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गठबंधन सरकार और आर्थिक शासन

Lokesh Pal June 06, 2024 05:00 202 0

संदर्भ:

हाल ही में, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) तीसरी बार केंद्र में सत्ता में लोटी है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) स्वयं 272 के बहुमत के आँकड़े से पीछे है, जिसका अर्थ है कि गठबंधन के सरकार की वापसी।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: पिछली गठबंधन सरकारों द्वारा किए गए उल्लेखनीय सुधार। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: गठबंधन सरकारों के बारे में, गठबंधन सरकारों के गुण और दोष, गठबंधन सरकारों द्वारा लाए गए महत्वपूर्ण सुधार, आदि।

गठबंधन सरकार का अर्थ:

  • गठबंधन: ‘गठबंधन’ शब्द लैटिन शब्द ‘कोएलिटियो’ से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘एक साथ बढ़ना’। इस प्रकार, तकनीकी रूप से, गठबंधन का अर्थ है एक समान लक्ष्य के लिए  कुछ लोगों या समूहों को एक साथ  सहयोग देकर कोई कार्य करना । 
    • राजनीतिक रूप से, गठबंधन का अर्थ है अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा एक साझा कार्यक्रम के  लिए राजनीतिक सत्ता का प्रयोग से है ।
  • गठबंधन सरकार: गठबंधन सरकार से तात्पर्य है जिसमें कई राजनीतिक दल  एक साथ सहयोग करते हैं, जिससे गठबन्धन के भीतर किसी भी एक दल का प्रभुत्व कम रहता है।
  • गठबंधन निर्माण: आधुनिक संसदों में गठबंधन आमतौर पर तब होता है जब कोई भी एक राजनीतिक दल स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाता है।  
    • तब,दो या दो से अधिक दल, जिनके पास बहुमत के लिए पर्याप्त निर्वाचित सदस्य हैं, साथ ही उन्हें  व्यक्तिगत नीतियों के साथ बहुत अधिक समझौते की आवश्यकता नहीं होती है, एक साझा कार्यक्रम पर सहमति के साथ  सरकार बनाने के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
    • गठबंधन सरकारें तब बनती हैं जबकि कोई राजनीतिक दल अपने दम पर सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या में सीटें नहीं हासिल कर पाता है।
  • भारत में  गठबंधन सरकारें: हालाँकि वर्ष1977 में बनी जनता पार्टी की सरकार पहली गठबंधन सरकार थी, इसके बाद भी कई गठबंधन सरकारों का गठन हुआ। 
    • लेकिन भारत में अपना कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गठबंधन सरकार वर्ष 1999 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार थी।
  • निहितार्थ: जबकि कुछ लोगों का मानना है कि गठबंधन सरकारें अधिक समावेशी नीतियाँ बनाती हैं, वहीं अन्य लोगों का मानना ​​है कि गठबंधन सरकारें नीति निर्माण पर बाधाएँ डालती हैं।
    • मोंटेक सिंह अहलूवालिया (पूर्व योजना आयोग के उपाध्यक्ष) के शब्दों में, गठबंधन सरकार कमजोर सुधारों के लिए एक मजबूत आम सहमति है।

पिछली गठबंधन सरकारों द्वारा पर्स्तुत किए गए उल्लेखनीय सुधार:

1991 के बाद से भारत के आर्थिक सुधार पर नजर डालने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि गठबंधन सरकारों ने कुछ महत्त्वपूर्ण साहसिक और दूरदर्शितापूर्ण सुधार किए हैं, जिसने भारत के पुनरुत्थान की नींव रखी।

  • पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार :इस सरकार ने केंद्रीकृत नियोजन के विचार को त्याग दिया और लाइसेंस-परमिट राज को हटाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए खोल दिया। साथ ही देश को विश्व व्यापार संगठन (WTO) की सदस्यता दिलाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

अवधि

गठबंधन

प्रधानमंत्री (पार्टी)

1977-1979

जनता पार्टी

मोरारजी देसाई (कांग्रेस)

1979-1980

जनता पार्टी (सेक्युलर)

चरण सिंह (जनता)

1989-1990

राष्ट्रीय मोर्चा

वी.पी. सिंह (जनता दल)

1990-1991

जनता दल (सोशलिस्ट) या समाजवादी

जनता पार्टी

चन्द्र शेखर (जनता दल अथवा समाजवादी पार्टी) 

1996-1997 संयुक्त मोर्चा एच.डी देवेगौड़ा (जनता दल)
1997-1998 संयुक्त मोर्चा आई के गुजराल (जनता दल)
1997-1998 बीजेपी के नेतृत्व वाला गठबंधन ए.बी. वाजपेई (भाजपा)
1999-2004 राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ए.बी. वाजपेई (भाजपा)
2004-2009 संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) मनमोहन सिंह (कांग्रेस)
2009-2014 संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन – II (UPA-II) मनमोहन सिंह (कांग्रेस)
2014-2019 राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) नरेन्द्र मोदी (बीजेपी)
2019-अब तक राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) नरेन्द्र मोदी (बीजेपी)

    • 1991 के बाद से, जब भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने तथा नियोजित अर्थव्यवस्था मॉडल को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया, तब से सभी सरकारें गठबंधन वाली ही रहीं, जिनमें अग्रणी पार्टी भी बहुमत के आँकड़े से काफी पीछे रही।
  • देवेगौड़ा सरकार: इस  सरकार द्वारा पर्स्तुत किए गए बजट को आज भी “ड्रीम बजट” की संज्ञा दी जाती है। इसने भारतीय करदाताओं पर भरोसा जताया और कर दरों (आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स) के साथ-साथ सीमा शुल्क में भी कटौती की।
  • अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार: इसने वित्तीय स्थिरता  के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) का कानून तैयार किया, और सरकार की विवेकपूर्ण सीमाओं के भीतर उधार लेने की क्षमता को सीमित कर दिया।
    • इसने घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) के विनिवेश की दिशा में कदम बढ़ाया। 
    • इसने पीएम ग्राम सड़क योजना के माध्यम से ग्रामीण बुनियादी ढाँचे और कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया। 
    • इसी सरकार ने वर्ष 2000 के दौरान सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम लाया, जो आज के भारत के ई-कॉमर्स क्षेत्र की नींव रखने में प्रमुख भूमिका निभाई।
  • मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार: इसने अधिकार-आधारित दृष्टिकोण के तहत कई सुधार प्रस्तुत किए – जो किसी व्यक्तिगत नेता की व्यक्तिगत गारंटी से कहीं अधिक मजबूत थे।
    • सूचना का अधिकार अधिनियम, जिसने भारत के लोकतंत्र में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया।
    • भोजन का अधिकार, जिसने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी भारतीय भूखा न रहे।
    • इन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MG-NREGA) को पारित किया, जिसकी वजह से ग्रामीण गरीबों को न्यूनतम रोजगार उपलब्ध कराया।
    • इस सरकार ने अपना कार्यकाल समाप्त होने से पहले ईंधन की कीमतों को भी नियंत्रण मुक्त कर दिया था और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के साथ-साथ आधार और जीएसटी पर भी काम शुरू कर दिया था।

आँकड़े:

  • भाजपा के नेतृत्व वाली बहुमत वाली सरकार के 10 वर्ष की अवधि के लिए औसत विकास दर 6% थी, जिसमें कोविड-संबंधी व्यवधानों के मध्य वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में आई 5.8% की गिरावट भी शामिल है।
    • भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने 2014 से 2019 के मध्य अपने पहले कार्यकाल में 7.4% की औसत वार्षिक वृद्धि हासिल की, जो 1989 (जब गठबंधन युग शुरू हुआ) के बाद से सबसे तेज़ है।
  • 2014 में भाजपा सरकार से पहले, कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार ने अपने पाँच वर्षों के कार्यकाल में 6.7% की वृद्धि हासिल की थी, तथा अपने पहले कार्यकाल के दौरान 6.9% की वृद्धि हासिल की थी।
    • यूपीए के 10 वर्षों के शासनकाल के दौरान चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) तकरीबन 6.8% थी,जो भारत के इतिहास में सबसे तेज वृद्धि दर कही जा सकती है।
  • 1991 में जब पी.वी. नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस ने जनता दल के साथ अल्पमत में गठबंधन की सरकार बनाया था, और 1999 में जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए पूरे पाँच वर्षों के कार्यकाल के लिए सत्ता में लौटी थी, तब विकास दर औसतन 5.6% रही थी।

सकारात्मक पक्ष :

  • विविध हितों का समायोजन: उदाहरण के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार (2004-2014) में डीएमके, एनसीपी और आरजेडी जैसी पार्टियाँ शामिल थीं, जो विभिन्न क्षेत्रों और हितों का प्रतिनिधित्व करती थीं।
  • कांग्रेस विरोधी भावना का प्रतिनिधित्व: उदाहरण के लिए वी.पी. सिंह के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय मोर्चा सरकार (1989-1990) एक गठबंधन सरकार थी, जो उस समय प्रचलित कांग्रेस विरोधी भावना का प्रतिनिधित्व करती थी।
  • आम सहमति आधारित राजनीति: उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार (1999-2004) ने विदेश नीति और आर्थिक सुधार जैसे प्रमुख मुद्दों पर अपने गठबंधन सहयोगियों के मध्य आम सहमति बनाई।
  • संघीय ढाँचे को मजबूत करना: उदाहरण के लिए वर्ष 2014 के दौरान तेलंगाना राज्य बनाने का यूपीए सरकार का निर्णय उसके गठबंधन सहयोगी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) के दबाव का परिणाम था।
  • निरंकुश शासन की संभावना का कम होना: उदाहरण के लिए जनता पार्टी सरकार (1977-1979) एक गठबंधन सरकार थी जो आपातकाल के बाद सत्ता में आई थी, जिसने कांग्रेस के एकदलीय प्रभुत्व को प्रभावी रूप से समाप्त कर दिया था।

नकारात्क पक्ष :

  • अस्थिरता: उदाहरण के लिए चरण सिंह सरकार (1979) कांग्रेस पार्टी द्वारा समर्थन वापस लेने के कारण केवल कुछ माह तक ही सत्ता में रही थी ।
  • प्रधानमंत्री का सीमित नेतृत्व: उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (2004-2014) को प्रमुख नीतिगत मामलों पर डीएमके और तृणमूल कांग्रेस जैसे गठबंधन सहयोगियों के साथ परामर्श करना पड़ता था।
  • मंत्रिमंडल की भूमिका को कमतर करके आँकना: उदाहरण के लिए  यूपीए सरकार के दौरान, सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (NAC) को एक समानांतर सत्ता केंद्र के रूप में देखा जाता था, जो मंत्रिमंडल की भूमिका को कमतर करके आँकता था।
  • ‘किंग-मेकर’ की भूमिका में छोटे दल: उदाहरण के लिए वर्ष 1996 के आम चुनावों में, हरियाणा स्थित हरियाणा विकास पार्टी ने, केवल एक सांसद के साथ, भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन को समर्थन देकर सरकार के गठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • क्षेत्रीय दलों द्वारा क्षेत्रीय कारकों की प्रस्तुति : उदाहरण के लिए यूपीए सरकार में रहे एक प्रमुख गठबंधन सहयोगी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) ने केंद्र सरकार पर श्रीलंकाई तमिलों से संबंधित मुद्दों पर अनुकूल रुख अपनाने के लिए दबाव डाला।
  • विफलताओं के प्रति जिम्मेवारी का अभाव: उदाहरण के लिए वर्ष 2011 में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के दौरान, डीएमके जैसे यूपीए सरकार के गठबंधन सहयोगियों ने इस घोटाले से खुद को दूर रखने की कोशिश की और खामियों के लिए कांग्रेस पार्टी को दोषी ठहराया।

निष्कर्ष:

निष्कर्षतः भारत में गठबंधन सरकारों ने, अपनी चुनौतियों के बावजूद, ऐतिहासिक रूप से आवश्यक सुधार किए हैं और विविध हितों को संतुलित किया है, जिससे मजबूत आर्थिक और सामाजिक प्रगति में योगदान मिला है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

जीएस-02: संघ और राज्यों के कार्य और जिम्मेदारियाँ, संघीय ढाँचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ।

प्रश्न: 1990 के दशक से गठबंधन सरकारें भारतीय राजनीति की एक प्रमुख विशेषता रही हैं। भारत में गठबंधन सरकारों के उदय में योगदान देने वाले कारकों का विश्लेषण करें और भारतीय राजनीतिक प्रणाली के कामकाज पर उनके प्रभाव का आकलन करें। (15 अंक, 250 शब्द)

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