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भारत में जैव प्रौद्योगिकी

Lokesh Pal September 02, 2024 05:45 49 0

संदर्भ :

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए ‘BioE3’ (Biotechnology for Economy, Environment and Employment) प्रस्ताव को मंजूरी दी है। भारत की वैक्सीन विकास जैसे क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति के बाद भी, देश अभी भी जैव प्रौद्योगिकी की पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाया है।

BioE3 नीति 

  • BioE3 नीति छह प्रमुख कार्यक्षेत्रों पर केंद्रित है : कार्बन कैप्चर, जैव-आधारित रसायन, फंक्शनल फूड, परिशुद्ध जैव चिकित्सा, जलवायु-प्रत्यास्थी कृषि एवं समुद्री/अंतरिक्ष अनुसंधान। 
  • इस नीति की सफलता केंद्र और राज्य सरकारों की दीर्घकालिक वित्तीय और अवसंरचनात्मक समर्थन एवं सहयोग पर निर्भर करेगी।
  • BioE3 नीति एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके प्रभाव को वास्तविकता में बदलने के लिए दीर्घकालिक पूंजी निवेश के लिए अनुकूल माहौल और केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है। 

भारत में जैव प्रौद्योगिकी

  • भारत जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विश्वभर के शीर्ष 12 गंतव्यों में शामिल है एवं एशिया-प्रशांत क्षेत्र में जैव प्रौद्योगिकी के लिए तीसरा सबसे बड़ा गंतव्य है। 
  • अनुमानित है कि भारत की जैव अर्थव्यवस्था वर्ष 2024 तक $130 बिलियन तक पहुँच जाएगी।
  • जैव प्रौद्योगिकी को ‘सनराइज क्षेत्र’ के रूप में मान्यता प्राप्त है और यह भारत की 2024 तक $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने के लक्ष्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 
  • भारत वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी बाजार में लगभग 3% हिस्सेदारी के साथ नवोन्मेषी और टिकाऊ स्वास्थ्य देखभाल समाधान प्रदान करने के प्रमुख केंद्र के रूप में उभर रहा है।

जैव प्रौद्योगीकी का महत्त्व

  • वैक्सीन उत्पादन : वैक्सीन उत्पादन में भारत की दक्षता ने इसे ‘विश्व के दवाख़ाने’ (Pharmacy of the World) के रूप में विख्यात किया है। भारत वैश्विक वैक्सीन उत्पादन में 60% की सहभागिता रखता है, जहाँ डिप्थीरिया, टिटेनस और परट्यूसिस (DPT) के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन की मांग की 40-70% की आपूर्ति करता है।
  • आर्थिक विकास :  भारत का जैव प्रौद्योगीकी उद्योग महत्त्वपूर्ण वृद्धि के लिये तैयार है, अनुमान है कि यह वर्ष 2025 तक $150 बिलियन तक पहुँच सकता है।
  • आयात में कमी : जैव प्रौद्योगिकी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत की आयात निर्भरता को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है। पर्यावरणीय जैव प्रौद्योगिकी आयातित प्लास्टिक के लिये पर्यावरण-अनुकूल विकल्प का सृजन करने और कुशल अपशिष्ट प्रबंधन समाधान विकसित करने में सहायता करती है।
  • कृषि क्रांति 2.0 : जैव प्रौद्योगिकी भारत की गंभीर कृषि चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करती है, जिसमें जलवायु-प्रत्यास्थी फसलों से लेकर उन्नत पोषण सामग्री तक व्यापक क्षेत्र शामिल हैं। भारत की पहली आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल बीटी कपास (Bt cotton) अब कपास की खेती में 95% योगदान देती है, जिससे उपज और किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

जैव प्रौद्योगिकी संबंधी चुनौतियाँ

  • वित्त की कमी : विभिन्न सरकारी प्रयासों के बावजूद भी भारतीय बायोटेक कंपनियों के लिये पर्याप्त वित्तपोषण तक पहुँच एक बड़ी बाधा बनी हुई है।
  • अवसंरचना में कमी : विभिन्न सुधारों के बावजूद भारत की जैव प्रौद्योगिकी अवसंरचना कई क्षेत्रों में वैश्विक मानकों से पीछे है। उच्चस्तरीय अनुसंधान उपकरण, अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ और जैव-संरक्षण सुविधाएँ प्रायः कम संख्या में या कुछ शहरी केंद्रों तक ही सीमित हैं।
  • बौद्धिक संपदा सुरक्षा : भारत में जैव प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तकों के लिये बौद्धिक संपदा की सुरक्षा चिंता का विषय बनी हुई है।
  • नीतिशास्त्रीय समस्याएँ : जैव प्रौद्योगिकी प्रायः जटिल नैतिक मुद्दों से संबद्ध होती है, जिससे अनुसंधान और वाणिज्यीकरण में बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों संबंधी समस्याएँ इसकी पुष्टि करती है, जहाँ नियामक अनुमोदन के बावजूद लोगों का विरोध GM सरसों के क्रियान्वयन में बाधा बना हुआ है।

निष्कर्ष

BioE3 पहल भारत की जैव प्रौद्योगिकी क्षमता का सही दिशा में प्रयोग करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण कदम है। इसके सफल क्रियान्वयन के लिए मजबूत वित्तीय और अवसंरचनात्मक समर्थन आवश्यक है। यह पहल आर्थिक विकास में प्रोत्साहन, पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा एवं रोजगार सृजन आदि कर सकती है |  जिसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों के मध्य प्रभावी समन्वयन की आवश्यकता है। भारत की जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निरंतर प्रगति उसकी वैश्विक स्थिति और सतत विकास लक्ष्यों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगी।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में ‘BioE3’ पहल की चर्चा कीजिए | यह पहल भारत में जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लाएगी, समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए |

(15 अंक, 250 शब्द) 

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