100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

संविधान सभा : समान नागरिक संहिता का मुद्दा

Lokesh Pal January 28, 2025 05:30 38 0

संदर्भ:

उत्तराखंड सरकार द्वारा 27 जनवरी 2025 को सम्पूर्ण राज्य में, समान नागरिक संहिता लागू की गई है। इस ऐतिहासिक घोषणा के पश्चात उतराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला गोवा के बाद देश का दूसरा और स्वतंत्र भारत का पहला राज्य बन गया।

समान नागरिक संहिता पर संविधान सभा का दृष्टिकोण 

  • पृष्ठभूमि: भारत में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर बहस 1940 के दशक की शुरुआत से ही चल रही है, जिसमें 1947 में संविधान निर्माण के समिति चरण के दौरान महत्वपूर्ण चर्चाएँ हुई थीं।
  • समिति चरण: यह मुद्दा मौलिक अधिकारों से संबंधित उप-समिति में उठाया गया था, जिसमें यह तय किया गया था कि यूसीसी को न्यायोचित या गैर-न्यायोचित मौलिक अधिकारों का हिस्सा होना चाहिए या नहीं। 
    • महत्त्वपूर्ण बहस के पश्चात, बहुमत ने बाद वाले विकल्प को चुना, जिससे यूसीसी को राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों में एकीकृत कर दिया गया।
  • विरोध के स्वर: एम आर मसानी, हंसा मेहता और अमृत कौर ने बहुमत के फैसले के खिलाफ असहमति जताई। उन्होंने तर्क दिया कि धार्मिक व्यक्तिगत कानूनों के आधार पर भारत का विभाजन राष्ट्रीय एकता में बाधा बन रहा है।
    •  समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के मुद्दे पर असहमत लोगों ने यूसीसी को पांच से दस वर्षों के भीतर लागू करने वकालत की, राष्ट्रीय एकीकरण के लिए इसके महत्व पर प्रकाश डाला।
  • संविधान के मसौदे में समान नागरिक संहिता: 1948 में अनुच्छेद 35 के रूप में शुरू में इसका मसौदा तैयार किया गया था, जिसमें लिखा था, “राज्य भारत के पूरे क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा।” 
    • इस अनुच्छेद पर 23 नवंबर, 1948 को अत्यधिक बहस हुई, जिसमें इसके कार्यान्वयन पर संविधान निर्माताओं के अलग-अलग विचार सामने आए। 
  • यूसीसी पर अंबेडकर और केएम मुंशी के विचार : प्रधानमंत्री मोदी ने धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के लिए मौजूदा प्रयास को सही ठहराने के लिए संविधान सभा में डॉ. बी.आर. अंबेडकर और के.एम. मुंशी के बयानों का हवाला दिया। 
    • ये उद्धरण राष्ट्रीय एकता और प्रगति को बढ़ावा देने के साधन के रूप में यूसीसी के लिए उनके समर्थन पर प्रकाश डालते हैं।

यूसीसी और धार्मिक स्वतंत्रता पर बहस

  • मोहम्मद इस्माइल साहिब का प्रस्ताव: उन्होंने अनुच्छेद 35 में संशोधन पेश किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी समूह को अपने व्यक्तिगत कानूनों को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि व्यक्तिगत कानून का पालन करने का अधिकार मौलिक अधिकारों का हिस्सा है। उन्होंने चेतावनी दी कि एक समान नागरिक संहिता एकता के बजाय वैमनस्य पैदा कर सकती है।
  • व्यक्तिगत कानूनों के लिए समर्थन: बी. पोकर और महबूब अली बेग ने साहिब के रुख का समर्थन किया, समान नागरिक संहिता को “अत्याचारी” कहा और तर्क दिया कि यह अनुच्छेद 19 (अब अनुच्छेद 25) द्वारा गारंटीकृत धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करेगा।
    • कृष्णस्वामी भारती का दृष्टिकोण: भारती ने सुझाव दिया कि व्यक्तिगत कानूनों में, समय के अनुसार बदलाव के लिए समुदाय की सहमति की आवश्यकता होनी चाहिए।
  • नजीरुद्दीन अहमद का रुख: सिद्धांत रूप में समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हुए, अहमद ने समुदायों की सहमति से क्रमिक दृष्टिकोण पर जोर दिया, साथ ही उन्होंने सावधानीपूर्वक, एक विज्ञ राजनेता की तरह इसके कार्यान्वयन के लिए तर्क दिया।
  • के.एम. मुंशी द्वारा यूसीसी का बचाव: उन्होंने यूसीसी का बचाव करते हुए कहा कि यह धर्म की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करेगा और सामाजिक सुधार के लिए, खासकर लैंगिक समानता के मामलों में, आवश्यक है।
  • उन्होंने भारत भर में हिंदू व्यक्तिगत कानूनों में विसंगतियों पर भी जोर दिया और तुर्की और मिस्र के उदाहरणों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि नागरिक संहिता अल्पसंख्यक समुदायों के लिए खतरा नहीं है।
  • यूसीसी के लिए अंबेडकर का तर्क अंबेडकर ने संशोधनों का विरोध करते हुए कहा कि भारत में पहले से ही विवाह और उत्तराधिकार को छोड़कर एक एकीकृत आपराधिक कानून और नागरिक कानून हैं।
    • समस्त चिंताओं को स्वीकार करते हुए, अंबेडकर ने आश्वासन दिया कि यूसीसी को नागरिकों पर थोपा नहीं जाएगा, बल्कि शुरू में स्वैच्छिक हो सकता है, जो लोग इसका पालन करने के लिए सहमत होंगे उनके लिए यह एक विकल्प होगा।

निष्कर्ष: 

संविधान निर्माताओं के मतभेद के बावजूद, संविधान सभा ने अनुच्छेद 35 को अपनाया, जो बाद में भारतीय संविधान में अनुच्छेद 44 बन गया। इसने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन किए बिना एक समान नागरिक संहिता को लागू करने के राज्य के उद्देश्य पर जोर दिया, जिससे क्रमिक कार्यान्वयन के लिए स्थान सुरक्षित बना रहा।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न . डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विचार का समर्थन किया, लेकिन इसे अपनाने के लिए क्रमिक और स्वैच्छिक दृष्टिकोण पर जोर दिया। जाँच करें कि भारत के विविध और बहुलवादी समाज में यूसीसी को लागू करने की समकालीन चुनौतियों का समाधान करने में यह दृष्टिकोण किस प्रकार से  प्रासंगिक है। 

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.