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Lokesh Pal
September 18, 2025 05:00
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भारत की विकास गाथा अक्सर यह मानकर चलती है कि उत्पादन में वृद्धि से स्वतः ही रोज़गार सृजित होंगे। लेकिन, पूंजी-केंद्रित तकनीकों का बढ़ता इस्तेमाल, मांग में कमी और मजदूरी का घटता अंश इस विकास मॉडल की स्थिरता को चुनौती देते हैं।
रोज़गार सृजन और वेतन वृद्धि के बिना आर्थिक विकास स्वाभाविक रूप से अस्थिर है। भारत के दीर्घकालिक विकास के लिए श्रम-प्रधान, माँग-आधारित रणनीतियों की ओर पुनर्संतुलन की आवश्यकता है, जिससे उत्पादकता और समावेशिता दोनों सुनिश्चित हों सके।
मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:प्रश्न: तीव्र आर्थिक विकास के लिए केवल उत्पादकता पर ध्यान केंद्रित करने से संभावित रूप से बेरोज़गारी और बढ़ती असमानता पैदा होने का विरोधाभास उत्पन्न होता है, जिससे दीर्घकाल में विकास स्थायी नहीं रह पाता। इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। उत्पादकता वृद्धि और समावेशी एवं सतत रोज़गार सृजन के बीच संतुलन बनाने के लिए भारत को कौन से नीतिगत उपाय अपनाने चाहिए? (15 अंक, 250 शब्द) |
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