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चीन के नेतृत्व वाला त्रिपक्षीय गठजोड़: भारत के लिए एक नई चुनौती

Lokesh Pal June 28, 2025 05:30 11 0

संदर्भ:

चीन नए त्रिपक्षीय और द्विपक्षीय गठबंधनों को बढ़ावा देकर अपने भू-राजनीतिक प्रभाव का आक्रामक रूप से विस्तार कर रहा है, जिसका उद्देश्य भारत को अंतरराष्ट्रीय रूप से प्रभावित करना, चीनी प्रभुत्व की स्थापना और महत्त्वपूर्ण संसाधनों एवं रणनीतिक स्थानों तक पहुँच प्राप्त करना है।

चीन के नेतृत्व वाली प्रमुख पहलें

  • चीन-पाकिस्तान-बांग्लादेश गठजोड़: चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश ने अपनी पहली त्रिपक्षीय बैठक चीन के कुनमिंग में आयोजित की।
    • यदि बांग्लादेश चीन के साथ अधिक निकटता स्थापित करता है, तो इसे भारत केचिकन नेकक्षेत्र के लिए सुरक्षा खतरे के रूप में देखा जाएगा।
    • चीन ने पहले ही चटगाँव और पायरा सहित बांग्लादेशी बंदरगाहों में पर्याप्त निवेश किया है।
  • चीन-पाकिस्तान-अफगानिस्तान गठजोड़: चीन चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) को अफगानिस्तान तक विस्तारित करने की योजना बना रहा है।
    • अफगानिस्तान में चीन की रुचि मुख्य रूप से देश के लगभग $1 ट्रिलियन के अनुमानित खनिज संसाधनों से प्रेरित है
  • चीन-पाकिस्तान संबंधों में सुदृढ़ता: चीन पाकिस्तान का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता है, जो उसे जे-10सी लड़ाकू विमानों सहित 80% हथियार उपलब्ध कराता है।
    • चीन ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के लिए लगभग $50 बिलियन का निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें से $29 बिलियन का निवेश पहले ही किया जा चुका है
    • चीन संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित किए गए पाकिस्तानी व्यक्तियों, जैसे- मसूद अज़हर, की भी रक्षा करता है, जबकि वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी ढाँचे (RATS) जैसे आतंकवाद विरोधी तंत्रों में भाग लेता है। यह आतंकवाद के प्रति उसके दृष्टिकोण में दोहरे मापदंड को दर्शाता है।
  • चीन पाकिस्तान प्लस वनरणनीति: इस रणनीति का उद्देश्य अफगानिस्तान या बांग्लादेश जैसे देशों को चीन की रणनीतिक कक्षा में शामिल करना है, जिससे भारत के लिए भू-राजनीतिक चुनौतियाँ बढ़ेंगी।
  • व्यापक क्षेत्रीय प्रभाव:
    • श्रीलंका: चीन ने हंबनटोटा बंदरगाह को 99 वर्ष के पट्टे पर प्राप्त कर, वहाँ महत्त्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव डाला है।
    • मालदीव: चीन मालदीव में एक सैन्य अड्डा स्थापित करने का सक्रिय प्रयास कर रहा है, जो हिंद महासागर में उसकी उपस्थिति बढ़ाने के लक्ष्य को दर्शाता है।
    • नेपाल: चीन नेपाल के राजनीतिक दलों में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है और ट्रांस-हिमालयन रेलवे जैसी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं पर बल दे रहा है।
    • ईरान: चीन ने ईरान के साथ 25 वर्षों के लिए तेल आपूर्ति हेतु $400 बिलियन का समझौता किया है तथा वह ग्वादर-चाबहार लिंक और पाकिस्तान-ईरान गैस पाइपलाइन जैसी परियोजनाओं पर चर्चा कर रहा है।
    • सिंधु जल संधि: चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी के लिए भारत के साथ कोई जल-बँटवारे का समझौता नहीं होने के बावजूद सिंधु जल संधि के संबंध में भारत पर दबाव बनाने का प्रयास किया है, जो उसकी दबावपूर्ण रणनीति को उजागर करता है।

भारतीय भू-राजनीति पर प्रभाव

  • भू-राजनीतिक प्रभाव: भारत के निकटतम पड़ोस में, पश्चिम में पाकिस्तान से लेकर पूर्व में बांग्लादेश तक तथा अफगानिस्तान, श्रीलंका, मालदीव और नेपाल सहित, चीनी प्रभाव का विस्तार एक रणनीतिक प्रभाव बनाता है, जो भारत की क्षेत्रीय गतिशीलता को सीमित करता है।
  • सुरक्षा संबंधी खतरे में वृद्धि: बांग्लादेश का चीन के साथ संभावित गठबंधन तथा पाकिस्तान के साथ उसके मजबूत संबंध, भारत के लिए दो मोर्चों पर सुरक्षा संबंधी चुनौती उत्पन्न कर सकते हैं, विशेष रूप से संवेदनशीलचिकन नेकक्षेत्र के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।
    • अफगानिस्तान द्वारा समर्थित पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि से सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न हो रहा है।
  • क्षेत्रीय प्रभुत्व परिवर्तन: चीन का लक्ष्य क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को पुनर्गठित करना है, जिससे पाकिस्तान एक अधिक प्रासंगिक राष्ट्र बन सके और अपने पड़ोस में भारत के ऐतिहासिक प्रभाव को कम कर दे।
  • सामरिक स्वायत्तता के लिए चुनौती: SCO जैसे बहुपक्षीय मंचों में भारत की भागीदारी इसकी सामरिक स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए सावधानीपूर्वक प्रबंधित की जाती है।
    • भारत द्वारा हाल ही में SCO रक्षा मंत्रियों के मसौदा वक्तव्य पर हस्ताक्षर करने से मना करना, आतंकवाद के प्रति चीन के चयनात्मक और एक तरफा दृष्टिकोण के कारण है, जिसमें भारत में पहलगाम हमले का उल्लेख तो नहीं किया गया, लेकिन पाकिस्तानी घटना का उल्लेख किया गया, जो आतंकवाद के विरुद्ध उसकी शून्य-सहिष्णुता की नीति को रेखांकित करता है
    • यह दृष्टिकोण, जिसमें कहा गया है कि आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते“, आतंकवाद के प्रायोजकों को अलग-थलग करने तथा राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने से इनकार करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, भले ही इसका अर्थ यह हो कि SCO की ओर से कोई संयुक्त बयान नहीं जारी किया जाएगा।

भारत की जवाबी रणनीति

  • बहुपक्षीय और द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करना: भारत क्षेत्रीय शक्ति गतिशीलता को संतुलित करने के लिए क्वाड (संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान) और I2U2 (भारत, इज़राइल, यूएई, संयुक्त राज्य अमेरिका) जैसे ढाँचों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ता है।
  • हिंद-प्रशांत पर ध्यान: भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी भूमिका को प्राथमिकता देता है तथा स्वतंत्र, खुली और समावेशी क्षेत्रीय व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहता है। जिससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत हो
  • सैन्य आधुनिकीकरण: भारत अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है, जिसमें अपनी सीमाओं पर S-400 वायु रक्षा प्रणालियों की तैनाती, विमान वाहक पोतों का विकास, तटीय निगरानी रडार और उन्नत वायु रक्षा प्रणाली शामिल हैं।
  • वैकल्पिक संपर्क पहल: भारत चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) और CPEC का मुकाबला अपनी स्वयं की संपर्क परियोजनाओं जैसे- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) और सागर पहल (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के साथ कर रहा है।
  • सामरिक पहुँच: भारत अपनी समुद्री उपस्थिति बढ़ाने और हिंद महासागर में चीनी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए ओमान में दुकम बंदरगाह जैसी सामरिक साझेदारियाँ विकसित कर रहा है।
  • आर्थिक सुदृढ़ीकरण: भारतीय रुपए को मजबूत करने के प्रयास जारी हैं, जो राष्ट्रीय लचीलापन बढ़ाने के लिए एक व्यापक आर्थिक प्रयास है।
  • पड़ोसियों के साथ व्यावहारिक संबंध: भारत पिछले विवादों के बावजूद अफ़गानिस्तान (तालिबान सहित) और बांग्लादेश जैसे दक्षिण एशियाई देशों के साथ व्यावहारिक संबंधों की आवश्यकता को पहचानता है, ताकि पाकिस्तान को भारत विरोधी गतिविधियों के लिए उनका लाभ उठाने से रोका जा सके और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखी जा सके। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य “मोतियों की माला” की रणनीति को तोड़ना और अपने पड़ोस में भारत की निरंतर प्रासंगिकता सुनिश्चित करना है।

निष्कर्ष

रणनीतिक साझेदारी, सैन्य प्रबंधन, आर्थिक पहल और कूटनीतिक संकल्प को मिलाकर भारत का मजबूत और संतुलित दृष्टिकोण, उसके हितों की रक्षा तथा क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने हेतु महत्त्वपूर्ण है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

परीक्षण कीजिए, कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ चीन की उभरती त्रिपक्षीय भागीदारी किस प्रकार भारत के क्षेत्रीय हितों के लिए रणनीतिक चुनौती प्रस्तुत करती है।

(10 अंक, 150 शब्द)

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