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Lokesh Pal
June 27, 2024 05:30
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भारत में संरक्षण के प्रति नीतिगत दृष्टिकोण लंबे समय से दो प्रकार के संघर्षों से जूझ रहा है: संरक्षण बनाम स्थानीय समुदायों द्वारा संसाधन निष्कर्षण, और संरक्षण बनाम ‘आर्थिक विकास’।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: पेसा अधिनियम (1996), त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्था, भूरिया समिति (1995 ) आदि।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: पंचायत अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार अधिनियम, 1996 की प्रासंगिकता, चुनौतियाँ एवं समाधान, ग्राम सभाओं को दी गई शक्तियां और कार्य, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास आदि। |
पेसा अधिनियम आदिवासी स्वशासन को सशक्त बनाता है और अधिकारों की रक्षा करता है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन में अनेक चुनौतियां हैं। इसकी सफलता के लिए प्रभावी सुधार और अन्य कानूनों के साथ एकीकरण आवश्यक है ताकि जनजातियों की जल, जंगल और जमीन बचाने की भावना को संरक्षित व प्रोत्साहित किया जा सके।
प्रश्न: भारत में जनजातीय शासन पर पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा अधिनियम) के प्रभाव का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। इसके कार्यान्वयन में प्रमुख प्रावधानों और चुनौतियों पर चर्चा करें। जनजातीय क्षेत्रों में स्वशासन को बढ़ावा देने में इसकी प्रभावशीलता बढ़ाने के उपाय सुझाएँ।
(15 अंक, 250 शब्द)
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