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शहरी जैव विविधता का संरक्षण: सतत विकास

Lokesh Pal May 22, 2025 05:30 11 0

संदर्भ:

जैव विविधता पर्यावरणीय स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि और मानव कल्याण के लिए अत्यंत आवश्यक है। फिर भी यह विलुप्ति, शहरीकरण और अव्यवस्थित विकास जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। वर्ष 2025 का अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत शहरी योजना का आह्वान करता है।

जैव विविधता और उसकी वैश्विक संरचना को समझना

  • जैव विविधता: पृथ्वी पर जीवन की विविधता – जो पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन और जीवों के अस्तित्व के लिए आवश्यक हैं।
  • प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा: वैश्विक स्तर पर लगभग 25% प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर पहुँच चुकी हैं।
  • वैश्विक प्रतिबद्धताएँ:
    • सीबीडी (CBD) को स्वीकृति: जैव विविधता पर सम्मेलन (CBD) को 22 मई, 1992 को अपनाया गया था।
    • कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता संरचना (GBF): इसमें 4 लक्ष्य और 23 लक्षित बिंदु शामिल हैं, जिनमें:
      • लक्ष्य 12 शहरी हरे (ग्रीन) और नीले (जल आधारित) स्थलों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
      • एसडीजी 11 (SDG 11): सतत शहर और समुदायों के साथ संरेखित किए गए हैं।

शहरी जैव विविधता के पारिस्थितिकी तंत्र और स्वास्थ्य संबंधी लाभ

  • महत्त्वपूर्ण प्रावधान एवं सेवाएँ: जैव विविधता भोजन, रेशा (फाइबर), स्वच्छ हवा और जल प्रदान करती है।
  • शहरी ऊष्मा द्वीप और जलवायु शमन: यह शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव को कम करती है।
  • पर्यावरण संरक्षण: यह बाढ़ नियंत्रण, कार्बन अवशोषण और प्रदूषण नियंत्रण में सहायता करता है।
  • ध्वनि प्रदूषण में कमी: हरित पट्टियाँ (ग्रीन बेल्ट्स) ध्वनि प्रदूषण को 5 डेसिबल तक कम कर सकती हैं।
  • तापमान विनियमन (फ्रैंकफर्ट): हरित अवसंरचना (ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर) ने शहर के तापमान को 3.5 डिग्री सेल्सियस तक कम किया है।
  • वृक्षों का आर्थिक मूल्य: वार्षिक अनुमानित मूल्य $967,000 (₹8 करोड़) प्रति वर्ग किलोमीटर है।

शहरी वन संबंधी चिंताजनक आंकड़े

  • औसत शहरी वन आवरण: शहरों के कुल क्षेत्रफल का 10.26%
    • मुंबई: 25.43%
    • दिल्ली और हैदराबाद: 12.6%
    • बेंगलुरु: 6.85%
    • चेन्नई: 4.66%
    • अहमदाबाद: 3.27%
  • वन आवरण में कमी (2021-2023): चेन्नई (2.6 वर्ग किमी), हैदराबाद (1.6 वर्ग किमी)।

शहरी नियोजन और बुनियादी संरचना

  • हरित अवसंरचना विकास: पार्कों, वृक्षों से सुसज्जित सड़कों और आर्द्रभूमि (वेटलैंड) संरक्षण को बढ़ावा देता है।
  • सामुदायिक प्रभाव: यह सामुदायिक कल्याण और जनस्वास्थ्य को सुदृढ़ करता है।

शहरी हरियाली हेतु प्रमुख दिशानिर्देश

  • यूएन हैबिटेट का 3-30-300 नियम:
    • प्रत्येक घर/स्कूल/कार्यस्थल से कम से कम 3 वृक्ष दिखाई देने चाहिए।
    • प्रत्येक मोहल्ले में 30% वृक्ष की छाया (ट्री कैनोपी) होनी चाहिए।
    • निकटतम सार्वजनिक हरित क्षेत्र अधिकतम 300 मीटर की दूरी पर होना चाहिए।
  • शहर जैव विविधता सूचकांक (ICLEI एशिया द्वारा):
    • मूल जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ और जैव विविधता शासन पर आधारित है।
    • स्थानीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना (LBSAP) के परिणामस्वरूप बनता है।

शहरी हरित आवरण पर आधारित केस (Case) अध्ययन

  • कोयंबेडु मार्केट (चेन्नई): इस क्षेत्र में 141 प्रकार के पौधे, 35 पक्षियों की प्रजातियाँ और 27 तितलियों की प्रजातियाँ फिर से जीवंत की गईं।
    • हालांकि यह कार्य केयर अर्थ ट्रस्ट द्वारा किया गया।
  • मद्रास रेस क्लब: इसे जल संग्रह और भूजल पुनर्भरण के उद्देश्य से एक झील में परिवर्तित किया गया।
  • पल्लिकरनई मार्श: पहले से बंजर पड़ी इस भूमि को पुनर्स्थापित कर एक संरक्षित रामसर आर्द्रभूमि के रूप में विकसित किया गया है।

कार्यान्वयन योग्य स्थानीय पहल

  • वृक्षारोपण अनिवार्यता: 2,400 वर्ग फीट से बड़े भूखंडों पर कम से कम 5 पेड़ लगाना अनिवार्य किया गया है।
  • शहरी खेती को बढ़ावा: छतों और रसोई के बागानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • प्रदूषण नियंत्रण: कूड़ा फेंकने और जल स्रोतों में सीवेज छोड़ने पर रोक लगाई गई है।
  • प्रकृति आधारित समाधान: हरित पुनर्स्थापन तकनीकों को प्राथमिकता दी जाती है और उनके लिए कानूनी सुरक्षा भी प्रदान की जा रही है।

सामूहिक कार्रवाई का आह्वान

  • प्रवर्तन हेतु उचित कदम: हरित क्षेत्रों के विनाश के विरुद्ध सख्त दंडात्मक कार्रवाई की मांग की गई है।
  • न्यायिक कार्रवाई: हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली में वनों की कटाई पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप किया गया।
  • नीतिगत एकीकरण: जैव विविधता को शहरी प्रशासन के मुख्य धारा में शामिल करना आवश्यक है।
  • सार्वजनिक भागीदारी: इसमें नागरिकों की सक्रिय भागीदारी और कॉर्पोरेट जवाबदेही को सुनिश्चित करना शामिल है।
  • जन आंदोलन का आयोजन: दीर्घकालिक प्रभाव के लिए एक मजबूत सार्वजनिक जैव विविधता आंदोलन का निर्माण करना आवश्यक है।

निष्कर्ष

अतः शहरी जैव विविधता जलवायु सहनशीलता, स्वास्थ्य और सतत शहरों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हरित नियोजन, कानूनी संरक्षण और जनता की सक्रिय भागीदारी को मिलाकर ही सभी शहरी निवासियों के लिए एक हरा-भरा और रहने योग्य भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न.शहरी जैव विविधता सतत विकास और मानव कल्याण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।” इस कथन के आलोक में, भारतीय शहरों में शहरी जैव विविधता के संरक्षण में आने वाली प्रमुख चुनौतियों की समीक्षा करें और शहरी नियोजन में जैव विविधता संबंधी पहलुओं को मुख्यधारा में लाने हेतु उपाय सुझाएँ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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