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Lokesh Pal
June 25, 2024 05:45
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आजादी के 75 साल बाद भी हमारी व्यवस्थाएँ हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करने में अपर्याप्त हैं। इससे भी बदतर बात यह है कि हमने इस अपर्याप्त आपूर्ति को “योग्यता” के संदिग्ध वर्गीकरण से जोड़कर अपनी विफलता को उन पर थोप दिया है।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: योग्यता और सीमित अवसर, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के बुनियादी ढाँचे का विस्तार करने की आवश्यकता आदि। |
सर्वोच्च नेतृत्व द्वारा संचालित एक निर्णायक, सतत मिशन महत्वपूर्ण है। शैक्षिक और रोजगार के अवसरों का विस्तार करना अनिवार्य है। केवल परीक्षा रद्द करना और दोषियों पर मुकदमा चलाना जवाबदेही से बचने का महज एक माध्यम है जो युवाओं में निराशा को बढ़ाता है।
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