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भारत में विमानन सुरक्षा के लिए ब्लैक फ्राइडे

Lokesh Pal December 08, 2025 05:00 4 0

सन्दर्भ:

इंडिगो की बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द होने से भारत के विमानन क्षेत्र में एक गंभीर संकट सामने आया, जिससे हजारों लोगों की यात्राएँ बाधित हुईं और वो एक ही स्थान पर फँस गए, जिसके बाद सरकार को तत्काल कार्यवाही करनी पड़ी।

  • एक विवादास्पद प्रयास में नागर विमानन मंत्रालय और DGCA ने FDTL सुरक्षा मानदंडों को निलंबित कर दिया, जिससे पायलट थकान, यात्री सुरक्षा और विनियामक विश्वसनीयता के संबंध में गहरी चिंताएँ उत्पन्न हुईं।

FDTL [उड़ान ड्यूटी समय सीमा] और संबंधित नियम

  • FDTL का अर्थ: FDTL का अर्थ है – फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन, जो पायलटों के लिए ड्यूटी घंटे और आराम अवधि को नियंत्रित करता है।
  • FDTL का उद्देश्य: ये नियम इसलिए हैं, क्योंकि पायलट थकान और नींद की कमी के प्रति संवेदनशील होते हैं।
    • अत्यधिक थकान पायलट की प्रतिक्रिया समय को धीमा और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है।
  • नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) की भूमिका: DGCA ने इस क्षेत्र को विनियमित करने तथा पायलट और यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए FDTL नियम तैयार किए।

5 दिसंबर, 2025 की घटना

  • बड़े पैमाने पर उड़ानें रद्द: 5 दिसंबर, 2025 को लोग “ब्लैक फ्राइडे” कह रहे हैं, क्योंकि इंडिगो ने लगभग 1,000 उड़ानें एक साथ रद्द कर दीं
  • इंडिगो द्वारा दिया गया कारण: इंडिगो ने कहा, कि नए लागू किए गए FDTL नियमों का पालन करने के लिए आवश्यक पायलटों की कमी के कारण व्यापक उड़ानें रद्द हुईं।
  • सरकार की प्रतिक्रिया: नागर विमानन मंत्री ने नए FDTL नियमों को निलंबित कर दिया, यह कहते हुए कि परिचालन को स्थिर करने और फंसे हुए यात्रियों को राहत प्रदान करने के लिए यह आवश्यक था।
  • निलंबन का निहितार्थ: निलंबन का अर्थ था, कि पायलट पुनः पुराने नियमों के तहत उड़ान भरेंगे, जिससे प्रभावी रूप से थके हुए पायलटों को विमान उड़ाने की अनुमति मिल जाएगी
    • इससे सुरक्षा और वाणिज्यिक हितों के मध्य स्पष्ट टकराव परिलक्षित होता है, जिसमें सरकार सुरक्षा की बजाय परिचालन स्थिरता को प्राथमिकता दे रही है।
  • प्रशासनिक खामियाँ: इंडिगो के प्रबंधन और DGCA दोनों को एक वर्ष से अधिक समय से पता था, कि नए नियम 1 नवंबर, 2025 से प्रभावी होंगे, फिर भी वे पर्याप्त तैयारी करने में विफल रहे।

वर्ष 2007 से सुरक्षा मानकों में कमी

  • मूल सुरक्षा-केंद्रित नियम: 2007 में DGCA ने बेहतर नियम बनाए, जो ऑपरेटिंग क्रू के लिए उचित आराम पर बहुत अधिक केंद्रित थे
  • एयरलाइनों का हस्तक्षेप: एयरलाइन मालिकों ने मंत्रालय से शिकायत की और 2008 में मंत्रालय ने DGCA को सुधारे गए नियमों को निलंबित करने का आदेश दिया
    • यह एक आवर्ती पैटर्न को दर्शाता है, जहाँ वाणिज्यिक हित महत्त्वपूर्ण सुरक्षा विचारों पर हावी हो जाते हैं।
  • बॉम्बे उच्च न्यायालय और DGCA: पायलट एसोसिएशन ने एक मामला दायर कर तर्क दिया, कि उन्हें उचित आराम नहीं दिया गया तथा DGCA के सुरक्षा-केंद्रित नियमों को सरकारी दबाव के कारण स्थगित कर दिया गया।
  • उच्च न्यायालय का प्रारंभिक दृष्टिकोण: उच्च न्यायालय ने शुरू में पायलटों का समर्थन किया और कहा, कि वित्तीय हितों के लिए सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता।
    • न्यायालय ने सुझाव दिया, कि कमी के दौरान पायलटों के ड्यूटी घंटे बढ़ाने की बजाय उड़ानों की संख्या कम की जाए।
  • उच्च न्यायालय के निर्णय में बदलाव: बाद में उच्च न्यायालय ने अपने आदेश को पलट दिया और मंत्रालय की कार्यवाही को बरकरार रखा, तथा सुरक्षा चिंताओं को प्रभावी रूप से दरकिनार कर दिया।
  • न्यायालय के बाद के निष्कर्ष: पायलट एसोसिएशन ने अपनी लड़ाई जारी रखी, और अंततः न्यायालय ने DGCA को नियमों को संशोधित करने का आदेश दिया तथा पायलटों के साथ “बंधुआ मजदूर” जैसा व्यवहार करने के लिए DGCA की आलोचना की।

भारत में नागर विमानन सुरक्षा से संबंधित मुद्दे

  • पायलटों की लगातार कम संख्या: पहले के FDTL मानदंडों के तहत भी, एयरलाइनों को प्रति घरेलू विमान के लिए न्यूनतम 6 पायलट सेट और प्रति वाइड-बॉडी लंबी दूरी के विमान के लिए 12 पायलट सेट की आवश्यकता होती थी।
    • एयरलाइनों, विशेषकर इंडिगो ने कथित तौर पर विनियामक खामियों का लाभ उठाया तथा लागत कम करने के लिए जानबूझकर चालक दल को कम रोजगार पर रखा।
  • विनियामक उदासीनता: दो दशकों से अधिक समय से न्यायपालिका ने विमानन मामलों में कार्यपालिका पर दबाव डाला है, जिससे ऐसी संस्कृति को बढ़ावा मिला है जहाँ सुरक्षा संबंधी चिंताओं पर न्यूनतम न्यायिक जाँच होती है।
  • ICAO की चेतावनी की अनदेखी: ICAO की 2006 की चेतावनी के बावजूद, भारत अभी भी एक गैर-स्वतंत्र DGCA पर निर्भर है, जिसकी निगरानी लगातार कमजोर होती जा रही है।
    • उद्योग के विकास पर केंद्रित मंत्रालय के अंतर्गत इसे रखे जाने से हितों का संरचनात्मक टकराव उत्पन्न होता है, जिससे सुरक्षा में चूक और एयरलाइनों द्वारा गैर-अनुपालन जारी रहने की संभावना बनी रहती है।
  • सुरक्षा मानदंडों का उल्लंघन: 5 दिसंबर, 2025 को DGCA ने पायलटों से सहयोग की अपील की, जिससे एक तत्काल सुरक्षा चिंता का संकेत मिला। फिर भी, कुछ ही घंटों के भीतर विमानन मंत्रालय ने FDTL सीएआर —जिनके लिए उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था—को निलंबित कर दिया, जिससे सुरक्षा मानदंडों को कमज़ोर करने की कार्यकारी तत्परता का पता चलता है।
  • गैर-अनुपालन की संस्कृति: गैर-अनुपालन की एक सतत संस्कृति स्पष्ट है, क्योंकि इंडिगो ने एक वर्ष से भी अधिक समय से उच्च न्यायालय द्वारा अनिवार्य CAR की अनदेखी की है। 10 फरवरी, 2026 की समय-सीमा से पूर्व, दो महीनों के भीतर पूर्ण अनुपालन की आशा करना, अनुचित है।

निष्कर्ष

भारत में 2010 से अब तक तीन बड़ी विमान दुर्घटनाएँ हुई हैं (मंगलौर, कोझिकोड और अहमदाबाद)। अक्सर यह दुहराया जाता है, कि सुरक्षा सर्वोपरि है, लेकिन 5 दिसंबर, 2025 को हुई कार्यवाही यह सिद्ध करती है कि भारत में विमानन सुरक्षा अभी भी एक मिथक है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: हाल ही में, इंडिगो की उड़ानें रद्द होने के बाद DGCA ने यात्रियों की राहत को प्राथमिकता देने के लिए उड़ान ड्यूटी समय सीमा (FDTL) आदेशों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया। सुरक्षा की बजाय राहत को प्राथमिकता देने के दीर्घकालिक परिणाम क्या हैं, और DGCA भविष्य में विमानन सुरक्षा को सुनिश्चित करने हेतु कौन-से उपाय कर सकता है?

(15 अंक, 250 शब्द)

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