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भारत में साइबर अपराध की समस्या: एक समग्र अवलोकन

Lokesh Pal March 04, 2025 05:15 22 0

संदर्भ:

हाल ही में, हरियाणा ने साइबर अपराधों पर नियंत्रण की अपनी मुहिम तेज कर दी है, जिससे 2024 में इसके निपटान की दर दुगुनी होकर 27% हो गई। हालाँकि, साइबर अपराधियों द्वारा किए जा रहे गैर-कानूनी कार्य निरंतर जारी हैं, जिससे प्रवर्तन प्रयास चुनौतीपूर्ण बन रहे हैं।

भारत में साइबर अपराध

  • पुलिस की प्राथमिकता: हिंसक अपराध, महिला सुरक्षा, मादक पदार्थों की तस्करी और कानून प्रवर्तन के साथ-साथ साइबर अपराध भी एक प्राथमिक क्षेत्र है।
  • मामलों में वृद्धिहरियाणा (2023) में कुल 1,15,000 मामले दर्ज किए गए, जिसके परिणामस्वरूप ₹602 करोड़ की धोखाधड़ी हुई। विभिन्न प्रयासों के बावजूद मामलों की निपटान दर कम रही, चोरी की गई धनराशि का केवल 12% ही सफलतापूर्वक वापस मिल पाया।
  • हरियाणा की प्रतिक्रिया: हरियाणा अतिरिक्त लोगों को तैयार करके और बैंकों के साथ सहयोग बढ़ाकर साइबर अपराध के प्रति अपनी प्रतिक्रिया को मजबूत कर रहा है। 
    • धोखाधड़ी का पता लगाने और निपटान में सुधार के लिए, 1930 हेल्पलाइन पर नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं, जो साइबर धोखाधड़ी के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करते हैं।
  • बेहतर परिणाम: हरियाणा ने साइबर अपराध कार्रवाई में उल्लेखनीय प्रगति की है, 2024 तक निपटान दर दुगुनी होकर 27% हो जाएगी। 
    • साइबर अपराधियों की गिरफ्तारियों की संख्या 2022 में 1,078 से बढ़कर 2023 में 1,909 और 2024 में 5,156 हो गई है, जिसमें जनवरी 2025 में अकेले 571 गिरफ्तारियाँ हुई जो जनवरी 2024 में 138 थी। 
    • परिणामस्वरूप, हरियाणा राष्ट्रीय साइबर अपराध कार्रवाई रैंकिंग में 23वें स्थान से ऊपर उठकर शीर्ष पर पहुँच गया है

साइबर अपराध को रोकने संबंधी चुनौतियाँ

  • नए तरीकों को अपनाना: गिरफ्तारियों और निपटान में वृद्धि के बावजूद, साइबर अपराधियों की संख्या में वृद्धि जारी है, जिससे उन्हें पूरी तरह से रोकने के लिए प्रवर्तन प्रयास अपर्याप्त हो रहे हैं।
  • निपटान दर की चुनौतियाँ: हालाँकि 10% से 25% तक की प्रारंभिक वृद्धि अपेक्षाकृत आसान थी, लेकिन 35% से 50% तक का सुधार अत्यंत कठिन सिद्ध हो रहा है।
  • रिपोर्ट करने में देरी: कई पीड़ितों को धोखाधड़ी का अनुमान बहुत देर से होता है, तब तक चोरी की गई धनराशि विदेश में स्थानांतरित हो चुकी होती है या निकाल ली गई होती है, जिससे धन की पुनर्प्राप्ति चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
  • प्रमुख दृष्टिकोण: कानून प्रवर्तन और बैंक शिकायत-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाते हैं। पीड़ितों द्वारा धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के बाद ही निपटान के प्रयास शुरू होते हैं।
  • सीमित सफलता: हरियाणा की रिकवरी दर लगभग 30% है, जो अपराधियों को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं है।
  • म्यूल अकाउंट (Mule Accounts): अपराधी चोरी के धन को सफेद अथवा वैध करने के लिए म्यूल अकाउंट का प्रयोग करते हैं। म्यूल अकाउंट में धन की कम मात्रा और शीघ्र इन-आउट ट्रांजेक्शन होते हैं। धन को कई खातों में इधर-उधर किया जाता है और फिर निकाल लिया जाता है।

आवश्यक समाधान एवं उपाय

  • सक्रिय दृष्टिकोण: धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए प्रतिक्रियात्मक दृष्टिकोण से सक्रिय दृष्टिकोण की ओर बदलाव।
  • निगरानी: पीड़ितों को पता चलने से पूर्व धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए वास्तविक समय में लेनदेन की निगरानी करें।
  • वास्तविक समय निगरानी: वास्तविक समय निगरानी से म्यूल अकाउंट में संदिग्ध स्थानान्तरण का पता लगाने, तत्काल अलर्ट ट्रिगर करने और निकासी से पहले लेनदेन को रोकने में मदद मिलती है, जिससे वित्तीय हानि को प्रभावी ढंग से रोका जा सकता है।
  • विशिष्ट आईडी प्रणाली: बैंकों में प्रत्येक लेनदेन के लिए एक विशिष्ट आईडी से धन की आवाजाही को ट्रैक करने में मदद मिल सकती है। यह कई खातों में धन की निर्बाध ट्रैकिंग को सक्षम बनाता है।
  • RBI द्वारा म्यूलहंटरम्यूल खातों की पहचान करने के लिए नया सॉफ्टवेयर, बैंक धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए इस प्रणाली को अपना रहे हैं।
  • सत्यापित खाता सूची (Verified Accounts List)सत्यापित खाता सूची में व्यावसायिक खाते, वेतन खाते और महत्त्वपूर्ण शेष राशि वाले बचत खाते शामिल हैं।
    • एक बार जब धनराशि सत्यापित खाते में भेज दी जाती है, तो निगरानी रोकी जा सकती है, जिससे संसाधन आवंटन अनुकूलित हो जाता है।
  • कार्रवाई योग्य प्रयास: जब कोई लेनदेन किसी संदिग्ध म्यूल अकाउंट में होता है, तो अलर्ट भेजा जाता है। यदि कई म्यूल अकाउंट्स के माध्यम से धन आगे बढ़ाया जाता है, तो 1930 हेल्पलाइन को सूचित किया जाता है। 
    • जाँचकर्ता धोखाधड़ी की पुष्टि करने और धनराशि अवरुद्ध करने के लिए तुरंत पीड़ित से संपर्क करते हैं।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की भूमिका: एआई संदिग्ध गतिविधि का पता लगाने के लिए वास्तविक समय में बैंकिंग लेनदेन का विश्लेषण कर सकता है। मशीन लर्निंग मॉडल लेनदेन प्रतिरूप के आधार पर म्यूल अकाउंट्स की पहचान कर सकते हैं।
  • कार्यान्वयन: भारतीय रिज़र्व बैंक के अधीन भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NCPI) के पास सभी बैंकों के डेटाबेस तक पहुँच है। यह एआई-संचालित धोखाधड़ी पहचान प्रणाली को विकसित करने और लागू करने के लिए आदर्श है।
    • एक केंद्रीकृत धोखाधड़ी निगरानी प्रणाली वास्तविक समय अलर्ट और लेनदेन अवरोधन (blocking) सुनिश्चित कर सकती है।

निष्कर्ष

यदि भारत AI-संचालित निगरानी के माध्यम से साइबर धोखाधड़ी को रोकने में सफल  होता है, तो अन्य देश और बहुराष्ट्रीय बैंक इस प्रणाली को अपना सकते हैं। इससे साइबर सुरक्षा और वित्तीय प्रौद्योगिकी में भारत की स्थिति सुदृढ़ होगी।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

साइबर अपराध से निपटने में प्रतिक्रियात्मक से सक्रिय दृष्टिकोण में परिवर्तन, विशेष रूप से वास्तविक समय लेनदेन निगरानी के संदर्भ में, का मूल्यांकन कीजिए। एआई आधारित प्रणालियाँ जैसे तकनीकी हस्तक्षेप, गोपनीयता संबंधी चिंताओं को संतुलित करते हुए साइबर धोखाधड़ी की बहुआयामी चुनौतियों का समाधान कैसे करेंगे?

(15 अंक, 250 शब्द)

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