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चाबहार और पश्चिम एशिया के समीकरण में बदलाव

Lokesh Pal September 27, 2025 05:30 8 0

संदर्भ:

हाल ही में, अमेरिका ने ईरान के चाबहार बंदरगाह से संबंधित प्रतिबंधों में छूट समाप्त करने की घोषणा की।

चाबहार बंदरगाह का महत्व:

  • सामरिक संपर्क: यह बंदरगाह भारत को पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ व्यापार करने का एक “सुनहरा अवसर” प्रदान करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय एकीकरण: यह इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) का हिस्सा है, जो क्षेत्रीय व्यापार संबंधों को मजबूत करता है।

छूट के बारे में:

  • अमेरिकी प्रतिबंधों में छूट: 2018 में ईरान फ्रीडम एंड काउंटर-प्रोलिफरेशन एक्ट (IFCA) के तहत दी गई यह छूट भारत को चाबहार बंदरगाह को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिये एक प्रवेश द्वार के रूप में विकसित करने की अपनी दीर्घकालिक योजना को आगे बढ़ाने की अनुमति देती थी।
    • यह छूट राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा ईरान परमाणु समझौते से एकतरफा रूप से हटने और तेहरान के विरुद्ध “अधिकतम दबाव” अभियान शुरू करने के बाद शुरू की गई थी।
  • समाप्ति का प्रभाव: 17 सितंबर, 2025 को अमेरिका ने इस प्रतिबंध छूट की समाप्ति की घोषणा की।
    • इस समझौते की समाप्ति से चाबहार में भारत के निवेश को पूरी तरह से क्रियान्वित करने की स्वतंत्रता बाधित होगी, तथा इससे उसकी रणनीतिक संपर्क योजनाओं को झटका लगेगा।
  • भारत का निवेश जोखिम: भारत ने बंदरगाह के विकास और संचालन के लिए मई 2024 में 10 साल के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। छूट की समाप्ति से यह धनराशि और यूरेशिया से संपर्क बढ़ाने की भारत की योजना जोखिम में पड़ जाएगी।

भारत का सामरिक संतुलन:

  • भारत एक साथ दो प्रमुख और प्रायः परस्पर विरोधी कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है:
    • चाबहार बंदरगाह: ईरान के साथ।
    • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC): अमेरिका, यूरोपीय संघ, सऊदी अरब और इजरायल के साथ।
      • IMEC का उद्देश्य स्वेज नहर का एक वैकल्पिक मार्ग तैयार करना है, जिसके माध्यम से मुंबई से माल यूएई, सऊदी अरब, इज़राइल होते हुए ग्रीस/यूरोप पहुंचाया जा सके।
      • IMEC को चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के प्रति-पहल के रूप में भी देखा जाता है।

पश्चिम एशिया की गतिशीलता में बदलाव:

  • इजराइल की धारणा: खाड़ी देश अब यह मान रहे हैं कि इजराइल पूरे क्षेत्र में एक अनियंत्रित सैन्य शक्ति बनने का प्रयास कर रहा है।
  • अमेरिकी विश्वसनीयता: हाल के संघर्षों (जैसे इज़राइल और ईरान के बीच युद्ध) ने पश्चिम एशिया में रणनीतिक धारणाओं को नाटकीय रूप से बदल दिया है। पश्चिम एशियाई देश अमेरिका द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा गारंटी पर भरोसा करने को लेकर लगातार संशय में हैं।
  • नए गठबंधन: देश नई साझेदारियां तलाश रहे हैं; उदाहरण के लिए, सऊदी अरब ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ एक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • ईरान का प्रतिद्वंद्वियों के बारे में दृष्टिकोण: ईरान सऊदी अरब के पाकिस्तान के साथ गठबंधन को लेकर ज़्यादा चिंतित नहीं है, क्योंकि वह चाहता है कि क्षेत्रीय मुद्दों का समाधान क्षेत्रीय ताकतों द्वारा ही किया जाए। ईरान की मुख्य चिंता पाकिस्तान का अमेरिका के साथ गठबंधन करना है।

भारत के प्रति ईरान का दृष्टिकोण:

  • ईरान का कनेक्टिविटी उद्देश्य: ईरानी राष्ट्रपति ने चाबहार बंदरगाह को ईरान के रेलवे नेटवर्क से जोड़ने पर बल दिया है, जो चीन, मध्य एशिया और अफगानिस्तान को हिंद महासागर से जोड़ेगा।
  • भारत की अनदेखी: योजना में चीन को प्रमुखता से शामिल किया गया, जबकि बंदरगाह के विकासकर्ता भारत का उल्लेख नहीं किया गया, जो ईरान की रणनीतिक प्राथमिकताओं में बदलाव का संकेत है

आगे की राह:

  • स्वतंत्र रुख: भारत को एक स्वतंत्र विदेश नीति रुख का प्रदर्शन करना चाहिए। वर्तमान में, भारत दो पक्षों के बीच फंसा हुआ है – अमेरिका का मानना है कि भारत रूस का पक्षधर है, जबकि रूस/चीन गुट भारत पर विश्वास नहीं करता है और उसे अमेरिका का मित्र मानता है।
  • सक्रिय कूटनीति: विभिन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत ने चाबहार बंदरगाह के माध्यम से व्यापार बढ़ाने के लिए आर्मेनिया और उज्बेकिस्तान के साथ त्रिपक्षीय बैठकों में भाग लेकर एक सकारात्मक शुरुआत की है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न. चाबहार प्रतिबंधों में छूट समाप्त करने का अमेरिकी निर्णय भारत की क्षेत्रीय संपर्क रणनीति के लिए चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है। मध्य एशिया में भारत के व्यापार और रणनीतिक पहुँच पर इसके प्रभावों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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