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भारत सहित अन्य राष्ट्रों में विमानन सुरक्षा : एक नवीन चुनौती

Lokesh Pal September 23, 2024 05:30 6 0

संदर्भ :

हाल ही में लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विस्फोट से संबंधित घटनाओं ने एक नए प्रकार के युद्ध की शुरुआत की है, जो प्रत्यारोपित कोड या बाह्य संकेतों द्वारा विकसित  होते हैं। इज़राइल द्वारा शुरू की गई यह युद्ध नीति, भविष्य में अन्य राष्ट्रों द्वारा दुरुपयोग के लिए संभावित जोखिम पैदा करती है, जिससे हवाई यात्राओं में उनके संभावित दुरूपयोग तथा यात्रियों की सुरक्षा के निहितार्थ संबंधी गंभीर चिंताएँ पैदा होती हैं।

विमानन सुरक्षा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • 1970-80 के दशक : राजनीतिक प्रतिशोध के मद्देनज़र, सरकारों पर दबाव बनाने के लिए वैश्विक स्तर पर विमान अपहरण का प्रयोग एक आम तरीका था। भारत में 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के अपहरण जैसी घटनाओं ने इस खतरे को उजागर किया।
  • 9/11 के बाद (2001) : वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमलों ने विमानन सुरक्षा में एक बड़ा बदलाव किया। इसी तरह की भयावह घटनाओं को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) द्वारा सुरक्षा उपायों में वृद्धि की गई एवं यात्रियों की सख्त जाँच शुरू की गई। तब से ICAO ने वैश्विक विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल का निरंतर अद्यतन किया है।
  • यात्रियों पर प्रभाव : इन बढ़े हुए सुरक्षा उपायों ने हवाई अड्डे की सुरक्षा प्रक्रिया को बढ़ा दिया है। लेबनान में हाल ही में हुई घटना, जिसमें विस्फोटक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शामिल हैं, से विमानन सुरक्षा प्रक्रियाओं को और भी सख्त करने की संभावना है, संभावित रूप से सुरक्षा जाँच और ऐसे उपकरणों पर प्रतिबंध जैसे नियमों को और आगे बढ़ाया जा सकता है।

भारत-विशिष्ट सुरक्षा चिंताएँ

  • VVIP को सुरक्षा जाँच से रियायत : 1989 के दौरान भारत में केवल पाँच श्रेणियों के व्यक्तियों को सुरक्षा जाँच से रियायत दी गई थी। बाद में राज्यों के राज्यपालों को भी इसमें शामिल कर लिया गया।
    • वर्तमान परिदृश्य : इस सूची का विस्तार हो गया है, अब इसमें संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति भी शामिल हैं, जिससे सुरक्षा संबंधी चिंताएँ पैदा होती हैं। वैश्विक स्तर पर ऐसी रियायत या छूट बहुत सीमित हैं।
  • ‘फ्लाइट मोड’ नियमों का पालन न करना : जबकि फ्लाइट अटेंडेंट यात्रियों को अपने फोन को फ्लाइट मोड पर स्विच करने का निर्देश देते हैं, भारत में कई लोग इस नियम की अनदेखी करते हैं। पहले मोबाइल सिग्नल के हस्तक्षेप के कारण हवाई दुर्घटनाएँ हुई हैं। जापान जैसे कुछ विकसित देशों में, ऐसे नियमों का सख्ती से पालन किया जाता है।
  • VVIP हैंड लगेज हैंडलिंग : ICAO के अनुसार यात्रियों को अपना हैंड लगेज स्वयं ले जाना चाहिए। हहालाँकि, भारत में कुछ VVIP के पास स्टाफ होता है, जो उनका सामान संभालता है, जो सुरक्षा जाँच को दरकिनार कर सकता है और एक बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। 

यदि उच्च ऊँचाई पर उड़ान के दौरान विमान के केबिन में छोटे विस्फोटक उपकरण सक्रिय हो जाएँ, तो निम्नलिखित गंभीर परिणाम हो सकते हैं :

  • केबिन में आग : विस्फोटों से केबिन में आग लग सकती है, जिससे यात्रियों और चालक दल दोनों के लिए बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।
  • प्रेशर बल्कहेड क्षति : बार-बार होने वाले छोटे विस्फोटों से विमान के प्रेशर बल्कहेड को नुकसान पहुँच सकता है, जिससे केबिन डीकंप्रेसन हो सकता है। ऐसे मामले में, यात्रियों के इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन मास्क लगाए जाएंगे।
  • कैच-22 स्थिति : केबिन में आग लगने और केबिन डीकंप्रेसन की स्थिति में, एक खतरनाक दुविधा उत्पन्न होती है :
    • ऑक्सीजन का उपयोग करना : हालाँकि ऑक्सीजन विसंपीड़न के कारण मस्तिष्क क्षति को रोकने के लिए आवश्यक है, लेकिन यह आग को और भड़का सकता है, जिससे आग से मृत्यु का जोखिम बढ़ जाता है।
    • ऑक्सीजन का उपयोग न करना : ऑक्सीजन के बिना, यात्रियों को चेतना खोने और अंततः मस्तिष्क मृत्यु का खतरा रहता है।
  • महत्त्वपूर्ण समय अवधि : ऑक्सीजन की कमी के कारण मस्तिष्क को होने वाले नुकसान से बचने के लिए यात्रियों को ऑक्सीजन मास्क लगाने की बहुत कम अवधि होती है। इस कारण तत्काल कार्रवाई करना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

आवश्यक समाधान एवं उपाय 

विमानन सुरक्षा के नए खतरों, जैसे- दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग, से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों में विस्तार हो रहा है। सुरक्षा चिंताओं के कारण बेरूत से उड़ान भरने वाले यात्रियों को अब पेजर और वॉकी-टॉकी ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सुरक्षा जोखिम पैदा करने वाले उपकरणों के उपयोग को रोकने के लिए निकट भविष्य में वैश्विक स्तर पर इसी तरह के प्रतिबंध लागू किए जा सकते हैं।

  • विनियामक और नीतिगत विचार : अंतर्राष्ट्रीय नागरिक विमानन संगठन (ICAO) सुरक्षा मैनुअल में सख्त दिशा-निर्देश हैं, जिनका पूरी तरह से पालन किया जाना चाहिए।
  • अन्य सुरक्षा उपाय :
    • विमान में वाई-फाई पर प्रतिबंध लगाना : उपकरणों को दूर से सक्रिय होने से रोकने के लिए एयरलाइनों को उड़ानों में वाई-फाई पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करना पड़ सकता है, जैसा कि पेजर घटना में देखा गया है।
    • सिग्नल शील्ड लगाना : हवाई अड्डे ऑनबोर्ड उपकरणों के साथ किसी भी संभावित बाह्य हस्तक्षेप को रोकने के लिए सिग्नल शील्ड लगा सकते हैं।
    • विमानन सुरक्षा के साथ 5G का संतुलन बनाना : हवाई अड्डों के पास 5G तकनीक शुरू करते समय, सुरक्षा उपायों को सावधानीपूर्वक लागू करने की आवश्यकता होती है, जैसा कि हवाई अड्डों के पास 5G की अनुमति देने से पहले किया गया था ताकि उड़ान प्रणालियों के साथ हस्तक्षेप से बचा जा सके।
  • नियम और उत्तरदायित्व
    • सरकार की भूमिका : सरकार को सुरक्षा प्रोटोकॉल को अपडेट करने तथा उभरते खतरों को संबोधित करने सहित विमानन सुरक्षा को बढ़ाने के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। विमानन सुरक्षा चिंताओं को राजनयिक संबंधों के साथ संतुलित करने की आवश्यकता है, यह सुनिश्चित करते हुए कि यात्री सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मजबूत बना रहे। 
    • एयरलाइन उद्योग की चुनौतियाँ : एयरलाइनों को यात्री अनुभव से समझौता किए बिना इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से होने वाले खतरों सहित तेजी से विकसित हो रहे खतरे के परिदृश्य के अनुकूल होना चाहिए। नए सुरक्षा उपायों को लागू करना, जैसे कि कुछ उपकरणों या वाई-फाई को विमान में प्रतिबंधित करना, परिचालन दक्षता बनाए रखने एवं व्यवधान को कम करने के साथ संतुलित होना चाहिए। 
    • यात्रियों का उत्तरदायित्व : यात्रियों को उड़ान के दौरान फ़्लाइट मोड के उचित उपयोग सहित सभी सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए, क्योंकि गैर-अनुपालन गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है। संभावित सुरक्षा खतरों, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से होने वाले जोखिमों के बारे में जागरूकता बढ़ाना, सुरक्षित यात्रा वातावरण बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

निष्कर्ष 

विमानन सुरक्षा संबंधी उभरते खतरों से निपटने हेतु भारत के लिए अपने विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाना तथा अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है। इसके साथ ही यात्री सुरक्षा और कुशल संचालन को प्राथमिकता देने वाला संतुलित दृष्टिकोण भी अपनाना अनिवार्य है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

“जब सुरक्षा प्रोटोकॉल को चुनिंदा रूप से लागू किया जाता है, तो हवाई यात्रियों की सुरक्षा से समझौता होता है।” भारत में विमानन सुरक्षा को सुनिश्चित करने के संबंध में इस कथन का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए ।

(15अंक, 250 शब्द)

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