: धमकियाँ अक्सर गुमनाम या छद्म नाम वाले सोशल मीडिया अकाउंट के ज़रिए दी जाती हैं, जिससे उनके स्रोत का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
    • वीपीएन का उपयोग: अपराधी अक्सर वीपीएन का उपयोग करते हैं, जिससे ट्रैकिंग प्रक्रिया और भी जटिल हो जाती है।
  • धोखाधड़ी की धमकियाँ और दुरुपयोग: इन धमकियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा धोखाधड़ी से संबंधित है, जो अक्सर परिणामों पर विचार किए बिना ध्यान आकर्षित करने के लिए जारी किए जाते हैं।
    • हालांकि कुछ लोगों को प्रतिस्पर्धी तोड़फोड़ का संदेह हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत की वर्तमान स्थिति में यह कोई कारक नहीं है।

सरकार और उद्योग की प्रतिक्रिया

  • अंतर-मंत्रालय समन्वय: संकट से निपटने के लिए, विमानन, आईटी और सुरक्षा सहित कई मंत्रालय एकीकृत प्रतिक्रिया के लिए सहयोग कर रहे हैं। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य तत्काल और दीर्घकालिक सुरक्षा आवश्यकताओं से निपटना है।
  • हवाई अड्डों की सुरक्षा बढ़ाना : हवाई अड्डों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है:
    • सुरक्षा जांच में 10% की वृद्धि : संभावित खतरों को रोकने और उनका पता लगाने के लिए कर्मचारियों की रैंडम जांच और खोजी कुत्तों की गश्त बढ़ाई गई है।
  • कानूनी ढाँचे को मजबूत करना: सरकार फर्जी धमकियों के लिए सख्त दंड लागू करने के लिए विमान अधिनियम और SUASCA अधिनियम जैसे मौजूदा कानूनों को अपडेट करने पर विचार कर रही है, जिससे अपराधियों और आपराधिक गतिविधियों को रोका जा सके और अफवाहों से भरी धमकियों की घटनाओं को कम किया जा सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) के साथ परामर्श कर रहा है और सुरक्षा चुनौतियों का अधिक प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और VPN प्रदाताओं से सहयोग जुटा रहा है।
  • खतरे के आकलन हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता का लाभ उठाना: पैटर्न का विश्लेषण करके और संभावित जोखिमों की पहचान करके बम के खतरों का आकलन करने में मदद करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को एक उपकरण के रूप में खोजा जा रहा है। इससे अधिकारी अधिक कुशलता से प्रतिक्रिया कर सकते हैं और व्यवधानों को कम कर सकते हैं।
  • सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को संतुलित करना: कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल, यात्री सुविधा और हवाई यात्रा की आर्थिक व्यवहार्यता और सुविधा के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।

निष्कर्ष :

भारतीय विमानपत्तन उद्योग को हाल में मिली बम धमकियों में वृद्धि से यह क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा है, जिससे परिचालन में व्यवधान, वित्तीय नुकसान और यात्रियों में असंतोष व असुरक्षा का जोखिम बढ़ रहा है। मौजूदा जोखिम समाधान हेतु कड़े सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं, जो महत्वपूर्ण आर्थिक और मनोवैज्ञानिक कारकों से निपटने में सहायक हो सकते हैं। सुरक्षा बहाल करने और उद्योग में विकास को बनाए रखने के लिए बढ़ी हुई सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और समन्वय को शामिल करने वाला एक संतुलित दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न: बार-बार बम विस्फोट की अफवाहों के मद्देनजर भारत की विमानन सुरक्षा के बारे में अंतर्राष्ट्रीय धारणा का विश्लेषण करें। विमानन सुरक्षा में यात्रियों का भरोसा फिर से बनाने में कौन से विशिष्ट हस्तक्षेप सहायक हो सकते हैं?

(10 अंक, 150 शब्द)

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