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बाल तस्करी

Lokesh Pal June 03, 2024 05:00 120 0

संदर्भ: 

  • आपराधिक गतिविधि ज्यादातर सामाजिक-आर्थिक कारकों के संयोजन से प्रेरित होती है – एक तरफ गरीबी, दूसरी तरफ धन, और अधूरी ज़रूरतें या इच्छाएँ। 
  • हाल ही में तेलंगाना पुलिस द्वारा पकड़े गए अंतर-राज्यीय बाल तस्करी रैकेट को भी आपराधिक नज़रिए से देखे जाने की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में बाल तस्करी रैकेट और बाल तस्करी को रोकने के उपाय।

भारत में बाल तस्करी रैकेट:

  • बाल तस्करी रैकेट: हालाँकि बाल तस्करी रैकेट की खबरें समय-समय पर सुर्खियों में छाई रहती हैं, लेकिन तेलंगाना राज्य के इस नेटवर्क के भंडाफोड़ से कई राज्यों में फैले इस बाल तस्करी रॉकेट के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है
  • अंतरराज्यीय परिचालन: एक अंतरराज्यीय गिरोह दिल्ली और पुणे से बच्चों की तस्करी करता था और उन्हें तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के भावी माता-पिता को बेच देता था।
  • गिरफ्तारियाँ: पिछले वर्ष 50 से अधिक बच्चों की तस्करी के आरोप के लिए तकरीबन 11 लोगों को ही गिरफ्तार किया जा सका
  • बच्चों की खरीद-फरोख्त: प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, यह गिरोह दिल्ली में दो व्यक्तियों और पुणे में एक व्यक्ति से, बच्चों को ‘ख़रीदारी करता था’ और उन्हें आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना में ले जाकर तथा इन राज्यों में निःसंतान दम्पत्तियों के बीच सबसे अधिक बोली लगाने वाले को इन बच्चों को बेच देता था
    • यह पता चला है कि एक बच्चे की कीमत तकरीबन ₹1.80 लाख और ₹5.50 लाख, के बीच हो सकती है जिससे दलालों को कमीशन के रूप में ₹50,000 और ₹1 लाख तक की कमाई हो जाती है।
  • जाँच की आवश्यकता: गिरोह की तीन महिलाओं पर पहले भी इसी अपराध के लिए मामला दर्ज किया जा चुका है। आगे की जाँच पड़ताल से इस बात का पता चल सकेगा कि बच्चों की खरीद-फरोख्त किस प्रकार से की जाती है, ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि यह पहली बार नहीं है कि इस तरह के रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है इससे पहले भी ऐसे कई रैकेटों का पता चला है।

बाल तस्करी के प्रमुख कारण: 

  • गरीबी: कुछ मामलों में जैविक माता-पिता को अपनी गरीबी की वजह से, अपने बच्चों को केवल कुछ मामूली रकम में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है इसके अतिरिक्त कुछ मामलों में सरकारी अस्पतालों जहाँ की सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत लचर है से भी नवजात शिशुओं की तस्करी की जाती है।
  • गोद लेने की प्रक्रिया: वे दम्पति जो बच्चे पैदा करने के इच्छुक जोड़े हैं तथा ये काफी लम्बे समय से किसी बच्चे को कानूनी रूप से गोद लेने के लिए लंबे समय तक इंतजार करते हैं। 
    • दो वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को गोद लेने के लिए वर्तमान में इंतजार करने का समय दो से चार वर्षों से भी अधिक हो सकता है ।
  • गोद लेने के लिए शिशुओं/बच्चों की उपलब्धता का अभाव: बच्चों के सर्वोत्तम हितों की सुनिश्चितता के लिए लंबी प्रक्रिया अपनाई जाती है, इसके अलावा गोद लेने के लिए शिशुओं की अनुपलब्धता इस प्रक्रिया और भी जटिल बना दिया है, जिसकी वजह से माँग को किसी भी तरह से आपूर्ति के रास्ते तलाशने की इजाजत मिल गई है इसकी वजह से भी बाल तस्करी को बढ़ावा मिलता है।

अन्य संबंधित तथ्य :

  • अल्पावधि उपाय: अल्पावधि के उपाय के रूप में किसी एक गिरोह को घेरना और उसे पकड़ना सबसे अच्छा उपाय हो सकता है
    • बच्चे कोई वस्तु नहीं हैं जिन्हें आपूर्ति कम होने की स्थिति में मुक्त बाजारों से महँगे दामों पर खरीदा जा सके।
  • दीर्घकालिक उपाय: ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए, सरकार को निम्नलिखित बिन्दुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
    • गरीबी निर्मूलन योजनाएँ विकसित की जानी चाहिए ।
    • युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है ।
    • जैविक और दत्तक माता-पिता दोनों के लिए गोद लेने की योजनाओं के बारे में जागरूकता के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है।
    • गोद लेने में शामिल अनावश्यक नौकरशाही प्रक्रियाएँ को हटाने की आवश्यकता है।
    • बाल तस्करी जैसी आपराधिक गतिविधियों की रोकथाम तथा इसे जड़ से खत्म करने के लिए प्रभावी पुलिसिंग की आवश्यकता है।

निष्कर्ष: 

निष्कर्षस्वरूप यह कहा जा सकता है कि शिशु तस्करी पर ध्यान देने तथा उसे रोकने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण को अपनाने की आवश्यकता है, इसमें शामिल हैं गरीबी उन्मूलन, गोद लेने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, जागरूकता का प्रचार-प्रसार करना और कानून प्रवर्तन को बढ़ावा देना इत्यादि।

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

जीएस-03: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियाँ पैदा करने में बाहरी राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं की भूमिका। 

प्र. भारत में अंतरराज्यीय बाल तस्करी रैकेट जैसी आपराधिक गतिविधियों में योगदान देने वाले सामाजिक-आर्थिक कारकों का विश्लेषण कीजिए। तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों रणनीतियों पर विचार करते हुए ऐसे अपराधों को रोकने के लिए लागू किए जा सकने वाले उपायों के विषय में चर्चा कीजिए।     (15 अंक, 250 शब्द) 

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