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म्यांमार में शांति बहाली हेतु सामूहिक प्रयास

Lokesh Pal October 30, 2024 05:30 28 0

संदर्भ: 

लाओस के विएंतियाने में आयोजित 44वें आसियान शिखर सम्मेलन में म्यांमार संकट संबंधी बढ़ती चिंताओं पर प्रकाश डाला गया, जिससे आसियान की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगने की संभावना बढ़ गई। 

  • 2021 के सैन्य तख्तापलट के बाद से, म्यांमार ने काफी उथल-पुथल का अनुभव किया है, और आसियान की पांच सूत्री सहमति जैसी पहलों के बावजूद, स्थिरता की दिशा में प्रगति सीमित बनी हुई है।

म्यांमार संकट की मौजूदा स्थिति:

  • व्यापक सशस्त्र प्रतिरोध: आंग सान सू की द्वारा शासित लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार को गिराने के बाद बलपूर्वक नियंत्रण हासिल करने वाली सेना को व्यापक सशस्त्र प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है। 
  • हिंसात्मक गृह युद्ध: म्यांमार सैन्य जुंटा और जातीय सशस्त्र संगठनों (ईएओ) सहित विभिन्न प्रतिरोध समूहों के बीच हिंसात्मक गृह युद्ध में घिरा हुआ है। वोट बैंक के लिए राजनीतिक दलों ने पीपुल्स डिफेंस फोर्सेज (पीडीएफ) नामक एक समानांतर सशस्त्र समूह का गठन किया है जो सेना के खिलाफ लड़ रहा है।
  • विस्थापन और मानवीय संकट की स्थिति: प्रतिरोधी समूहों ने अब छह प्रमुख सीमा व्यापार मार्गों सहित देश के काफी बड़े भूभाग पर नियंत्रण कर लिया है 
    • विद्रोह को कुचलने के सैन्य प्रयासों के कारण हिंसा हुई है, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और मानवीय संकट पैदा हुआ है।

म्यांमार संकट के समक्ष चुनौतियाँ :

  • मूलभूत संसाधनों की कमी : संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 6 मिलियन बच्चों सहित 18.6 मिलियन से अधिक लोगों को जीवन निर्वाह हेतु सहायता की आवश्यकता है। 
  • असहयोगी सैनिक शासन: अंतर्राष्ट्रीय शांति प्रयासों में सैनिक शासन के सहयोग में विफलता ने संघर्ष को और बढ़ा दिया है। 
  • सेना और विपक्ष के बीच बढ़ता तनाव: सेना विपक्षी समूहों को आतंकवादी करार देती रही है तथा वास्तविक वार्ता करने में बहुत कम रुचि दिखाती रही है।

 म्यांमार संकट पर आसियान की प्रतिक्रिया

  • हस्तक्षेप न करने की नीति को समाप्त करना: म्यांमार में 2021 के तख्तापलट के जवाब में, आसियान ने संकट को दूर करने की तत्काल आवश्यकता को स्वीकार करते हुए अपनी दीर्घकालिक हस्तक्षेप न करने की नीति को त्याग दिया।
  • शांति के लिए पांच सूत्री सहमति: आसियान ने म्यांमार में शांति बहाल करने के उद्देश्य से पांच सूत्री सहमति का प्रस्ताव रखा, जिसमें शामिल हैं:
    • जातीय समूहों और राजनीतिक दलों द्वारा हिंसा को तत्काल रोका जाए।
    • सभी पक्षों के बीच बातचीत को प्रोत्साहित किया जाए।
    • विशेष दूत को नियुक्त किया जाए ।
    • मानवीय सहायता का प्रावधान किया जाए।
    • सभी हितधारकों के साथ बातचीत करने के लिए विशेष दूत का दौरा निश्चित किया जाए ।
  • कार्यान्वयन संबंधी चुनौतियां: इन प्रयासों के बावजूद, पांच सूत्री सहमति का कार्यान्वयन काफी हद तक विफल रहा है, जिससे आसियान की क्षेत्रीय प्रतिक्रियाओं की सीमाएं उजागर हुई हैं और शांति के लिए प्रतिबद्ध एक समूह के रूप में इसकी विश्वसनीयता खतरे में पड़ गई है।
  • सैन्य नेताओं का बहिष्कार: प्रारंभ में, आसियान संगठन द्वारा पांच सूत्री सहमति का अनुपालन न करने के परिणामस्वरूप म्यांमार के सैन्य नेताओं को उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलनों से बाहर रखने की मांग की थी।

तीन साल के बहिष्कार के बाद, म्यांमार ने शिखर सम्मेलन में एक वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति दर्ज कराई, जो आसियान के दृष्टिकोण में एक व्यावहारिक बदलाव और सैनिक शासकों की बातचीत में शामिल होने की इच्छा को दर्शाता है। सैनिक शासकों की बातचीत में शामिल होने की इच्छा इस बात पर प्रकाश डालती है कि वह आसियान के आउटरीच प्रयासों से पूरी तरह से परहेज नहीं कर रहा है।

म्यांमार के प्रश्न पर आसियान में आंतरिक विभाजन

  • सैन्य सरकार पर भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण : इंडोनेशिया, मलेशिया और फिलीपींस जैसे कुछ आसियान देश म्यांमार के सैन्य शासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत करते हैं, जबकि थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस जैसे अन्य देश सैनिक शासन के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हैं।
  • आम सहमति आधारित निर्णय लेने के परिणाम : आसियान के आम सहमति आधारित निर्णय लेने में सर्वसम्मति की आवश्यकता के कारण संकट के प्रति प्रतिक्रिया धीमी और कमजोर होती है।
  • गतिरोध को समाप्त करने के लिए कूटनीतिक प्रयास: त्रिगुट अर्थात इंडोनेशिया, लाओस और मलेशिया , के साथ अनौपचारिक वार्ता के लिए थाईलैंड का प्रस्ताव, वर्तमान कूटनीतिक गतिरोध को समाप्त करने के उद्देश्य से देखा जा सकता है।

समस्या के समाधान हेतु प्रभावी उपाय

  • म्यांमार के हितधारकों की भागीदारी: सफल समाधान प्रयासों में म्यांमार के सभी प्रमुख हितधारकों को शामिल किया जाना चाहिए, जिसमें राष्ट्रीय एकता सरकार और जातीय सशस्त्र संगठन (ईएओ) शामिल हैं। 

उदाहरण के लिए, थाईलैंड का मानवीय गलियारा केवल जुंटा की सहमति से ही संचालित होता है।

  • गैर-राज्य अभिनेताओं को शामिल करना: आसियान के लिए अधिक समावेशी और प्रभावी संवाद स्थापित करने के लिए गैर-राज्य अभिनेताओं को शामिल करना महत्वपूर्ण है।

म्यांमार के साथ भारत के संबंध और सामरिक महत्व

  • आसियान के लिए भारत का समर्थन: प्रधानमंत्री मोदी ने आसियान की केन्द्रीयता और पांच सूत्री सहमति पर जोर दिया तथा एक्ट ईस्ट नीति के अनुरूप सतत संपर्क और कूटनीति के माध्यम से म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को समर्थन देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • सामरिक महत्त्व व  महत्वपूर्ण भूमि सेतु : म्यांमार भारत और अन्य आसियान देशों के बीच एक महत्वपूर्ण भूमि सेतु के रूप में कार्य करता है, जिससे इसकी स्थिरता भारत के क्षेत्रीय हितों के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है।
  • विकास प्रयासों में सहयोग व सहायता: भारत क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं में सक्रिय रूप से शामिल है, जैसे कि कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट परियोजना और भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग। 
    • हाल ही में, कृषि विकास, व्यावसायिक प्रशिक्षण, आपदा प्रबंधन और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के लिए त्वरित प्रभाव परियोजना ढांचे के अंतर्गत दोनों देशों द्वारा पांच महत्त्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए ।
    • भारत के 250,000 डॉलर के अनुदान का उद्देश्य म्यांमार के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ाना है।
  • मुक्त आवागमन व्यवस्था का निलंबन : क्षेत्रीय स्थिरता और शरणार्थियों की आमद के बारे में चिंताओं के कारण, भारत ने मुक्त आवागमन व्यवस्था को निलंबित कर दिया है और अपनी सीमा को मजबूत कर दिया है, हालांकि इस कदम को विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है।

आगे की राह:

  • व्यापक सहभागिता रणनीति: नई दिल्ली शांति और स्थिरता में योगदान करते हुए अपने सामरिक हितों की रक्षा के लिए म्यांमार में विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक सहभागिता पर विचार कर रही है।
  • बदलती परिस्थितियों के अनुकूल ढलना: इन रणनीतियों की प्रभावशीलता म्यांमार में बदलती गतिशीलता और भारत के सभी प्रासंगिक पक्षों को शामिल करने की क्षमता पर निर्भर करेगी।
  • समावेशी और व्यावहारिक दृष्टिकोण: आसियान और भारत दोनों को म्यांमार के प्रति अधिक समावेशी और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, ताकि मौजूदा संकट का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए सभी प्रमुख हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के संदर्भ में भारत के लिए म्यांमार के रणनीतिक महत्व की जांच करें। भारत दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा देते हुए म्यांमार के साथ कैसे जुड़ सकता है?

(10 अंक, 150 शब्द)

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