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ब्रिक्स शिखर सम्मेलन तथा भारत-ईरान संबंध

Lokesh Pal November 04, 2024 05:15 46 0

संदर्भ :

रूस के कज़ान में हाल ही में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने भारत और ईरान को अपने द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित करने का एक रणनीतिक अवसर प्रदान किया है, जिसमें लंबे समय के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों के साथ पिछले कुछ वर्षों में स्थायित्व आया है।

मुख्य बिंदु 

  • गाजा संघर्ष के कारण होने वाले तनाव में वृद्धि के मद्देनज़र, भारत के साथ इज़राइल और ईरान के बेहतर संबंधों का लाभ उठाते हुए, ईरान तनाव में कमी लाने के उद्देश्य से भारत की ओर देखता है।
  • इस द्विपक्षीय बैठक में क्षेत्रीय स्थिरता के मद्देनज़र एक-दूसरे की भूमिकाओं की पारस्परिक मान्यता और कई क्षेत्रों में सुदृढ़ साझेदारी की संभावना पर बल दिया गया।
  • ईरान द्वारा विश्व में भारत की बढ़ती भूमिका की भी सराहना की गई तथा वर्ष 2023 में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और ब्रिक्स जैसे प्रमुख बहुपक्षीय संगठनों में ईरान के प्रवेश में भारत द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया । 

सहयोग के प्रमुख क्षेत्र और भारत के निहितार्थ

क्षेत्रीय कनेक्टिविटी

  • चाबहार बंदरगाह और INSTC : चाबहार बंदरगाह भारत-ईरान संबंधों में केंद्रीय भूमिका निभाता है। मई 2024 में भारत और ईरान ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में चाबहार के महत्त्व को मजबूत करते हुए 10 वर्ष के परिचालन अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
  • सामरिक महत्त्व : हॉर्मुज जलडमरूमध्य के बाहर स्थित चाबहार बंदरगाह, भारत के कांडला और मुंबई बंदरगाहों तक स्थायी पहुँच प्रदान करता है, जिससे फारस की खाड़ी में संभावित संघर्षों के कारण होने वाले व्यापार जोखिम कम हो जाते हैं।
  • वर्धित कनेक्टिविटी : ज़ाहेदान से अफगानिस्तान में जरांज तक एक प्रस्तावित सड़क लिंक के साथ चाबहार और ज़ाहेदान के मध्य 700 किलोमीटर लंबे रेलवे लिंक परियोजना संबंधी कार्यों में तेजी लाई गई है, जो पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान में मानवीय सहायता भेजने में भारत को सक्षम बनाएगा।
  • ईरान की रणनीतिक तटरेखा का उपयोग : भारतीय कंपनियाँ, ईरान की तटरेखा के साथ साझा रसद और बंदरगाह सुविधाओं से लाभ उठा सकती हैं, जिससे क्षेत्र में भारत के व्यापार पदचिह्न (फुटप्रिंट) को बढ़ावा मिलेगा।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC)

  • INSTC अपने मार्ग में स्थित  देशों के मध्य  व्यापार और परिवहन कनेक्टिविटी को बढ़ाने हेतु 12 सितंबर, 2000 को एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर द्वारा भारत, रूस और ईरान द्वारा की गई एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
  • वर्तमान में INSTC के 13 सदस्य हैं यथा- भारत, ईरान, रूस, अजरबैजान, अर्मेनिया, कज़ाख्स्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कीये, यूक्रेन, बेलारूस, ओमान और सीरिया। बुल्गारिया एक पर्यवेक्षक राज्य के रूप में शामिल हुआ है।
  • यह भारत से उत्तरी और पश्चिमी यूरोप तक एक मल्टीमॉडल, लागत तथा समय प्रभावी मार्ग है।
  • यह गलियारा, इसमें शामिल सभी देशों के भू-रणनीतिक और आर्थिक महत्त्व को ध्यान में रखते हुए भारत की कनेक्टिविटी मध्य एशिया तथा यूरेशियन क्षेत्र के साथ बढ़ाने में सक्षम है।

ऊर्जा सुरक्षा

  • तेल और गैस आयात : कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार के साथ ईरान भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। मई 2024 में ईरान के कच्चे तेल का उत्पादन बढ़कर 3.4 मिलियन बैरल प्रतिदिन हो गया, जबकि मार्च 2024 में निर्यात 1.61 मिलियन बीपीडी तक पहुँच गया।
  • ईरान-ओमान-भारत गैस पाइपलाइन : प्रारंभ में 1993 में प्रस्तावित पाइपलाइन परियोजना में नए सिरे से रुचि उत्पन्न हुयी है। ईरान और ओमान दो समुद्री पाइपलाइन परियोजनाओं पर कार्य कर रहे हैं, जो राजनीतिक और तार्किक बाधाओं को दूर करने पर संभावित रूप से भारत तक विस्तारित हो सकती हैं।
  • तेल आयात : वर्ष 2019 से पूर्व ईरान द्वारा भारत की लगभग 12% तेल आवश्यकताओं की आपूर्ति की जाती थी । प्रतिबंधों में संभावित ढील के चलते यह साझेदारी ईरान को एक महत्त्वपूर्ण बाजार प्रदान करते हुए, भारत को अपनी ऊर्जा मांगों को पूरा करने में मदद कर सकती है।

रक्षा सहयोग

  • सैन्य सहयोग : ईरान ने बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक मिसाइलों तथा सशस्त्र ड्रोन सहित अपनी सैन्य क्षमताओं को उन्नत किया है। यूक्रेन युद्ध हेतु ईरान द्वारा रूस को ड्रोन सप्लाई किया जा रहा है। भारत अपने ड्रोन कार्यक्रम में विकास के साथ इस क्षेत्र में ईरान के साथ सहयोग पर विचार कर सकता है।
  • आतंकवाद विरोधी और गोपनीय सूचना साझाकरण : दोनों राष्ट्र, विशेषकर पाकिस्तान के समूहों से आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में विश्वास रखते है। संयुक्त अभ्यास और गोपनीय सूचना साझा करने से क्षेत्रीय सुरक्षा सुदृढ़ हो सकती है।

कूटनीतिक चुनौतियाँ

  • विवादास्पद बयानों का प्रबंधन : 
    • ईरानी नेताओं की टिप्पणियाँ, यथा हाल ही में ईरान के सर्वोच्च नेता द्वारा भारतीय मुसलमानों की तुलना गाजा के लोगों से करना, कभी-कभी द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पैदा करता है। 
    • उनके रणनीतिक संबंधों को संरक्षित करने के लिए इन संवेदनशीलताओं को समझना आवश्यक होगा।
  • पश्चिमी प्रतिबंधों से निपटना : 
    • विशेषकर रक्षा सहयोग और ऊर्जा व्यापार के क्षेत्र में ईरान पर लगे पश्चिमी प्रतिबंध एक चुनौती बने हुए हैं । 
    • हालाँकि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता, जैसा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के प्रति उसके दृष्टिकोण में दिखाया गया है, एक मिसाल कायम करती है। 
    • भारत को बाह्य दबावों पर राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देते हुए ईरान के साथ भी इसी तरह का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत और ईरान के पास अपनी रणनीतिक साझेदारी को सुदृढ़ करने की क्षमता मौजूद है I विशेषकर हाल के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मद्देनजर, भारत जहाँ पश्चिम एशिया में अपनी भागीदारी को बढ़ा रहा है वहीं ईरान अपनी राजनयिक प्रगति को मजबूत कर रहा है, जो एक नवीन वैश्चिक संबंधों की नींव सुनिश्चित करने हेतु महत्त्वपूर्ण हैं ।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

भारत और ईरान के मध्य प्रारंभ से ही घनिष्ठ ऐतिहासिक संबंध रहे हैं। भारत और ईरान के मध्य  द्विपक्षीय संबंधों में विभिन्न उतार-चढ़ाव को देखते हुए, सामूहिक लक्ष्यों और समृद्धि की प्राप्ति के मद्देनज़र दोनों देशों के संबंधों में पुनः परिवर्तन का समय आ गया है। विश्लेषण कीजिए |

(15 अंक, 250 शब्द)

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