100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

पूर्वोत्तर हेतु सीमा प्रबंधन एवं सुरक्षा : म्यांमार, मणिपुर में शांति बहाली एक चुनौती

Lokesh Pal February 20, 2025 05:00 12 0

संदर्भ:

हाल ही में, म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता के परिणामस्वरूप उत्पन्न सीमा पार से शरणार्थियों की आमद पूर्वोत्तर भारत की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सीमा प्रबंधन पर दबाव डाल रही है|

पूर्वोत्तर भारत में उग्रवाद की समस्या :

  • दीर्घकालिक उग्रवाद से स्थिरता की ओर : पूर्वोत्तर भारत ने ऐतिहासिक रूप से लंबे समय तक उग्रवाद का सामना किया है। हालाँकि, हाल के दशकों में, इस क्षेत्र के बड़े हिस्से ऐसे संघर्षों से मुक्त रहे हैं।
    • इस स्थिरता ने बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के क्रियान्वयन को सक्षम बनाया है।
  • मणिपुर हिंसा: हालांकि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अवस्थित होने के कारण सरकार द्वारा सुरक्षा के पर्याप्त नेटवर्क स्थापित किए हैं परंतु प्रगति के बावजूद, मणिपुर में हाल ही में हुई हिंसा इन उपलब्धियों पर बढ़ते दबाव को उजागर करती है। इस अस्थिरता में योगदान देने वाले  प्राथमिक कारकों में, म्यांमार में विकसित हो रही निरंकुशता और राजनीतिक अलगाव है।

म्यांमार संकट का प्रभाव:

  • सैन्य तख्तापलट: फरवरी 2021 में, म्यांमार में सैन्य तख्तापलट हुआ, जिसकी व्यापक रूप से सार्वजनिक अस्वीकृति व अवहेलना की गई। हालांकि नागरिक अवज्ञा आंदोलन बहुत कम समय में  ही सशस्त्र प्रतिरोध में बदल गया, जिसके बाद पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज (पीडीएफ) का गठन हुआ। 
  • सशस्त्र संघर्ष में वृद्धि: पीडीएफ ने जातीय सशस्त्र संगठनों (ईएओ) के साथ मिलकर समन्वित हमले किए, जिससे म्यांमार की सेना (तत्मादाव) को विशाल क्षेत्रों पर नियंत्रण छोड़ना पड़ा।
    • जवाब में, तत्मादाव ने हवाई और तोपखाने की बमबारी सहित भारी सैन्य बल का सहारा लिया। 
  • प्रभावित क्षेत्र: म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र, चिन और काचिन राज्यों में तीव्र झड़पें हुईं, जिनकी सीमाएँ पूर्वोत्तर भारत से लगती हैं। इन क्षेत्रों में संघर्ष का भारत के पूर्वोत्तर में स्थिरता पर सीधा प्रभाव पड़ता है। 
  • जातीय संबंध: पूर्वोत्तर भारत कई जातीय और जनजातीय समूहों का निवास है, जैसे मिज़ो-चिन-कुकी, जिनके भारत-म्यांमार सीमा पार मजबूत सामुदायिक और पारिवारिक संबंध हैं।
  • एफएमआर की स्थापना: इन जातीय संबंधों को मान्यता देते हुए, स्वतंत्रता के बाद एक मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) की स्थापना की गई, जो शुरू में 40 किलोमीटर के दायरे में फैली थी, जिसे बाद में घटाकर 16 किलोमीटर कर दिया गया।
    • मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) ने बिना वीजा के सीमा पार आवागमन की अनुमति दी तथा व्यापार और आजीविका को बढ़ावा देने के लिए सीमा हाट जैसी स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाया।
  • शरणार्थियों की आमद: म्यांमार में हिंसक संघर्ष के कारण बड़े पैमाने पर शरणार्थी भारत में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे सीमा प्रबंधन रणनीतियों पर असर पड़ा। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के अनुमान (31 दिसंबर, 2024) के अनुसार:
    • म्यांमार से 95,600 शरणार्थी भारत में आए।
    • सैन्य तख्तापलट के बाद 73,400 शरणार्थी आए।
    • हालांकि सीमा पर लचीली प्रवेश सुविधाएँ मौजूद हैं जिससे शरणार्थियों के सटीक आंकड़े अनिश्चित बने हुए हैं।
  • सीमावर्ती राज्यों की प्रतिक्रिया: 
    • मिजोरम: नागरिक समाज और राज्य सरकार ने साझा जातीय पहचान के कारण शरणार्थियों के प्रति सहानुभूति दिखाई है।
    • मणिपुर: जातीय संतुलन और मैतेई-कुकी संघर्ष पर इसके प्रभाव को लेकर चिंताओं के कारण शरणार्थियों के आगमन के खिलाफ प्रतिरोध हुआ है।
  • मुक्त आवागमन व्यवस्था पर प्रतिबंध: सुरक्षा चिंताओं के जवाब में, केंद्रीय गृहमंत्री ने आंतरिक सुरक्षा की रक्षा और पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) को समाप्त करने की घोषणा की।
    • हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि भारत के विदेश मंत्रालय ने म्यांमार को औपचारिक रूप से इसकी सूचना दी है या नहीं।
    • प्रतिक्रियास्वरूप दिसंबर 2024 में, एक नया ढांचा पेश किया गया, जिसमें परमिट के साथ निर्दिष्ट प्रवेश/निकास बिंदुओं पर सीमा के 10 किमी के भीतर आवाजाही की अनुमति दी गई।
  • आर्थिक प्रभाव: आर्थिक जुड़ाव के लिए मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफएमआर) का विस्तार करने के बजाय, इसके प्रतिबंध ने सीमा व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
    • मोरेह (मणिपुर), एक प्रमुख व्यापारिक शहर है जहाँ हाल ही में हुई हिंसा के कारण काफी लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है, जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए भारत के प्रवेश द्वार के रूप में इसकी क्षमता प्रभावित हुई है। 
    • भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग की योजनाएँ भी प्रभावित क्षेत्र के कारण शिथिल हो गई हैं।

भारत के लिए आगे की राह:

  • संतुलित प्रतिक्रिया: चीन के विपरीत, भारत के पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की सदस्यता नहीं है और उसे म्यांमार संकट को उदार लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर ही सुलझाना चाहिए।
    • म्यांमार में विकास को प्रबंधित करने और मणिपुर में व्याप्त अस्थिरता को रोकने के लिए अधिक संतुलित और व्यापक रणनीति की आवश्यकता है।
  • सीमा पार उग्रवाद को संबोधित करना: म्यांमार में भारतीय विद्रोही समूहों और सशस्त्र समूहों के बीच अस्वस्थ संबंधों के समेकन को कम किया जाना चाहिए। म्यांमार में विभिन्न जातीय संगठनों के साथ जुड़ना दीर्घकालिक स्थिरता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • मानवीय सहायता: सीमावर्ती क्षेत्रों में मानवीय सहायता बढ़ायी जानी चाहिए। भारत में जबरन प्रवास को कम करने के लिए भारत-म्यांमार सीमा (मणिपुर और मिजोरम) के पास स्वास्थ्य सेवा और शैक्षिक बुनियादी ढाँचा विकसित किया जाना चाहिए।
  • राजनयिक प्रयास: भारत को चुनिंदा क्षेत्रीय भागीदारों के साथ मिलकर म्यांमार के सभी हितधारकों को दीर्घकालिक शांति के लिए संघीय लोकतांत्रिक ढाँचा अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने पर बल देना चाहिए।
  • संसाधनों का आवंटन: बांग्लादेश में राजनीतिक अनिश्चितता और म्यांमार में गृह युद्ध पूर्वोत्तर भारत की बाहरी आर्थिक भागीदारी के लिए एक महत्त्वपूर्ण बाधा है।
    • भारत सरकार को इस क्षेत्र में आर्थिक विकास को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त संसाधन आवंटित करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष:

मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों के बावजूद, व्यापक उद्देश्यों के मद्देनजर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत का मुख्य ध्यान आर्थिक संबंधों को बढ़ाने पर केंद्रित होना चाहिए। नीतिगत ढांचे को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि परिस्थितियाँ अनुकूल होते ही आर्थिक अवसरों का लाभ उठाया जा सके।   

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न. म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता का पूर्वोत्तर भारत, विशेष रूप से मणिपुर और मिजोरम पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में म्यांमार शरणार्थियों की आमद के सुरक्षा, जनसांख्यिकीय और आर्थिक निहितार्थों पर पड़े प्रभाव की चर्चा करें।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.