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Lokesh Pal
March 17, 2025 05:30
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जहाँ एक तरफ भारत की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है, तो वहीं मूलभूत आवश्यकताओं से इतर उपभोग में वृद्धि न के बराबर है। ऐसे में भारत की उपभोग अर्थव्यवस्था संबंधी चिंताएँ उत्पन्न होती हैं।
भारत को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और आर्थिक प्रगति के बीच संतुलन बनाना होगा, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि भारतीय आबादी केवल जीवित ही नहीं रहें, बल्कि समृद्ध भी हों।
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