100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का मुकाबला अंतरराष्ट्रीय कानून के माध्यम से करना

Lokesh Pal May 23, 2025 05:00 116 0

संदर्भ:

ऑपरेशन सिंदूर भारत की सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक स्थिति को दर्शाता है। भारत के लिए आवश्यक है कि अब केवल सैन्य कार्रवाई तक सीमित न रहकर, लॉफेयर” (कानून + युद्ध) के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कानून का रणनीतिक उपयोग करना चाहिए, ताकि पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सके और भारत की कूटनीतिक और वैश्विक स्थिति को और अधिक सशक्त किया जा सके।

आतंकवाद संबंधी संधियों का लाभ उठाना

  • भारत की कानूनी युद्ध (लॉफेयर) रणनीति वैश्विक कानूनी मंचों का उपयोग करके पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद के समर्थन को निशाना बनाती है। भारत अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (CCIT) के प्रयासों का नेतृत्व करता है और दोनों देश प्रमुख आतंकवाद विरोधी संधियों के पक्षकार हैं।
  • आतंकवाद के विरोध पर सार्क (SAARC) क्षेत्रीय सम्मेलन:
    • आतंकवाद के वित्तपोषण के दमन हेतु अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (ICSFT)
    •  आतंकवादी बम धमाकों के दमन हेतु अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आतंकवादी बम विस्फोट सम्मेलन)
  • ये संधियाँ प्रमुख हस्ताक्षरकर्ता देशों को निम्नलिखित प्रावधानओं के लिए बाध्य करते हैं:
    • आतंकवाद को अपराध घोषित करना
    • अपराधियों पर मुकदमा चलाना
    • आतंकवाद के वित्तपोषण से परहेज़ करना
  • उदाहरण के लिए:
    • आईसीएसएफटी (ICSFT) का अनुच्छेद 2 (1): यह आतंकवाद के वित्तपोषण को अपराध घोषित करता है।
    • सार्क (SAARC) प्रोटोकॉल का अनुच्छेद 6: इसके अनुसार, आतंकवाद के वित्तपोषण को दबाने और समाप्त करने के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।

पाकिस्तान के खिलाफ कानूनी प्रावधानों हेतु प्रयास करना

  • उदाहरण के लिए: भारत द्वारा लगातार पाकिस्तान की आतंकवादी हमलों में संलिप्तता को प्रदर्शित किया गया है, जिनमें निम्नलिखित हमले शामिल हैं:
    • 2008 के मुंबई हमले
    • 2024 का पहलगाम हमला (22 अप्रैल)
  • भारत को चाहिए कि:
    • पाकिस्तान की संलिप्तता से संबंधित प्रमुख सबूतों को सार्वजनिक करना
    • कानूनी मामला बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग करना
    • निम्नलिखित मामलों के उल्लंघनों की पहचान करना:
      • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव
      • अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद संबंधी संधियाँ
      • प्रथागत अंतर्राष्ट्रीय कानून
  • ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा सभी दलों के संसदीय प्रतिनिधिमंडलों को विदेशों में भेजने के लिए इस रणनीति को आगे बढ़ाने के लिए एक समयोचित मंच है।

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) का उपयोग करना

  • प्रावधान से जुड़ी प्रमुख चिंताएँ: अनेक आतंकवाद विरोधी संधियों में ऐसा समझौता करने का प्रावधान है, जो अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) को अधिकार क्षेत्र प्रदान करते हैं:
    • आतंकवादी बम विस्फोट सम्मेलन का अनुच्छेद 20 (1)
    • ICSFT का अनुच्छेद 24 (1)
    • यदि कोई आपत्ति न हो, तो ये प्रावधान बिना नए सहमति की आवश्यकता के विवादों को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने की अनुमति देते हैं।
  • उदाहरण के लिए: यूक्रेन बनाम रूस – यूक्रेन ने ICSFT के तहत यह प्रावधान लागू करते हुए रूस पर मुकदमा दायर किया।
  • आवश्यकता: भारत पाकिस्तान के खिलाफ इसी प्रकार का मामला बना सकता है, जैसा कि उसने कुलभूषण जाधव मामले में किया था।

कानूनी कार्रवाई में बाधाएँ

  • पाकिस्तान की प्रमुख आपत्ति: पाकिस्तान ने आईसीएसएफटी (ICSFT) के तहत अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के क्षेत्राधिकार को स्वीकार नहीं किया है।
    • भारत फिर भी एक मामला दायर कर इस मामले की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित कर सकता है।
    • हालांकि क्षेत्राधिकार से जुड़ी चिंताओं को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) पर छोड़ देना चाहिए।
  • भारत की स्वयं की आपत्ति: भारत ने आतंकवादी बम विस्फोट सम्मेलन के तहत अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के क्षेत्राधिकार पर आपत्ति दर्ज की है, जबकि पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया है।
    • भारत को यह आपत्ति वापस ले लेनी चाहिए ताकि आगे की कार्यवाही हेतु मार्ग प्रशस्त हो सके।
    • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) विभिन्न संधि प्रावधानों की संकीर्ण व्याख्या कर सकता है (जैसा कि यूक्रेन बनाम रूस में हुआ), इसलिए भारत को चाहिए कि:
      • ठोस और निर्विवाद सबूत प्रस्तुत करें।
      • एक मजबूत कानूनी रणनीति विकसित करें।
      • अपने मामले का समर्थन करने के लिए असहमतिपूर्ण मतों (जैसे, न्यायाधीश हिलेरी चार्ल्सवर्थ) पर भी विचार करें।

निष्कर्ष

भारत को पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अपनी विदेश नीति में अंतरराष्ट्रीय कानूनों के प्रावधानों को शामिल करना चाहिए। भले ही कानूनी परिणाम निश्चित न हों, लेकिन वैश्विक कानूनी मंचों का उपयोग करके भारत अंतरराष्ट्रीय राय को प्रभावित कर सकता है, पूर्व की संधियों के उल्लंघनों को उजागर कर सकता है, और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों को बढ़ावा दे सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न. भारत की पाकिस्तान के विरुद्ध आतंकवाद विरोधी नीति में ‘लॉफेयर’ (कानूनी युद्ध) को एक रणनीतिक उपकरण के रूप में कितना प्रभावी माना जा सकता है, इसका मूल्यांकन कीजिए। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और आतंकवाद विरोधी संधियों जैसे अंतर्राष्ट्रीय कानूनी तंत्रों का लाभ उठाने में आने वाली चुनौतियों और संभावनाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए, साथ ही यह भी मूल्यांकन कीजिए कि यह भारत के व्यापक कूटनीतिक उद्देश्यों और क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे पर किस प्रकार प्रभाव डाल सकता है।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.