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युद्धक्षेत्र परिवर्तन और भारतीय सशस्त्र बल

Lokesh Pal October 03, 2025 05:15 39 0

संदर्भ:

एआई, ड्रोन और परिष्कृति हथियारों से संचालित आधुनिक युद्ध लागत को तो कम करते हैं, लेकिन जोखिम को बढ़ावा देते हैं। भारत के लिए, दो मोर्चों पर खतरा होने के कारण सैन्य संरचना, प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक सैन्य शिक्षा (PME) में तत्काल सुधार की आवश्यकता है, क्योंकि अतीत में संयुक्त प्रयास सीमित रहे हैं।

भारतीय सशस्त्र बलों की संयुक्तता को मजबूत करने के लिए आवश्यक संरचनात्मक सुधार:

  • एकीकृत थिएटर कमान की ओर बदलाव: संयुक्त कमांडर सम्मेलन में सेवा साइलो से एकीकृत थिएटर कमान की ओर बढ़ने पर जोर दिया गया।
  • कमांडरों को सशक्त बनाना: रक्षा मंत्रालय संरचनात्मक और प्रशासनिक नियमों की समीक्षा कर रहा है, जो अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) नियम, 2025 के तहत संयुक्त अभियानों के लिए कमांडरों को सशक्त बनाते हैं।
  • त्रि-सेवा एजेंसियां: साइबर, अंतरिक्ष और विशेष अभियानों के लिए त्रि-सेवा एजेंसियों का गठन मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ (HQ IDS) के अंतर्गत किया गया है।
  • मॉड्यूलर युद्ध संरचनाएँ: ” रुद्र” और “भैरव” जैसी नई मॉड्यूलर युद्ध संरचनाएँ तीव्र और बेहतर परिनियोजन के लिए पैदल सेना, तोपखाने, कवच, वायु रक्षा, इंजीनियरों और निगरानी को एकीकृत करता हैं।
  • उभयचर(Amphibious) संचालन सिद्धांत: विभिन्न अभियानों के लिए संयुक्त सिद्धांत समुद्री, वायु और थल सेनाओं को एकीकृत करता है, यद्यपि थिएटर कमांडों का स्वदेशी अनुकूलन अभी भी आवश्यक है।

सिद्धांत और प्रौद्योगिकी विकास:

  • आधारभूत सिद्धांत: संयुक्त सिद्धांत (2017) और सेना भूमि युद्ध सिद्धांत (2018 ) ने सहक्रियता और संयुक्तता की नींव रखी।
  • हाइब्रिड योद्धा: ऐसे बहु-डोमेन “हाइब्रिड योद्धाओं” की आवश्यकता है जो बुद्धिमत्ता और कोडिंग को आकार देने में सक्षम हों।
  • आधुनिक खरीद: खरीद और नए अधिग्रहण भी संयुक्त संचालन का समर्थन करते हैं:
    • MQ-9B हंटर-किलर ड्रोन: निगरानी, ​​टोही और मिसाइल तैनाती के लिए अमेरिका से उच्च-ऊंचाई वाले, दीर्घकालिक ड्रोन खरीदे गए। यह तीनों सेनाओं के बीच एक समझौता है, जो संयुक्तता का उदाहरण है।
    • आकाशतीर(Akashteer) और IACCS एकीकरण: सेना की आकाशतीर वायु रक्षा प्रणाली दुश्मन के विमानों का पता लगाती है और तुरंत वायु सेना के एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) नेटवर्क को सूचना भेजती है, जिससे एक निर्बाध वायु रक्षा कवच तैयार होता है।
    • प्रलय मिसाइल: यह एक अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल है जो वायु में अपना मार्ग बदलने में सक्षम है, जिससे इसे विक्षेपित करना मुश्किल हो जाता है। इसे दुश्मन के कमांड पोस्टों और हवाई अड्डों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    • राफेल एम: राफेल का नौसैनिक संस्करण, जिसका उद्देश्य INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य जैसे विमानवाहक पोतों की क्षमता को बढ़ाना है

बलों के एकीकरण में विद्यमान चुनौतियाँ:

  • अंतर-सेवा अंतर: प्राथमिक चुनौती तीनों सेवाओं के बीच लगातार होने वाले मतभेद है, जहाँ प्रत्येक अपनी परिसंपत्तियों पर नियंत्रण बनाए रखना चाहता है।
  • सुधारों की धीमी गति: 10 वर्षों से संयुक्तता पर चर्चा के बावजूद, संयुक्त प्रशिक्षण अब शुरू हो रहा है, जो धीमी प्रगति का संकेत है।

आगे की राह:

  • एकीकरण और मानकों को शामिल करना: भारत का अगला कदम सैन्य शक्ति के केंद्र में एकीकरण और शिक्षा को स्थापित करना है।
    • इसका अर्थ है एक स्थिर और प्रभावी संयुक्तता स्थापित करना जो सामान्य डेटा और इंटरफ़ेस मानक निर्धारित करता है।
    • अंतर-सेवा मतभेदों के बावजूद, थिएटर कमांड को सक्रिय किया जाना चाहिए, संभवतः प्रारंभिक अधिदेशों के साथ तथा समय के साथ विस्तारित प्राधिकारों का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
  • व्यावसायिक सैन्य शिक्षा (PME): PME को ऐसे प्रौद्योगिकीविद्-कमांडरों को तैयार करना चाहिए जो अनुकूलनीय संचालन में सक्षम हों तथा परीक्षण और त्रुटि से सीख सकें।
  • नागरिक-सैन्य सहयोग: DRDO, DPSUs, निजी उद्योग और विश्वविद्यालयों के साथ नागरिक-सैन्य संलयन कोडिंग, प्रोटोटाइपिंग, परीक्षण और तीव्र अनुकूलन के लिए महत्वपूर्ण है।
  • औद्योगिक आधार एकीकरण: मजबूत औद्योगिक आधार एकीकरण पुनरावृत्तीय सुधार और युद्धक्षेत्र अनुकूलनशीलता सुनिश्चित करता है।

निष्कर्ष:

संयुक्तता, एकीकरण और आधुनिकीकरण पर केंद्रित भारत के सैन्य सुधारों का उद्देश्य बहु-क्षेत्रीय खतरों का प्रभावी ढंग से सामना करना है। परिचालन तत्परता और युद्धक्षेत्र अनुकूलनशीलता के लिए सतत संरचनात्मक, सैद्धांतिक और तकनीकी विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: “भविष्य के युद्धक्षेत्र को तीव्र तकनीकी अनुकूलन और संयुक्तता द्वारा परिभाषित किया जाएगा।” इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए नई तकनीकों और संयुक्त कमान संरचनाओं को एकीकृत करने में भारतीय सशस्त्र बलों की रणनीति का परीक्षण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

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