100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

पोषण-संवेदनशील खाद्य प्रणालियों का विकास

Lokesh Pal May 10, 2025 05:00 7 0

संदर्भ:

वैश्विक खाद्य प्रणाली जलवायु परिवर्तन और संसाधन स्तर पर सीमाओं की वजह से तनावग्रस्त है। भारत खाद्य उत्पादन के मामले में शीर्ष स्तर पर होने के बावजूद, कुपोषण की समस्या का सामना कर रहा हैअल्पपोषण, अतिपोषण और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी – जो इसके आर्थिक और जनसांख्यिकीय भविष्य को खतरे में डाल रही है। 2024 के वैश्विक भूखमरी सूचकांक में 105/127 वें स्थान पर होने के कारण, तत्काल सुधार महत्वपूर्ण है।

भारत में पोषण और खाद्य प्रणाली की प्रमुख चुनौतियाँ

  • एनएफएचएस-5 के डेटा (2019-21) के अनुसार:
    • भारत में कुपोषण: 194 मिलियन भारतीय कुपोषित हैं।
    • बाल कुपोषण: पाँच वर्ष से कम आयु वर्ग के 35.5% बच्चे अविकसित हैं, 32.1% बच्चे कम वजन के हैं, तथा 19.3% दुर्बल हैं।
    • अतिपोषण: 24% महिलाएँ और 22.9% पुरुष अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं।
    • प्रजनन आयु की 57% महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं, जो व्यापक स्तर पर सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी को दर्शाता है।
  • खाद्य प्रणाली की विफलताओं की वैश्विक लागत: खाद्य प्रणाली की विफलताओं से स्वास्थ्य और पर्यावरण को प्रतिवर्ष 12 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है।
  • चुनौती: जलवायु के प्रति संवेदनशील भारत के लिए, वर्तमान खाद्य प्रणाली की प्रवृत्तियाँ टिकाऊ नहीं हैं।
  • सामर्थ्य का संकट: 55.6% भारतीय स्वस्थ आहार का खर्च नहीं वाहन कर सकते; लागत $2.86 से बढ़कर $3.36 पीपीपी/दिन हो गई (2017-2022) – एफएओ।
  • प्रणालीगत और जलवायु परिवर्तन संबंधी समस्या: संरचनात्मक दोष और जलवायु परिवर्तन से फसल की पैदावार कम हो जाती है और छोटे किसानों को नुकसान पहुँचता है, जिससे पोषण संबंधी समस्या बढ़ती है।
  • निष्क्रियता के परिणाम: यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो कुपोषण मानव पूँजी को कमजोर करेगा, स्वास्थ्य देखभाल की लागत में वृद्धि करेगा, तथा आर्थिक उत्पादकता को कम करेगा।

खाद्य प्रणालियों में परिवर्तन हेतु रणनीतियाँ

टिकाऊ, पोषण-संवेदनशील खाद्य प्रणालियों के निर्माण के लिए एक बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

  • कुपोषण की परिभाषा का विस्तार: कुपोषण में अब भूख, मोटापा और आहार-संबंधी गैर-संचारी रोग (एनसीडी) भी शामिल हैं।
  • पोषण-संवेदनशील कृषि: जैव-सशक्त, जलवायु-लचीली फसलों को बढ़ावा देना, फसल विविधता को बढ़ाना और भंडारण प्रणालियों में सुधार करना।
  • समुदाय-नेतृत्व वाले हस्तक्षेप: पोषण-संवेदनशील सामुदायिक योजना (एनएससीपी) जैसे मॉडल वाश, मृदा, जल संरक्षण और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच जैसे निर्धारकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • स्कूल कार्यक्रम: न्यूट्री-पाठशाला जैसी पहलों में भोजन में जैव-प्रबलित अनाज शामिल किया जाता है और स्थानीय किसानों को सहायता दी जाती है।
  • सामाजिक सुरक्षा का जाल: पोषक तत्त्वों से भरपूर, स्वदेशी खाद्य पदार्थों के साथ सार्वजनिक वितरण प्रणाली और मध्याह्न भोजन को बेहतर बनाना तथा व्यवहार परिवर्तन अभियान चलाना।
  • निजी क्षेत्र की भूमिका: बेहतर लेबलिंग, क्यूआर-कोड शिक्षा, पौध-आधारित विकल्प और सुदृढ़ीकरण के साथ पोषण-प्रथम नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना।
  • जलवायु और आर्थिक लचीलापन: जलवायु-स्मार्ट कृषि को लागू करना, ग्रामीण नौकरियों का समर्थन करना और लिंग-संवेदनशील नीतियाँ लागू करना।
  • जागरूकता अभियान: पोषण साक्षरता फैलाने के लिए माईप्लेट ब्लास्ट ऑफऔर रेडियो जैसे साधनों का उपयोग करें, विशेष रूप से कम कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में।
  • परिवर्तन का अवसर: पोषण, स्थिरता और समानता के इर्द-गिर्द खाद्य प्रणालियों में सुधार करके सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में प्रगति को गति दी जा सकती है। सतत विकास लक्ष्य संख्या 2, 3 और 12 (‘भूख से मुक्ति‘, ‘अच्छा स्वास्थ्य और खुशहालीऔर जिम्मेदार उपभोग और उत्पादन‘) को पूरा करने के लिए:
    • स्थान-आधारित नवाचारों को अपनाएँ, जैसा – TERI और खाद्य एवं भूमि उपयोग गठबंधन (FOLU) द्वारा हिमालय में दिखाया गया है।
    • सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से भरपूर फसलों, विकेन्द्रीकृत प्रसंस्करण और स्थानीय खाद्य नेटवर्क को बढ़ावा देना।
  • स्वास्थ्य और पोषण समुदायों की भूमिका: पोषण विशेषज्ञों, सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं को पोषण को कृषि और आर्थिक नियोजन में एकीकृत करना चाहिए। एनएससीपी और न्यूट्री-पाठशाला जैसे मॉडल क्रॉस-सेक्टरल सहयोग की शक्ति को उजागर करते हैं।

निष्कर्ष

पोषण-आधारित, जलवायु-अनुकूल और समानता-आधारित खाद्य प्रणालियों में बदलाव की आवश्यकता है। सरकारों को पोषण के साथ नीतियों को जोड़ना चाहिए, व्यवसायों को स्थिरता अपनानी चाहिए और नागरिक समाज को समावेशी समाधानों को बढ़ावा देना चाहिए। एक पोषित आबादी एक लचीले, समतापूर्ण समाज की नींव होती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रश्न: “भारत में कुपोषण अब खाद्यान्न की कमी की समस्या ही नहीं, बल्कि खाद्य प्रणालियों का संकट है।” कुपोषण, अतिपोषण, कुपोषण की वजह से उभरती समस्याओं का परीक्षण कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.