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श्रीलंका को संकट से उबारना (bailing out sri lanka from crisis)

Samsul Ansari January 31, 2024 11:18 143 0

संदर्भ

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के नेतृत्व में, 18 महीने की स्थिरीकरण नीतियों के पश्चात्  श्रीलंका में आर्थिक प्रगति देखी गई है और हाल ही में, यूनाइटेड नेशनल पार्टी (YNP) द्वारा उन्हें चुनावों के लिए राष्ट्रीय राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में प्रस्तावित किया है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: वैश्विक मानचित्र पर श्रीलंका की अवस्थिति।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियाँ और सरकार द्वारा उठाए गए कदम।

श्रीलंका के समक्ष चुनौतियाँ

  • ऋण चूककर्ता (Dept defaulter) : श्रीलंका अप्रैल 2022 में, समय से पहले ऋण चुकाने में अक्षम रहने वाला 21वीं सदी का पहला एशियाई देश बन गया है,  जिसकी ऋण योग्य राशि 50 बिलियन डॉलर से अधिक थी।
  • विनाशकारी आर्थिक संकट: सकल घरेलू उत्पाद में 7.8% की गिरावट, साल-दर-साल मुद्रास्फीति में वृद्धि, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये में 44.8% की गिरावट और दो सप्ताह के आयात के भुगतान हेतु ही उपयोग योग्य विदेशी भंडार के शेष रहने के कारण देश में दवा, भोजन और ईंधन की कमी हो गई।

श्रीलंका की स्थिरीकरण नीतियाँ

  • जवाबी चुनौतियाँ: सरकार द्वारा अपनाई गई स्थिरीकरण नीतियों में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ाना, ईंधन सब्सिडी हटाना, करों में वृद्धि, श्रीलंका के सेंट्रल बैंक की स्वतंत्रता में सुधार के लिए एक कानून पारित करना और राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों का निजीकरण शुरू करना शामिल था।
  • बाह्य सहायता: इस संकट से निपटने हेतु श्रीलंकाई सरकार द्वारा भारत सरकार से भी सहायता माँगी गई, विस्तारित फंड सुविधा (EFF) पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ बातचीत में तेजी लाई गई और निजी बॉण्ड धारकों और द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ विदेशी ऋण पुनर्गठन वार्ता भी की गई।
  • प्रगति की उपलब्धि: 18 महीने की स्थिरीकरण नीतियों के पश्चात् देश में प्रगति संबंधी स्थितियों का निर्माण होना शुरू हो गया है-
    • दिसंबर 2023 में मुद्रास्फीति दर गिरकर 4% रह गई और वर्ष 2023 में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले श्रीलंकाई रुपया 12.1% बढ़ गया।
    • विदेशी मुद्रा तरलता के दबाव में कमी आई अर्थात् विदेशी मुद्रा में वृद्धि हुई जिसके कारण आयात क्षमता में बढ़ोतरी देखी गईI आयात में वृद्धि का अर्थ होता है देश में आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता और  वस्तुओं की प्राप्ति हेतु बनने वाली प्रतीक्षा लाइनों का समाप्त होनाI
    • IMF ने श्रीलंका के GDP में वर्ष 2023 में -3.6% की तुलना में 2024 में 1.8% की वृद्धि दर की वापसी का अनुमान लगाया है।

अन्य सहायक कारक

  • बुनियादी ढाँचे में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश: यह हिंद महासागर में श्रीलंका की रणनीतिक स्थिति के कारण संभव हो पाता है। FDI में वृद्धि से बंदरगाह की क्षमता का विस्तार होगा और बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के साथ ट्रांसशिपमेंट व्यापार में सुधार होगा।
    • भारत: भारत के अदानी समूह और श्रीलंका के जॉन कील्स होल्डिंग्स के मध्य एक संयुक्त उद्यम परियोजना द्वारा कोलंबो बंदरगाह पर 700 मिलियन डॉलर के वेस्ट कंटेनर टर्मिनल को विकसित करने की योजना चल रही है।
    • अमेरिका: अमेरिकी विकास वित्त निगम द्वारा श्रीलंका को  553 मिलियन डॉलर देने की प्रतिबद्धता दर्शाई गई है।
    • चीन: चीन के सिनोपेक समूह द्वारा श्रीलंका में 200 ईंधन भरने वाले स्टेशनों का प्रबंधन भी किया जाएगा और कम-लाभकारी वाले हंबनटोटा बंदरगाह में एक तेल रिफाइनरी के लिए 4.5 बिलियन डॉलर देने की प्रतिबद्धता भी दर्शाई गई है।
  • ऋणों के निपटान हेतु : नवंबर 2023 में, श्रीलंका द्वारा  5.9 बिलियन डॉलर के विदेशी ऋण के पुनर्गठन के लिए भारत और पेरिस क्लब सहित प्रमुख द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ एक प्रारंभिक समझौता किया गया था। यह समझौता वर्ष 2024 में श्रीलंका द्वारा चुकाए जाने वाले ब्याज भुगतान में कमी लाने और आईएमएफ से वित्त प्राप्ति को ध्यान में रखते हुए महत्त्वपूर्ण था।
  • उपरोक्त समझौता श्रीलंका के चीन के साथ हुए एक अलग ऋण पुनर्गठन समझौते के पश्चात् हुआ था । ये सभी समझौते समान शर्तों पर किए गए हैं, जो समय सीमा में वृद्धि कर रहे हैं और ब्याज दरें भी कम कर रहे हैं।

श्रीलंका के इस दृष्टिकोण से जुड़े जोखिम

  • श्रीलंका को ऋणग्रस्तता से बचने के लिए मध्यम अवधि में 5-6% की निरंतर आर्थिक वृद्धि की आवश्यकता है। लेकिन श्रीलंका द्वारा अपनाया जाने वाला यह दृष्टिकोण बाह्य और आंतरिक जोखिमों के प्रति सुभेद्य भी है।
    • बाह्य जोखिम : अमेरिका और चीन के मध्य चलने वाली भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा।
    • आंतरिक जोखिम : ऋण पुनर्गठन से संबंधित आतंरिक जोखिम – निजी बॉण्डधारकों द्वारा  जिनके पास  वर्ष 2022 के अंत में लगभग 40% बाह्य ऋण था की सीमा के बारे में चिंता जताई है, जिसका आगे उन्हें सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

वर्ष 2024 के पश्चात् श्रीलंका के राजनीतिक जोखिमों के कारण EFF और देश के विकास के संबंध में बाधा उत्पन्न हो सकती हैं। श्रीलंकाई सरकार द्वारा अपनाई गई अर्थव्यवस्था स्थिरीकरण नीतियाँ सराहनीय हैं और भविष्य की श्रीलंकाई सरकारों को भी देश की प्रगति में गति लाने हेतु इसी तरह की कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

News Source: The Hindu

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