100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

दशकीय जनगणना में विलंब : परिसीमन और जाति जनगणना

Lokesh Pal August 27, 2024 05:15 106 0

संदर्भ: 

भारत ने 1881 से 2011 तक नियमित रूप से दशकीय जनगणना आयोजित की है, केवल कोविड-19 महामारी का वर्ष इसका अपवाद है। दशकीय जनगणना में और अधिक विलंब करने का कोई औचित्य नहीं है, यह एक ऐसी आवश्यक प्रक्रिया है जो एक सदी से भी अधिक समय से हर दशक में देश की वास्तविक स्थिति व सुधार के लिए विश्वसनीय आँकड़े प्रस्तुत करती रही है। 

भारत की जनगणना स्थिति:

  • जून 2024 तक, विश्व के 233 देशों में से भारत उन 44 देशों में से एक था, जिन्होंने इस दशक में जनगणना नहीं कराई थी।
  • भारत संघर्ष (बाह्य या आंतरिक), राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट या प्रशासनिक उथल-पुथल से प्रभावित देशों खासकर यमन, सीरिया, अफगानिस्तान, म्यांमार, यूक्रेन, श्रीलंका और उप-सहारा अफ्रीका इत्यादि  देशों के साथ जनगणना न कराने का संदिग्ध कारण साझा करता है।

जनगणना की समय-सीमा का विस्तार

  • भले ही वर्तमान समय में, भारत किसी राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल से नहीं गुजर रहा है, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा दिया गया , नियमित रूप से दशकीय जनगणना में विलंब का स्पष्ट कारण कोविड-19 महामारी था हालाँकि विश्व के 143 अन्य देशों ने मार्च 2020 के बाद जनगणना कराई , जो महामारी की शुरुआत थी।
  • फिर भी, जिलों, तहसीलों, कस्बों और नगर निकायों की प्रशासनिक सीमाओं को स्थिर करने की समय सीमा – जो जनगणना के संचालन से पहले की एक अनिवार्य शर्त थी, 30 जून, 2024 को समाप्त हो गई है, जिसे 2019 से अब तक 10 बार बढ़ाया जा चुका है।

दशकीय जनगणना में निरंतर विलंब का कारण 

  • जाति गणना को शामिल करने के लिए आँकड़ों का संग्रहण: केंद्र सरकार कथित तौर पर आगामी जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के लिए आँकड़ों के संग्रहण का विस्तार करने पर विचार कर रही है, यह कदम विभिन्न राजनीतिक दलों की माँग से प्रेरित है।
  • जनगणना में जाति गणना को लेकर चिंताएँ: जनगणना में जाति को शामिल करने की माँग वर्ष 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना के असंतोषजनक अनुभव के बाद की गई है। जिसमें  अत्यधिक खामियाँ होने के कारण अंततः अनुपयोगी डेटा प्राप्त हुआ। इन मुद्दों को देखते हुए, आगामी जनगणना में जाति गणना को लागू करने से पहले सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
  • सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (2011): 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) पूरे भारत में परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर विस्तृत डेटा एकत्र करने के लिए आयोजित की गई थी, जिसका  उद्देश्य जाति-आधारित जनसांख्यिकी की पहचान करना था। इसका प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न समुदायों, विशेष रूप से हाशिए पर पड़े समूहों की सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं की पहचान करके सरकारी कल्याणकारी योजनाओं को बेहतर ढंग से लक्षित करना था।
  • उचित प्रशिक्षण और कठोर डेटा सत्यापन की आवश्यकता: 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) में 48 लाख से अधिक जाति श्रेणियाँ मौजूद थी, क्योंकि लोगों ने अपनी जाति बताने के तरीके में भिन्नता और गलतियाँ की थी। उदाहरण के लिए, कुछ लोगों ने खुद को यादव, कुछ ने यादवज और कुछ ने इसे यादव के रूप में गलत तरीके से लिखा। नतीजतन, डेटा संग्रह प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद, डेटा अनुपयोगी था। 
    • इस अनुभव ने जाति डेटा संग्रह की जटिलता को रेखांकित किया, जिससे जानकारी को प्रभावी ढंग से उपयोग करने से पहले उचित प्रशिक्षण और कठोर डेटा सत्यापन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।

जनगणना में विलंब का प्रभाव:

  • नीति-निर्माण पर प्रभाव: सरकार द्वारा बनाई गई योजनाएँ उनके पास उपलब्ध आँकड़ों पर आधारित होती हैं। अब सरकार को 2011 के आँकड़ों के साथ-साथ विभिन्न सर्वेक्षणों से एकत्रित आँकड़ों का भी सहारा लेना पड़ रहा है, लेकिन इन सर्वेक्षणों के आँकड़े जनगणना के आँकड़ों जितने विश्वसनीय नहीं हैं।
  • उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों के लिए जो राशि आवंटित की जानी है, वह जनगणना के आँकड़े उपलब्ध होने के बाद ही की जा सकती है।
  • अतः जब सरकार के पास विश्वसनीय आँकड़े उपलब्ध होंगे, तभी वह यह निर्णय ले सकेगी कि खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम के लिए कितनी राशि आवंटित की जानी चाहिए।
  • संघीय ढाँचे पर प्रभाव: यदि 2026 में परिसीमन को प्राथमिकता देने के लिए जनगणना कराने में जानबूझकर देरी की जाती है, तो यह न केवल सार्वजनिक नीतियों को बल्कि राज्यों के साथ केंद्र के पारस्परिक संबंधों को भी प्रभावित कर सकते हैं।

नियमित दशकीय जनगणना कराने का महत्त्व:

  • 2011 की जनगणना के आँकड़े बढ़ती जनसंख्या व समय के साथ लगातार पुराने होते जा रहे हैं और राज्यों के मध्य तथा राज्यों के भीतर प्रवास, भारतीय समाज का शहरीकरण, तथा शहरों का उपनगरीकरण जैसी घटनाएँ हाल के वर्षों में तेजी से प्रमुख होती जा रही हैं, ऐसे में जनगणना का न होना चिंताजनक है।
  • इसके अतिरिक्त, नीति निर्धारण में प्रयुक्त सांख्यिकीय सर्वेक्षण, जैसे- घरेलू और सामाजिक उपभोग से संबंधित सर्वेक्षण, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण, आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, तथा नमूना पंजीकरण प्रणाली आदि, अपने नमूना ढाँचे निर्धारित करने के लिए जनगणना का उपयोग करते हैं।

निष्कर्ष:

जनगणना को युद्धस्तर पर संचालित करने के लिए सबसे पहले एक निश्चित समय-सीमा तैयार करने की आवश्यकता है। यदि यह विलंब जानबूझकर इस उद्देश्य से किया जा रहा है, ताकि 2026 में पहले परिसीमन किया जा सके, तो यह न केवल सार्वजनिक नीति के लिए ही बल्कि राज्यों के साथ संबंधों के लिए भी हानिकारक होगा। प्रक्रिया को गति देने के लिए, सटीक तकनीक का उपयोग किया जा सकता है, राज्य सहयोग कर सकते हैं और लोगों को इसके महत्व के बारे में जागरूक किया जा सकता है, ताकि समय पर जनसंख्या संबंधी सही जानकारी एकत्र करने में मदद मिल सके।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.