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सुरक्षित भविष्य के लिए मंगल ग्रह का उपनिवेशीकरण

Lokesh Pal December 02, 2024 05:15 71 0

संदर्भ: 

पृथ्वी के पुनरुद्धार को प्राथमिकता देने और मंगल ग्रह पर उपनिवेशीकरण पर ध्यान केन्द्रित करने के विषय पर चर्चाएं हो रही हैं। जिसे स्पेसएक्स के संस्थापक एलन मस्क और खगोल भौतिक विज्ञानी नील डीग्रास टायसन के विरोधाभासी विचारों से बढ़ावा मिला है।

मानवता के लिए बैकअप योजना के रूप में मंगल ग्रह पर उपनिवेशीकरण:

  • एलन मस्क मंगल ग्रह पर उपनिवेशीकरण के मुखर समर्थक रहे हैं । उन्होंने इसे मानवता के लिए एक आकस्मिक योजना के रूप में प्रस्तुत किया है। उनके मुताबिक पृथ्वी जलवायु परिवर्तन या किसी विनाशकारी क्षुद्रग्रह के प्रभाव जैसे अस्तित्वगत खतरों के कारण संभव है कि निकट भविष्य में, रहने योग्य न रह जाए। 
  • मस्क का लक्ष्य 2025 तक मंगल ग्रह पर एक आत्मनिर्भर मानव कॉलोनी बनाना है। 
  • हालाँकि, नील डीग्रास टायसन ने कहा, इस योजना की व्यवहार्यता एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है।

मंगल ग्रह पर उपनिवेश स्थापित करने की चुनौतियाँ:

मंगल ग्रह में मानवीय गतिविधियों व विकास योजनाओं को साकार करने में अभी अनेक चुनौतियाँ विद्यमान हैं: 

  • वायुमंडल और विकिरण: मंगल ग्रह का वायुमंडल 95% कार्बन डाइऑक्साइड से बना है, जिसमें ऑक्सीजन बहुत कम है, और यह अविश्वसनीय रूप से पतला है। 
    • इससे यह महत्वपूर्ण तकनीकी प्रगति के बिना मानव अस्तित्व के लिए अनुपयुक्त हो जाता है।
    • मनुष्यों को हानिकारक विकिरणों से बचाने तथा सांस लेने योग्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए मंगल ग्रह को उन्नत जीवन-सहायक प्रणालियों की आवश्यकता होगी , जिनका अभी तक आविष्कार नहीं किया जा सका है।
  • अत्यधिक कम तापमान: मंगल ग्रह की सतह का औसत तापमान -60°C है , जो इसे मानव जीवन के लिए अनुपयुक्त बनाता है।
  • तकनीकी बाधाएँ: मस्क का अनुमान है कि मंगल ग्रह पर एक आत्मनिर्भर कॉलोनी के लिए लगभग दस लाख टन उपकरणों की आवश्यकता होगी। जिसकी लागत तकरीबन 1,000 ट्रिलियन डॉलर से अधिक अनुमानित की गई है। जो किसी भी वर्तमान देश के सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में अधिक है।
  • प्रौद्योगिकी विकास के लिए अतिरिक्त समय की माँग  : इसके अलावा, मंगल ग्रह को पृथ्वी जैसा बनाने (इसे दूसरी पृथ्वी में बदलने) की प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और लागू करने में भी सदियाँ लग सकती हैं।

मंगल ग्रह में पृथ्वी की पुनर्स्थापना:

हालांकि मंगल ग्रह पर उपनिवेश स्थापित करने का विचार लोगों की कल्पना को आकर्षित करता है, लेकिन इस बात को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं

पृथ्वी पर अस्तित्वगत खतरे:

  • जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और जैव विविधता की हानि पृथ्वी के पर्यावरण मानव अस्तित्व के लिए सबसे गंभीर खतरे हैं। 
  • कार्बन कैप्चर, नवीकरणीय ऊर्जा, पुनर्वनीकरण और टिकाऊ खेती जैसी टिकाऊ पद्धतियाँ जलवायु परिवर्तन से निपटने और पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के लिए आवश्यक हैं। 
  • हालाँकि, उनकी सफलता उन्नत प्रौद्योगिकियों के विकास और विस्तार में पर्याप्त निवेश पर निर्भर करती है ।

वैश्विक सहयोग और वित्तपोषण संबंधी चुनौतियाँ:

  • हाल ही में, बाकू में आयोजित COP29 शिखर सम्मेलन में विकासशील देशों ने 2025 और 2035 के बीच जलवायु शमन और अनुकूलन प्रयासों के वित्तपोषण के लिए  धनी देशों से प्रतिवर्ष 1.3 ट्रिलियन डॉलर की धनराशि का अनुरोध किया गया।
  • हालाँकि, विकसित देशों ने इस राशि के केवल एक अंश अर्थात 300 बिलियन डॉलर – के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जो अनिश्चित है। 
  • वित्तपोषण में यह अंतर वैश्विक सहयोग की चुनौतियों तथा पर्यावरणीय क्षरण के भारी प्रमाणों के बावजूद पृथ्वी की पुनर्स्थापना को प्राथमिकता देने में कठिनाई को उजागर करता है।

मंगल तथा पृथ्वी ग्रह संबंधी बहस :

  •  यह बहस केवल व्यावहारिकता या अर्थशास्त्र के बारे में नहीं है बल्कि यह अस्तित्व और अन्वेषण के लिए मानवता के दीर्घकालिक दृष्टिकोण की भी बात करती है। 
  •  मस्क जैसे अंतरिक्ष उपनिवेशीकरण के समर्थक प्रसिद्ध खगोलशास्त्री कार्ल सागन के शब्दों से प्रेरित हैं, जिन्होंने मानवता को “सितारों पर विचार करने वाले तारों”  अर्थात “starstuff pondering the stars.” के रूप में देखा था।
    •  सागन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हमारे शरीर के परमाणु प्राचीन तारों के केन्द्र में निर्मित हुए थे, जो हमारे अस्तित्व को ब्रह्माण्ड से जोड़ते हैं।
    •  विचार यह है कि मनुष्य स्वाभाविक रूप से अपनी स्थलीय सीमाओं से  आगे बढ़कर अन्वेषण और विस्तार करने के लिए प्रेरित होता है। 
  •  इसी तरह, ब्रह्मांड विज्ञानी स्टीफन हॉकिंग ने चेतावनी दी थी कि अन्य ग्रहों पर बस्तियाँ बसाना जोखिम भरा हो सकता है। परमाणु युद्ध या क्षुद्रग्रहों के टकराव जैसी विनाशकारी घटनाओं के विरुद्ध मानवता की सर्वोत्तम सुरक्षा हो सकती है।

मंगल ग्रह पर उपनिवेशीकरण और पृथ्वी की पुनर्स्थापना के बीच सहजीवी संबंध :

  • अंतरिक्ष में मानव अन्वेषण को सदैव मानवीय प्रतिभा और जिज्ञासा का स्वाभाविक विस्तार माना जाता रहा है। 
  • अंतरिक्ष उपनिवेशीकरण प्रौद्योगिकियों और ज्ञान को आगे बढ़ाने का एक अवसर प्रदान करता है, जिससे अंततः न केवल मंगल ग्रह पर, बल्कि पृथ्वी पर भी, मानवता को लाभ हो सकता है।
  • मंगल ग्रह पर उपनिवेशीकरण से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों के बावजूद, अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए विकसित प्रौद्योगिकियों का पृथ्वी पर भी लाभकारी अनुप्रयोग हो सकता है। उदाहरण के लिए:
    • स्थायी कृषि: मंगल ग्रह की बस्तियों के लिए विकसित तकनीकें, जैसे कि हाइड्रोपोनिक्स या बंद लूप कृषि प्रणालियाँ , पृथ्वी पर कृषि क्षेत्र, विशेष रूप से शुष्क और संसाधन-विहीन क्षेत्रों में में क्रांति ला सकती हैं।
    • कार्बन हटाना: मंगल ग्रह का वायुमंडल कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध है, और मंगल ग्रह के लिए कार्बन कैप्चर प्रौद्योगिकी का विकास पृथ्वी पर ग्रीनहाउस गैसों को कम करने के लिए वास्तविक दुनिया में अनुप्रयोग हो सकता है।
    • ऊर्जा दक्षता और पदार्थ विज्ञान : अंतरग्रहीय यात्रा के लिए आवश्यक पदार्थ विज्ञान और ऊर्जा दक्षता में प्रगति, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में सफलता को बढ़ावा दे सकती है, जिससे मंगल मिशन और पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को लाभ होगा।
  • अंतरिक्ष अन्वेषण उपग्रह प्रौद्योगिकी के माध्यम से पृथ्वी के पुनरुद्धार में भी सहायता करता है , जो वनों की कटाई, ग्लेशियर पिघलने और महासागरीय धाराओं पर नज़र रखता है। 
    • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप जैसी दूरबीनें मानवता को ब्रह्मांड के बारे में अपनी समझ को गहरा करने में मदद करती हैं इसके अलावा वे पृथ्वी के नाजुक पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने की हमारी वैज्ञानिक क्षमता में भी सुधार करती हैं। 

आगे की राह:

  • मंगल ग्रह पर उपनिवेशीकरण और पृथ्वी की पुनर्स्थापना के बीच बहस अंततः कुछ महत्त्वपूर्ण प्राथमिकताओं और संसाधनों पर निर्भर करती है। 
  • दूसरी ओर, टिकाऊ प्रथाओं और वैश्विक सहयोग के माध्यम से पृथ्वी पर ध्यान केंद्रित करने से हमारे ग्रह के सामने उपस्थित अस्तित्वगत खतरों का अधिक तात्कालिक और व्यावहारिक समाधान मिल सकता है ।
    • हालाँकि, अंतरिक्ष अन्वेषण और पृथ्वी की पुनर्प्राप्ति का प्रयास परस्पर अनन्य नहीं होना चाहिए। वास्तव में, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों में प्रगति सीधे पृथ्वी की पुनर्प्राप्ति के प्रयासों को लाभ पहुँचा सकती हैं ।

निष्कर्ष:

अंततः, मानवता का भविष्य पृथ्वी या मंगल के बीच चयन करने में नहीं, बल्कि इस बात में निहित है कि हम अपने तकनीकी और वैज्ञानिक प्रगति का किस प्रकार लाभ उठा सकते हैं, जिससे हमारे ग्रह और हमारे संभावित अंतरिक्ष उपनिवेशों, दोनों का दीर्घकालिक अस्तित्व और समृद्धि सुनिश्चित हो सके।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: वर्तमान संदर्भ में, अंतरिक्ष अन्वेषण में भारी निवेश की आवश्यकता है। चर्चा करें कि कैसे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और वित्तपोषण तंत्र जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों को संबोधित करते हुए अंतरिक्ष विज्ञान के लाभों को अनुकूलित कर सकते हैं। 

(15 अंक, 250 शब्द)

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