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भारत में बढ़ता साइबर अपराध (Cyber crime increasing in India)

Samsul Ansari December 22, 2023 01:24 251 0

नोट : प्रस्तुत लेख The Economics Times में प्रकाशित “Cyber crime growing at the rate 15-20% annually in India: West Bengal IGP Cyber Cell” पर आधारित है

संदर्भ

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, भारत में वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में कुल पंजीकृत साइबर अपराधों में तकरीबन 24% की वृद्धि देखी गई।

प्रारंभिक परीक्षा: भारत में साइबर अपराधों पर एनसीआरबी डेटा, राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (CIIPC), सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000, राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति (NCSP), और कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-IN)।

मुख्य परीक्षा: भारत में बढ़ते साइबर अपराध की चुनौतियाँ तथा आगे की राह।

साइबर अपराध के बारे में

  • परिभाषा: कोई भी गैर-कानूनी कार्य, जहाँ कंप्यूटर या संचार उपकरण अथवा कंप्यूटर नेटवर्क का उपयोग अपराध को अंजाम देने के लिए किया जाता है।
  • उदाहरण: हैकिंग, पहचान की चोरी, धोखाधड़ी और साइबर स्टॉकिंग।
  • भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार, साइबर अपराध राज्य सूची के विषय के अंतर्गत आता है।

NCRB के बारे में: 

  • इस संस्थान की स्थापना वर्ष 1986 के दौरान टंडन समिति तथा राष्ट्रिय पुलिस आयोग (1977-1981) एवं मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स (MHA) टास्कफोर्स (1985) की सिफारिशों के आधार पर की गई थी।
  • यह गृह मंत्रालय के अंतर्गत संचालित होता है तथा इसका मुख्यालय नई दिल्ली में अवस्थित है।
  • इसके अंतर्गत चार प्रमुख प्रभाग क्रमशः अपराध और अपराधिक ट्रेकिंग नेटवर्क और प्रणाली (CCTNS), अपराध सांख्यिकी (Crime Statistics), फिंगर प्रिंट तथा प्रशिक्षण इत्यादि हैं।
  • NCRB द्वारा प्रस्तुत प्रकाशित की जाने वाली प्रमुख रिपोर्ट्स: भारत में अपराध, दुर्घटना से होने वाली मौतें तथा आत्महत्याएँ, जेल सांख्यिकी और भारत में लापता महिलाओं और बच्चों पर रिपोर्ट।
  • कार्य : यह भारतीय दंड संहिता (IPC) और विशेष स्थानीय कानूनों (SLL) द्वारा परिभाषित आपराधिक डेटा को एकत्र करने और उनका विश्लेषण करने के लिए एक जिम्मेदार संस्था है।

साइबर क्राइम बढ़ने के प्रमुख कारण

  • वित्तीय लाभ: क्रेडिट कार्ड नंबर और बैंक खातों जैसी वित्तीय जानकारी चुराकर, या चुराए गए डेटा अथवा संसाधनों के बदले में फिरौती की माँग करना।
  • जासूसी: कुछ साइबर अपराधी लाभ के लिए गोपनीय या महत्त्वपूर्ण जानकारी चुराने या किसी संगठन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के लिए साइबर अपराध में संलग्न होते हैं।
  • राजनीतिक या वैचारिक उद्देश्य: कुछ साइबर अपराधी किसी विशेष उद्देश्य अथवा किसी विशेष एजेंडे को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

भारत में साइबर अपराध से जुड़ी चुनौतियाँ

  • प्रौद्योगिकियों में प्रगति के साथ हमलों में वृद्धि: जैसे-जैसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी नई प्रौद्योगिकियाँ अधिक प्रचलित हो रही हैं, साइबर हमलों का भी विस्तार हो रहा है।
  • परिष्कृत साइबर हमले: साइबर अपराधी तेजी से परिष्कृत होते जा रहे हैं और वे व्यक्तियों तथा संगठनों को निशाना बनाने के लिए रैनसमवेयर, जीरो-डे एक्सप्लॉइट्स और सोशल इंजीनियरिंग जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं।
  • साइबर युद्ध और राज्य-प्रायोजित हमले: भारत को साइबर जासूसी और राज्य-प्रायोजित साइबर हमलों के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।
    • जिससे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और संवेदनशील सरकारी जानकारियों की सुभेद्यता बढ़ रही है।
  • साइबर सुरक्षा जागरूकता का अभाव: भारत में कुछ व्यक्तियों और व्यवसायों को साइबर सुरक्षा से जुड़े जोखिमों और निवारक उपायों के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं है, जो उन्हें साइबर अपराधों का शिकार बनने के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है।
  • अपर्याप्त कानूनी ढाँचा: हालाँकि, भारत ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए कानूनी ढाँचे स्थापित करने के प्रयास किए हैं। 
    • सरकार को साइबर अपराध से जुड़े कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

NCRB की 2022 की रिपोर्ट संबंधी प्रमुख बिंदु: 

  • हाल ही में NCRB द्वारा वर्ष 2022 पर रिपोर्ट प्रकाशित की गई।
  • कुल अपराध आँकड़े : 58,00,000 से अधिक की संख्या में संज्ञेय अपराध दर्ज किए गए| इसमें भरतीय दंड संहिता (IPC) तथा विशेष एवं स्थानीय क़ानून (SLL) दोनों से आँकड़ों को शामिल किया गया था।
  • अपराध से संबंधित इन मामलों के पंजीकरण में 2021 की तुलना में 4.5 % की गिरावट दर्ज की गई।
  • अपराध दर में गिरावट: प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध दर 2021 में 445.9 से घटकर 2022 में 422.2 हो गई। 
  • राज्यवार आँकड़े: पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 3,491 एफआईआर दर्ज किए गए, उसके बाद बिहार (2,930), महाराष्ट्र (2,295), मध्य प्रदेश (1,978) और राजस्थान (1,834) राज्य रहे।
    • इन शीर्ष पांच राज्यों में हत्या के 43.92 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए।  
    • एनसीआरबी के अनुसार, 2022 में सबसे कम हत्या के मामलों वाले शीर्ष पांच राज्यों में- सिक्किम (9), नागालैंड (21), मिजोरम (31), गोवा (44), और मणिपुर (47) शामिल थे।
    • वहीं, केंद्र शासित प्रदेशों में, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 2022 में हत्या के 509 मामले दर्ज किए गए| इसके बाद जम्मू-कश्मीर (99), पुडुचेरी (30), चंडीगढ़ (18), दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव (16), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (7), लद्दाख (5) और लक्षद्वीप में (शून्य) केस दर्ज हुए।
    • पूरे भारत की बात करें तो 2022 में हत्या की दर झारखंड (4) में सबसे अधिक थी। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश (3.6), छत्तीसगढ़ और हरियाणा (दोनों 3.4), असम और ओडिशा (दोनों- 3) थे।
    • जबकि, प्रति लाख जनसंख्या पर अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश (1.5), बिहार (2.3), महाराष्ट्र (1.8), मध्य प्रदेश (2.3) और राजस्थान (2.3) का प्रदर्शन बेहतर रहा।
  • वहीं, उम्र के संदर्भ में हत्या के 95.4 प्रतिशत पीड़ित वयस्क थे| NCRB के अनुसार, कुल हत्या पीड़ितों में से 8,125 महिलाएँ और तकरीबन नौ तीसरे जेंडर के व्यक्ति थे| लगभग 70 प्रतिशत पीड़ित पुरुष थे।
  • सबसे सुरक्षित शहर: महानगरों में प्रति लाख जनसंख्या पर सबसे कम संज्ञेय अपराध दर्ज कराते हुए कोलकाता लगातार तीसरे वर्ष भारत का सबसे सुरक्षित शहर बनकर उभरा है। इस मामले में पुणे (महाराष्ट्र) और हैदराबाद (तेलंगाना) ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है।
  • साइबर अपराध: साइबर अपराध रिपोर्टिंग में 24.4% की वृद्धि दर्ज की गई है। कुल पंजीकृत मामलों में साइबर धोखाधड़ी से संबंधित मामले (64.8%), जबरन वसूली (5.5%) और यौन शोषण (5.2%) से संबंधित मामले शामिल हैं।
  • आत्महत्या और कारण: वर्ष 2022 की रिपोर्ट में, भारत में आत्महत्याओं के मामले में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, वर्ष 2022 में कुल 1.7 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए, जो कि वर्ष 2021 की तुलना में तकरीबन 4.2% की वृद्धि को दर्शाते हैं।
    • आत्महत्या दर में भी 3.3% की वृद्धि दर्ज की गई है। आत्महत्याओं की सबसे अधिक संख्या महाराष्ट्र में दर्ज की गई, इसके बाद तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, केरल और तेलंगाना हैं। 
    • भारत में बेरोजगार व्यक्तियों द्वारा की गई आत्महत्याओं की कुल संख्या वर्ष 2022 में तकरीबन 9.2% थी। वर्ष 2022 में दर्ज की गई सभी आत्महत्याओं में से 12,000 से अधिक छात्र थे।
  • एससी और एसटी के खिलाफ अपराध: राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्यों में 2022 में ऐसे मामलों में वृद्धि देखी गई। ऐसे अपराधों के ऊंचे स्तर वाले अन्य राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पंजाब शामिल हैं।
  • बच्चों के विरुद्ध अपराध: बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों में वर्ष 2021 की तुलना में 8.7% की वृद्धि दर्ज की गई।
  • महिलाओं के विरुद्ध अपराध: 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,45,256 मामले दर्ज किए गए, जो वर्ष 2021 से 4% की वृद्धि दर्शाते हैं।
  • वरिष्ठ नागरिकों के विरुद्ध अपराध: वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराध के मामले 2021 में 26,110 मामलों की तुलना में 9.3% बढ़कर 28,545 हो गए।
  • विदेशियों के विरुद्ध अपराध: विदेशियों के खिलाफ 192 मामले दर्ज किए गए जो कि वर्ष 2021 में दर्ज किए गए 150 मामलों की तुलना में तकरीबन 28% की वृद्धि दर्शाते हैं।

भारत में साइबर अपराध से निपटने के लिए किए गए सरकारी उपाय

  • राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक प्रयोगशाला (जाँच): सभी राज्य/केंद्रशासित प्रदेश पुलिस के जाँच अधिकारियों (IO) को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से प्रारंभिक चरण की साइबर फोरेंसिक सहायता उपलब्ध कराना।
  • साइट्रेनपोर्टल: साइबर अपराध के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से सभी हितधारकों की क्षमता निर्माण के लिए व्यापक ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम (MOOC) मंच।
  • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति (NCSP): एक सुरक्षित और मजबूत साइबरस्पेस वातावरण के लिए।
  • भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C): साइबर अपराधों को रोकने और जाँच करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमताओं को बढ़ाना।
  • राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: महिलाओं और बच्चों के खिलाफ किए जाने वाले साइबर अपराधों पर विशेष ध्यान देने के साथ, जनता को सभी प्रकार के साइबर अपराधों से संबंधित घटनाओं की रिपोर्ट करने में सक्षम बनाना।
  • राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC): महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना को साइबर खतरों से बचाने के लिए।
  • साइबर स्वच्छता केंद्र: मैलवेयर-संक्रमित प्रणालियों का पता लगाने और उन्हें हटाने के लिए।
  • कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In): साइबर सुरक्षा घटनाओं पर प्रतिक्रिया देने और उन्हें कम करने के लिए उत्तरदायी राष्ट्रीय एजेंसी। 
    • यह साइबर सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को चेतावनी तथा सलाह जारी करती है।
  • सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000: यह विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक व्यापक कानून है।

Type of Cyber Attack

आगे की राह

  • उन्नत साइबर सुरक्षा फ्रेमवर्क को लागू करना: उन्नत साइबर सुरक्षा प्रौद्योगिकियों में निवेश करने से महत्त्वपूर्ण सूचना प्रणालियों और नेटवर्क की सुरक्षा में मदद मिल सकती है।
  • साइबर स्वच्छता पद्धतियाँ: नियमित सॉफ्टवेयर अपडेट, मजबूत पासवर्ड प्रबंधन और सुरक्षित ऑनलाइन व्यवहार जैसी साइबर स्वच्छता पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता है।
  • सहयोग को मजबूत करना: खतरे से संबंधित खुफिया जानकारी, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और सीमा पार साइबर अपराधों की जाँच एवं मुकदमा चलाने के प्रयासों में समन्वय के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों तथा अन्य देशों के साथ सहयोग को मजबूत करना।
  • सार्वजनिक जागरूकता और शिक्षा: सामान्य साइबर खतरों, सुरक्षित ऑनलाइन अभ्यास और साइबर सुरक्षा के महत्त्व के विषय में जनता को शिक्षित करने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाना।
  • साइबर बीमा अपनाने को प्रोत्साहित करना: साइबर घटनाओं से होने वाली वित्तीय हानि को कवर करना।
  • साइबर जोखिम कवरेज निवारण से जुड़ी लागतों में भी मदद करता है, जिसमें कानूनी सहायता, जाँचकर्ताओं, संकट संचारकों और ग्राहक क्रेडिट या रिफंड के लिए भुगतान शामिल है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न (UPSC 2023 GS Paper 3): भारत द्वारा सामना की जाने वाली आतंरिक सुरक्षा चुनौतियाँ क्या हैं? ऐसे खतरों का मुकाबला करने के लिए नियुक्त केन्द्रीय ख़ुफ़िया जाँच एजेंसियों की भूमिका बताइये।

News Source: ET

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