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Lokesh Pal
July 01, 2024 05:00
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अपने हालिया फैसले के माध्यम से भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने, एम. के. रंजीत सिंह एवं अन्य बनाम भारत संघ तथा अन्य के मामले में, भारत के जलवायु परिवर्तन संबंधी न्यायशास्त्र के मुद्दे को उजागरकर करने का प्रयास किया है।
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जलवायु कानून, जलवायु अधिकारों की रक्षा के लिए दूसरा दृष्टिकोण एक पसंदीदा दृष्टिकोण है या नहीं इसको समझने के लिए निर्णय में स्वयं कहा गया है कि भारत में जलवायु परिवर्तन से संबंधित कोई ‘अम्ब्रेला कानून’ नहीं है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से मुक्त होने के अधिकार’ को संवैधानिक अधिकार के रूप में मान्यता देने से, जलवायु अधिकारों की रक्षा और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ सतत विकास, अनुकूलन और लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए भारत के संदर्भ के अनुरूप एक व्यापक जलवायु कानून महत्वपूर्ण है।
प्रश्न : भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में ‘जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से मुक्त होने के अधिकार’ को संवैधानिक अधिकार के रूप में मान्यता दी है। इस घटनाक्रम के आलोक में, भारत में एक व्यापक जलवायु परिवर्तन कानून की आवश्यकता की आलोचनात्मक जांच करें। साथ ही, मूल्यांकन करें कि यह कानून विकास की अनिवार्यताओं को पर्यावरणीय स्थिरता के साथ कैसे संतुलित कर सकता है।
(15 अंक, 250 शब्द)
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