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दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पीएम केयर्स फंड की जानकारी माँगने वाले CIC का आदेश रद्द (Delhi High Court cancels CIC order seeking information on PM Cares Fund)

Samsul Ansari January 24, 2024 03:33 173 0

संदर्भ:

हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के पीएम केयर्स फंड की जानकारी माँगने वाले आदेश को रद्द कर दिया और आईटी विभाग को पीएम केयर्स फंड के लिए आरटीआई (RTI) के तहत कर छूट के विवरण को उजागर करने का निर्देश दिया है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: सूचना का अधिकार अधिनियम- महत्त्व, चुनौतियाँ एवं आगे की राह ।

सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम

  • पारित होने का वर्ष : वर्ष 2005 में, नागरिकों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19(1)(a) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रयोग करने में सक्षम बनाने के लिए यह अधिनियम लाया गया।
  • लोक सूचना अधिकारी (PIO): इसके तहत 30 दिनों के भीतर जानकारी देना आवश्यक है, लेकिन किसी नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता के संबंध में जानकारी माँगने का अनुरोध करने वाले आवेदन को 48 घंटों के भीतर या तो अनुमति दी जानी चाहिए अथवा अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए।
  • अपील का प्रावधान: यदि अपीलीय प्राधिकारी का निर्णय संतोषजनक नहीं है तो विभागीय अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील की जा सकती है और इसके साथ ही दूसरी अपील भी की जा सकती है।
  • अधिनियम की धारा 4: यह सभी अधिकारियों को सूचना को सक्रिय रूप से उजागर करने का आह्वान करती है ताकि जनता को जानकारी प्राप्त करने के लिए इस अधिनियम के उपयोग का कम-से-कम सहारा लेना पड़े।
  • अधिनियम की धारा 8: यह सूचना के प्रकटीकरण के संबंध में अपवाद का भी प्रावधान प्रदान करती है, जिसके आधार पर सूचना को साझा करने से इनकार भी किया जा सकता है।
    • आरटीआई अधिनियम की धारा 8 के तहत अपवाद संबंधी प्रावधान
    • भारत की संप्रभुता और अखंडता
    • राज्य की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हित
    • विदेशी राज्यों के साथ संबंध
    • किसी अपराध को उकसाने का कारण बनना
    • धारा 8(2) आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 के तहत छूट प्रदान करती हैI 

आरटीआई अधिनियम के लाभ

  • भ्रष्टाचार विरोधी उपकरण: पिछले 17 वर्षों में, यह अधिनियम विभिन्न घोटालों को उजागर करने में सहायक सिद्ध हुआ है।
  • लोगों की आवाज को सशक्त बनाना: नागरिकों को प्रश्न पूछने का विश्वास और अधिकार देकर उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया गया है।
  • मजबूत लोकतंत्र: नागरिकों को सार्वजनिक अधिकारियों से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार मजबूत लोकतंत्र का सूचक है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेही: विभिन्न सूचनाओं को सार्वजनिक डोमेन में रखने संबंधी प्रावधानों से पारदर्शिता और जवाबदेहिता सुनिश्चित होती है।

RTI अधिनियम की कार्यविधि से संबंधित मुद्दे

  • आरटीआई कार्यकर्ताओं को धमकियाँ: कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (CHRI) के अनुसार, वर्ष 2006 से अब तक पूरे भारत में 99 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या की जा चुकी है,180 पर हमले हुए हैं और 187 को धमकियाँ प्राप्त हुई हैं।
  • अक्रियाशील: विभिन्न अपवाद प्रावधानों के कारण सूचना आयोग अक्रियाशील बना हुआ है।
  • लंबित मामलों में वृद्धि : CIC के तहत लंबित मामलों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
  • न्यायिक अड़चनें: कई आरटीआई मामले न्यायिक प्रक्रियाओं में उलझे हुए हैं।
  • अव्यावहारिक आरटीआई: महत्त्वहीन या विकृत उद्देश्यों हेतु किए जाने वाले प्रश्न,  नौकरशाहों द्वारा गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण बार-बार दोहराए जाने वाले बहाना मात्र हैं। हालाँकि, यह कुल अपीलों का केवल लगभग 4% है, जिसे आसानी से प्रबंधित किया जा सकता है।

उठाए जाने वाले कदम

  • एक आचार संहिता की आवश्यकता: सूचना आयुक्तों के लिए एक आचार संहिता विकसित किए जाने की आवश्यकता है।
  • न्यायपालिका के दिशा-निर्देशों का पालन: डीडीए (DDA) बनाम स्किपर कंस्ट्रक्शन (P) लिमिटेड के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का अक्षरश: पालन किया जाना चाहिए। SIC/CIC द्वारा की गई त्रुटियों में सुधार हेतु उच्च न्यायालयों को अपने रिट क्षेत्राधिकार के प्रयोग संबंधी आकांक्षा पर रोक लगानी चाहिए।
  • सूचना आयोगों की स्वायत्तता को कायम रखना: बड़े पैमाने पर लोगों और राष्ट्र के हित में प्रेस और लोकतांत्रिक संस्थानों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  • सूचना कानूनों के बारे में शिक्षा: लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ाने और सरकारी अधिकारियों के लिए कठोर प्रशिक्षण के  आयोजन की आवश्यकता है।
  • स्थानीय भाषाओं में सूचना की उपलब्धता: हमारे देश की विविध प्रकृति को देखते हुए सभी जानकारियाँ स्थानीय भाषा में उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
  • आरंभिक उम्र में सूचना की महत्ता से अवगत करना : जिम्मेदारी और सतर्क नागरिकता की भावना विकसित करने के लिए स्कूल स्तर पर RTI के बारे में शिक्षा अनिवार्य बनाई जानी चाहिए।

राजनीतिक दलों को RTI अधिनियम से बाहर रखने के कारण

  • स्वायत्तता और गोपनीयता: विभिन्न पार्टियों का मानना है कि उनके मामले में  स्वायत्तता और गोपनीयता के एक स्तर को बनाए रखने की आवश्यकता है।
  • परिभाषा में गलत संरेखण: इस अधिनियम के तहतसार्वजनिक प्राधिकरणकी परिभाषा में राजनीतिक दल शामिल नहीं हैं।
  • पार्टियों की स्वैच्छिक प्रकृति: जनता के साथ पार्टियों का  जुड़ाव उनकी अपनी पसंद पर आधारित होता है।
  • आंतरिक चर्चाओं के लिए जोखिम: इस अधिनियम के तहत पार्टियों द्वारा संवेदनशील आंतरिक चर्चाओं को उजागर करने का खतरा रहता है।
  • सूचना पूर्व में ही उपलब्ध: महत्त्वपूर्ण जानकारी चुनाव आयोग की वेबसाइट के माध्यम से पहले से ही उपलब्ध रहती है।

आगे की राह

  • इन सबके बावजूद तंत्र में अभी और अधिक पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है, जो जवाबदेही को बढ़ावा देते हुए लोकतांत्रिक सिद्धांतों का सम्मान करे।
  • अपनी आधिकारिक वेबसाइटों या अन्य सार्वजनिक प्लेटफॉर्मों का उपयोग करके सक्रिय सार्वजनिक सूचनाओं को उजागर करना।
  • चुनाव आयोग की भूमिका को मजबूत करना ताकि जवाबदेहिता में वृद्धि की जा सके।
  • चुनाव के दौरान किए गए अज्ञात दान को पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता है। फिलहाल  चुनाव आयोग ने दान की सीमा को घटाकर ₹2000 करने का प्रस्ताव रखा है।
  • राजनीतिक प्रक्रियाओं और पार्टियों के महत्त्व और जवाबदेही के बारे में जागरूकता बढ़ाए जाने की जरूरत है।
  • अंतरराष्ट्रीय रूप से सर्वोत्तम अभ्यासों को अपनाने के साथ सफलता प्राप्त पारदर्शिता संबंधी प्रावधानों को अपनाना जरूरी है।

निष्कर्ष

थॉमस जेफरसन ने उचित कहा है कि सूचना लोकतंत्र की मुद्रा है। आधुनिक लोकतंत्र में सरकार को जवाबदेह बनाए रखने के लिए एक सूचित नागरिक वर्ग और सूचना की पारदर्शिता की आवश्यकता होती है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : आधुनिक लोकतंत्र की सफलता हेतु सूचना के अधिकार को और व्यापक बनाने की आवश्यकता है I कथन के पक्ष और विपक्ष में अपने मत प्रस्तुत कीजिएI

News Source:  Hindustan Times

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